अनुग्रह राशि: कोविड राहत की दिशा में पहला कदम, फिरदौस मिर्जा का ब्लॉग

By फिरदौस मिर्जा | Published: July 2, 2021 01:52 PM2021-07-02T13:52:14+5:302021-07-02T13:53:17+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने उसे कोविड महामारी के दौरान जनहानि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक नीति तैयार करने का निर्देश दिया. इसने देश में कानून के शासन की अवधारणा को दोहराया है.

coronavirus covid 19 relief  Ex-gratia First step towards supreme court Firdaus Mirza's blog | अनुग्रह राशि: कोविड राहत की दिशा में पहला कदम, फिरदौस मिर्जा का ब्लॉग

प्रभावित व्यक्तियों को राहत के न्यूनतम मानकों के लिए दिशानिर्देशों की सिफारिश करेगा.

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने महामारी से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता को रेखांकित किया. अनुग्रह राशि उन परिवारों को राहत देने की दिशा में पहला कदम होगा.महामारी के ऐसे पीड़ितों के लिए यह आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंतर्गत  अपेक्षित अन्य राहतों के लिए भी द्वार खोलेगा.

सरकारें आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रतिबंध लगा सकती हैं या पूर्ण तालाबंदी कर सकती हैं, लेकिन उसी कानून के अंतर्गत वे नागरिकों को राहत देने के अपने कर्तव्य को निभाने से इनकार नहीं कर सकती हैं.

माना जाता है कि हम एक कल्याणकारी राज्य में हैं और आम आदमी इसके केंद्र में है. केंद्र सरकार के रुख को खारिज करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने उसे कोविड महामारी के दौरान जनहानि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक नीति तैयार करने का निर्देश दिया. इसने देश में कानून के शासन की अवधारणा को दोहराया है.

सुप्रीम कोर्ट ने महामारी से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता को रेखांकित किया. अनुग्रह राशि उन परिवारों को राहत देने की दिशा में पहला कदम होगा, जिन्होंने अपने सदस्यों को खो दिया है. जिन्होंने जीवन या आजीविका को गंवाया है,  महामारी के ऐसे पीड़ितों के लिए यह आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंतर्गत  अपेक्षित अन्य राहतों के लिए भी द्वार खोलेगा.

कानून माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय प्राधिकरण से अपेक्षा रखता है वह प्रभावित व्यक्तियों को राहत के न्यूनतम मानकों के लिए दिशानिर्देशों की सिफारिश करेगा. इन दिशानिर्देशों में विधवाओं और अनाथों के लिए विशेष प्रावधान हो और न केवल जनहानि के लिए अनुग्रह राशि मिले, बल्कि आजीविका के साधनों की भी बहाली हो. कोरोना महामारी पहले से ही आपदा घोषित है.

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाले राज्य प्राधिकरण को राहत के मानक प्रदान करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश निर्धारित करने होंगे, जो कि राष्ट्रीय प्राधिकरण द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानकों से कम नहीं होंगे.
कानून ने राष्ट्रीय प्राधिकरण पर आपदा से प्रभावित व्यक्तियों को ऋण की अदायगी में राहत या रियायती शर्तो पर नए ऋण देने की सिफारिश करने की जिम्मेदारी डाली है.

मार्च, 2020 के बाद से हम बार-बार लगने वाले लॉकडाउन को देख रहे हैं. महामारी रोकने के लिए वे कितने प्रभावी हैं इसका पता तो अध्ययनों से ही चलेगा, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि अर्थव्यवस्था पर इनका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, विशेष रूप से छोटे कारोबारियों, निजी फर्मो के कर्मचारियों और मजदूरों पर. प्रधानमंत्री को घोषणा करनी पड़ी कि पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ नागरिकों को अपने भरण-पोषण के लिए खाद्यान्न की आवश्यकता है. यह तथ्य इस बात का संकेत है कि भारत की दो तिहाई आबादी जबरदस्त आर्थिक बदहाली में है और उसे तत्काल मदद की जरूरत है.

मृतकों के परिवारों को अनुग्रह राशि प्रदान करने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश कल्याणकारी राज्य के कार्यान्वयन की दिशा में पहला कदम साबित होंगे. हो सकता है कि महामारी की दो लहरों से सरकार हतप्रभ रह गई हो, लेकिन महामारी का सामना करने और उसके प्रभाव को कम करने के लिए राष्ट्रीय योजना और राष्ट्रीय नीति तैयार न करना अक्षम्य है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप लाखों लोगों की जान चली गई और करोड़ों परिवारों को तबाही का सामना करना पड़ रहा है. भारत एक लोकतांत्रिक देश होने के नाते अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है जिसे खारिज नहीं किया जा सकता है.

कानून द्वारा शासन सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है और कानून के समक्ष सभी एक समान हैं. संविधान को मानने वाली सरकारों द्वारा व्यापार और आजीविका पर तो आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत शक्तियों का प्रयोग करके प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, लेकिन उक्तकानून के अंतर्गत प्रदत्त राहत और लाभों को किसी भी बहाने से खारिज नहीं किया जा सकता है.

अनुग्रह राशि जारी करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति तैयार करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए, हम सरकारों से उम्मीद कर सकते हैं कि वे कदम आगे बढ़ाएंगी और विधवाओं, अनाथों के लिए विशेष प्रावधान करेंगी और आजीविका के साधनों की बहाली के साथ कजरे की अदायगी में राहत देने की योजना बनाएंगी, जैसा कि  आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत निर्धारित है.

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