हरीश गुप्ता का ब्लॉगः कोविड-19 पर यूपीए युग के कानून से वार

By हरीश गुप्ता | Published: July 9, 2020 06:00 AM2020-07-09T06:00:31+5:302020-07-09T06:00:31+5:30

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अचानक ही कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए सामने हैं. लेकिन यह एक गलत जनधारणा है कि कोरोना महामारी को संभालने के लिए गृह मंत्रालय नोडल एजेंसी है. वस्तुत: ऐसा नहीं है. अधिनियम स्पष्ट रूप से कहता है कि प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओें से निपटने, राहत और तैयारियों के लिए एमएचए जिम्मेदार है.

coronavirus congress UPA era law priyanka gandhi amit shah bjp rohan jaitley | हरीश गुप्ता का ब्लॉगः कोविड-19 पर यूपीए युग के कानून से वार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अचानक ही कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए सामने हैं. (फाइल फोटो)

कांग्रेस, कोविड-19 महामारी से निपटने के दौरान राज्यों की शक्तियां छीन लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की कड़ी आलोचना कर रही है. लेकिन वह आसानी से यह भूल गई कि मोदी ने जिस आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए) के तहत ऐसा किया, उसे  2005 में यूपीए शासन के दौरान ही लागू किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तावित विधेयक का विरोध किया था और आरोप लगाया था कि राज्यों की शक्तियों को यूपीए निगलना चाहता है. लेकिन वह अपनी ही पार्टी में अकेली आवाज थे क्योंकि केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने इस पर ध्यान नहीं दिया. 

जब 2020 में कोरोना वायरस आया तो मोदी ने उसे राष्ट्रीय महामारी घोषित कर 2005 के उसी अधिनियम को लागू किया और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के तहत पूर्ण प्रभार अपने हाथ में ले लिया. एनडीएमए सीधे प्रधानमंत्री के अधीन है जो इसके अध्यक्ष हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि डीएमए, 2005 की धारा-6 और धारा-10 पीएमओ को बेशुमार अधिकार देती है, जिसे कुछ विशेषज्ञों ने अनुच्छेद-356 की तुलना में भी कठोर माना है.

अमित शाह देर से क्यों सामने आए

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अचानक ही कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए सामने हैं. लेकिन यह एक गलत जनधारणा है कि कोरोना महामारी को संभालने के लिए गृह मंत्रालय नोडल एजेंसी है. वस्तुत: ऐसा नहीं है. अधिनियम स्पष्ट रूप से कहता है कि प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओें से निपटने, राहत और तैयारियों के लिए एमएचए जिम्मेदार है. लेकिन ‘सूखा और महामारी’ के लिए नहीं जो कि एनडीएमए के तहत है जिसके चेयरमैन प्रधानमंत्री हैं.एनडीएमए की वेबसाइट के अनुसार अमित शाह एनडीएमए के सदस्य भी नहीं हैं. हालांकि एनडीएमए में वाइस चेयरमैन सहित 9 सदस्यीय निकाय होना चाहिए लेकिन वर्तमान में, इसके पांच सदस्य हैं; जी.वी.वी.सरमा, कमल किशोर, लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त), राजेंद्र सिंह, और किशोर वत्स तथा कोई उपाध्यक्ष नहीं है. केंद्रीय गृह सचिव एनडीएमए के तहत राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एनईसी) के अध्यक्ष हैं. लेकिन यह दोहरी भूमिका है. वे मंत्रालयों और राज्यों को आदेश, गृह सचिव के रूप में नहीं, बल्कि पीएमओ के प्रत्यक्ष आदेशों पर एनईसी के अध्यक्ष के रूप में जारी करते हैं.

प्रियंका गांधी के घर की पहेली

35, लोधी एस्टेट बंगले को खाली करने के लिए कहे जाने के बाद, प्रियंका गांधी वाड्रा के अगले गंतव्य पर राजनीतिक वर्ग में चर्चा शुरू हो गई है. ऐसी अटकलें हैं कि वे यूपी में पार्टी को मजबूत करने के लिए स्वर्गीय शीला कौल के घर में लखनऊ जाएंगी. लेकिन कहा जाता है कि वे कोविड-19 महामारी और यूपी के नए हॉट स्पॉट के रूप में उभरने के कारण तुरंत लखनऊ शिफ्ट होने को तैयार नहीं हैं. दूसरे, वे अब परिवार के साथ यूपी की यात्रा करने का जोखिम नहीं उठाना चाहतीं. वे गुड़गांव में अपने पति रॉबर्ट वाड्रा के आलीशान फ्लैट में भी नहीं जाएंगी. कारण; रॉबर्ट वाड्रा को सुबह लोधी गार्डन में टहलना पसंद है और प्रियंका को शाम को. लोधी गार्डन में टहलते हुए वाड्रा तस्वीरें ट्वीट करते रहते हैं. अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वे अस्थायी रूप से बेटी मिराया के साथ अपनी मां के 10 जनपथ हाउस में शिफ्ट हो सकती हैं. रॉबर्ट गुड़गांव और दिल्ली के बीच आवाजाही कर सकते हैं.

डीडीसीए में रोहन जेटली आएंगे?

स्वर्गीय अरुण जेटली के बेटे एडवोकेट रोहन इन दिनों चर्चा में हैं. जेटली के मित्र और सहयोगी चाहते हैं कि वे डीडीसीए के अध्यक्ष बनें. खुद जेटली ने एक बार यह पद संभाला था. रजत शर्मा के इस्तीफा देने के बाद चुनाव होने वाले हैं. इस बारे में अंतिम फैसला अभी तक सामने आने का है.

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