संपादकीयः ‘ग्लोबल विलेज’ में खोती जा रही निजता 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 19, 2019 05:45 IST2019-01-19T05:45:17+5:302019-01-19T05:45:17+5:30

इंटरनेट के जरिये घर बैठे कम्प्यूटर-मोबाइल से जीवन का लुत्फ उठाने के फेर में हमने यह पहलू नजरअंदाज ही कर दिया कि यह हमारी निजता को ही छीनते जा रहा है. आज हालात यह हैं कि आपने कुछ पल के लिए भी इंटरनेट शुरू किया तो समझिए कि आपकी निगरानी शुरू हो गई.

digital world: Privacy being lost in 'Global Village' | संपादकीयः ‘ग्लोबल विलेज’ में खोती जा रही निजता 

संपादकीयः ‘ग्लोबल विलेज’ में खोती जा रही निजता 

आज हम उस युग में हैं, जहां समूची व्यवस्था डिजिटल आधारित होती जा रही है. घर से लेकर कारोबार तक, बच्चों के नर्सरी स्कूल से लेकर बुजुर्गो के स्वास्थ्य-दवाओं तक तमाम चीजें इंटरनेट के जरिये हो रही हैं. सूचनाओं का आदान-प्रदान ई-मेल, सोशल मीडिया और वेबसाइट्स के माध्यम से हो रहा है. निश्चित रूप से इस डिजिटल क्रांति ने जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन विज्ञान के इस चमत्कृत कर देने वाले सिक्के के दूसरे पहलू का तो हमने विचार ही नहीं किया. 

इंटरनेट के जरिये घर बैठे कम्प्यूटर-मोबाइल से जीवन का लुत्फ उठाने के फेर में हमने यह पहलू नजरअंदाज ही कर दिया कि यह हमारी निजता को ही छीनते जा रहा है. आज हालात यह हैं कि आपने कुछ पल के लिए भी इंटरनेट शुरू किया तो समझिए कि आपकी निगरानी शुरू हो गई. दुनिया के किसी कोने में कोई न कोई देख रहा है कि आप कहां हैं, क्या देख रहे हैं, क्या खोज रहे हैं. वह इसके जरिये आपका मानस टटोलता है और फिर बार-बार आपके सामने उससे संबंधित चीजें पेश करता रहता है. 

किसी एक वेबसाइट से कोई विज्ञापन खोलने या कुछ खास चीज ‘सर्च’ करने के बाद आगे जब भी आप वेबसाइट खोलते हैं, उस पर आपके द्वारा सर्च की गई बात से संबंधित चीजें स्वागत के लिए मौजूद होती हैं. दरअसल, हमारी जिंदगी में इंटरनेट का असर इतना व्यापक हो चुका है कि अब मानवीय जीवन की कल्पना ही बिना इंटरनेट के नहीं हो सकती. 

डिजिटल विकास की रफ्तार के साथ ही दुश्मनों की संख्या भी बढ़ी है, उनका स्वरूप भी बदला है. एक ओर हमारी ‘निजता’ जैसी कोई चीज बाकी नहीं रही है, वहीं दूसरी ओर इंटरनेट के ‘ग्लोबल विलेज’ पर खुले तौर पर मौजूद हैकर्स भी बेखौफ अपने काम को अंजाम दे रहे हैं. लक्ष्य एक ही है लूट-खसोट, धोखेबाजी. 

रिसर्चर ट्रॉय हंट के मुताबिक, दुनियाभर के 70 करोड़ से भी ज्यादा ईमेल आईडी हैक हो चुके हैं. फेसबुक के जरिये दोस्त बनकर कितने ही लोग लुट चुके हैं. कुल मिलाकर हमें इंटरनेट में अपनी उतनी ही जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए, जिससे हमारी निजता खतरे में न पड़े. आर्थिक लेनदेन करते समय सुरक्षित वेबसाइट्स का चयन, मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी से बचा जा सकता है. 

Web Title: digital world: Privacy being lost in 'Global Village'

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