ब्लॉग: कोरोना महामारी युद्ध से भी भारी, रक्षा सौदों की तरह स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद को भी देनी होगी तरजीह

By विवेकानंद शांडिल | Published: May 23, 2021 08:52 PM2021-05-23T20:52:44+5:302021-05-23T20:54:12+5:30

कोरोना महामारी ने हमारे देश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की असलियत भी सामने ला दी है। ऐसे में जरूरी है सभी सरकारें मिलकर इस ओर ध्यान दें ताकि देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में एक मजबूत ढांचा तैयार किया जा सके।

Coronavirus pandemic like defense deals India need to give preference to health Infrastructure also | ब्लॉग: कोरोना महामारी युद्ध से भी भारी, रक्षा सौदों की तरह स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद को भी देनी होगी तरजीह

कोरोना महामारी से अब सबक लेने की जरूरत (फाइल फोटो)

कोरोना की उत्पत्ति को लेकर काल्पनिक या वास्तविक दोनों में से किसी भी बातों पर अमल करें तो हमें सीख यहीं मिलती है कि हमें अपने स्वास्थ्य बजट को रक्षा बजट के बराबर में कम से कम बढ़ाना होगा। रक्षा उपकरण की तरह ही स्वास्थ्य उपकरण खरीदने होंगे, अस्पतालों को बढ़ाना होगा।

कोरोना को लेकर कई थ्योरी अभी तक आ चुकी हैं और वो कई सवाल भी पैदा करती है। मसलन क्या कोरोना वाकई एक जैविक हथियार है, जिसे चीन ने बनाया? कई जानकार इसे काल्पनिक भी बताते हैं लेकिन वहीं कई आशंकाओं को सिरे से खारिज भी नहीं करते। 

पिछले साल अमेरिका ने कई बार कोरोना को लेकर चीन को आड़ें – हाथों भी लिया। QUAD ग्रुप देशों की बैठक में पिछले साल तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने खुले तौर से कोरोना के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि QUAD ग्रुप के बाकि देश चीन के नाम लेने से बचते दिखे। इस बैठक में अमेरिका के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने भी हिस्सा लिया था।

जैविक हथियार अब कोई असामान्य बात नहीं रही। पिछले कई दशकों से ये चलता आ रहा है। प्रथम युद्ध के समय भी केमिकल वार हो चुका है। साल 1915 में बेल्जियम पर क्लोरीन गैस से सबसे बड़ा हमला किया गया था। बताया जाता है कि इस हमले में महज 5 मिनट के भीतर बेल्जियम के 5 हजार से ज्यादा सैनिकों की मौत हो गई थी। इसके बाद भी कई केमिकल वार हुए जिसमें करीब 1 लाख लोग मारे गए थे।   

कोरोना ने खोल दी स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल

अब वास्तिवक के तौर पर इसे हम एक महामारी के रूप में देखें तो भी बात उतनी ही है। आज हम कोरोना को एक प्राकृतिक वायरस ही मानकर इससे लड़ और जूझ रहे हैं। कोरोना से अब तक होने वाली मौतों का आंकड़ा जल्द ही 3 लाख को पार करने वाला है। 

इन मौतें ने हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी  है। हर किसी ने स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में अपनों को तड़पते और मरते देखा है ये किसी एक शहर या कस्बे की बात नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर में देश के हर शहर और गांव - कस्बे में रहने वाला व्यक्ति स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव महसूस किया है। 

राज्य सरकारें हो या केंद्र सरकार हर किसी के स्वास्थ्य व्यवस्था पर किये जाने वाले दावे खोखले साबित हुए। कभी सरकारें इस महामारी को नया कहकर अपनी नाकामी को छुपाने का प्रयास करती है तो कई बार अपनी कुव्यवस्था और सुविधाओं का अभाव छुपाने के लिए अनियंत्रित जनसंख्या को आगे कर देती है। इससे लेकिन सच को नहीं छुपाया जा सकता। 

दिल्ली से लेकर दरभंगा तक हाहाकार

दिल्ली से लेकर दरभंगा तक बेड, वेंटिलेटर, दवा और ऑक्सीजन के लिए जो हाहाकार मचा हुआ था इसकी चर्चा दशकों तक होगी।

अब समय है कि हुक्मरान सबक लें, आसमान में रफाल उड़ाने और हथियार खरीदने के साथ-साथ अस्पताल भी बनवाये जाएं. विज्ञापनों में मोहल्ला क्लीनिक में बेहतर सुविधा देने की बजाय हकीकत में दे। वोट के लिए सभी को मुफ्त बिजली – पानी देने के बजाय अस्पतालों में बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की सुविधा बढ़ायें।    

आज तक इतने लोग किसी युद्ध में नहीं मरे होंगे जितने हम कोरोना में खोते जा रहे हैं। इसकी मूल वजह आज भी हमारे यहां अस्पताळों में स्वास्थ्य सुविधा का अभाव है। तो फिर हमें बंदूक की तरह वेंटिलेटर खरीदने होंगे, टैंक खरीदने की तरह ऑक्सीजन प्लांट लगाने होंगे। वार मेमोरियल की तरह ही अस्पताल बनाने होंगे। रक्षा की तरह ही स्वास्थ्य पर खर्च करने होंगे। 

Web Title: Coronavirus pandemic like defense deals India need to give preference to health Infrastructure also

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