लाइव न्यूज़ :

कपिल सिब्बल का ब्लॉग: चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण

By कपील सिब्बल | Updated: November 30, 2022 13:48 IST

गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान हमारे गृह मंत्री का हालिया बयान आने वाली चीजों का पूर्व संकेत है। गोधरा की त्रासदी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दंगाइयों को सबक सिखाया गया था, कि सांप्रदायिक दंगे इसलिए हुए क्योंकि कांग्रेस ने इसे आदत बना लिया था, ऐसा सबक 2002 में सिखाया गया था और तब से गुजरात में कोई सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए हैं। एक तरह से गृह मंत्री ने हुई हिंसा का समर्थन किया। 

Open in App
ठळक मुद्देउत्तराखंड के मुख्यमंत्री पहले ही राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता को पेश कर चुके हैं।अधिकांश भाजपा शासित राज्यों में यह तेज हो रहा है।समान नागरिक संहिता हाल ही में संपन्न हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में भी था।

जैसे-जैसे हम 2024 के लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे हमारे राष्ट्रीय विमर्श पर जो विषय हावी हो रहे हैं, वे परेशान करने वाले हैं। पहला है समान नागरिक संहिता का हो-हल्ला। अधिकांश भाजपा शासित राज्यों में यह तेज हो रहा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पहले ही राज्य विधानसभा में इसे पेश कर चुके हैं। यह हाल ही में संपन्न हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में भी था। 

अब, यह गुजरात विधानसभा चुनाव में एक चुनावी वादा है। इस विषय पर किसी भी भाषण में भावनात्मक और विभाजनकारी दोनों तत्व होते हैं। यह इसे एक सांप्रदायिक रंग देता है, जिसके राजनीतिक नतीजे देखने को मिलेंगे। दूसरा, उस पर आक्रोश की अभिव्यक्ति है जब एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय का लड़का एक हिंदू लड़की के साथ संबंध रखता है या उससे शादी करता है। 

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि जिस जघन्य तरीके से श्रद्धा वालकर की हत्या की गई, वह 'लव जिहाद' का एक उदाहरण है और अगर मोदी 2024 में फिर से नहीं चुने जाते हैं, तो 'लव जिहाद' के मुजरिम देश के हर शहर में देखने को मिलेंगे। यह बयान इस बात का संकेत है कि किस तरह एक समुदाय विशेष को निशाना बनाकर हिंदू वोट बटोरने के लिए हत्या की भयावह घटना का इस्तेमाल कर उसे एक खास समुदाय की मानसिकता से जोड़कर देखा जा रहा है।

गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान हमारे गृह मंत्री का हालिया बयान आने वाली चीजों का पूर्व संकेत है। गोधरा की त्रासदी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दंगाइयों को सबक सिखाया गया था, कि सांप्रदायिक दंगे इसलिए हुए क्योंकि कांग्रेस ने इसे आदत बना लिया था, ऐसा सबक 2002 में सिखाया गया था और तब से गुजरात में कोई सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए हैं। एक तरह से गृह मंत्री ने हुई हिंसा का समर्थन किया। 

जिन लोगों को निशाना बनाया गया उनमें महिलाएं, बच्चे और अन्य शामिल थे जिनका गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के साथ हुई कथित त्रासदी में कोई हाथ नहीं था। लगभग 20 करोड़ की संख्या वाले अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ जहर उगलना हिंदू वोट पर पकड़ को मजबूत कर सकता है लेकिन हमारी लोकतांत्रिक राजनीति पर इसका प्रभाव अंतत: खेद का विषय हो सकता है। नि:संदेह भारत बदल गया है। यह अब वह समावेशी भारत नहीं है जिसमें हम पैदा हुए थे। आज के संवाद चिंताजनक हैं। अगर हम इस प्रवृत्ति के खिलाफ खड़े नहीं हुए तो हमारा कल खतरे में पड़ जाएगा।

टॅग्स :गुजरात विधानसभा चुनाव 2022भारतBJPअमित शाहगोधरा कांड
Open in App

संबंधित खबरें

भारतबाबासाहब ने मंत्री पद छोड़ते ही तुरंत खाली किया था बंगला

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारत अधिक खबरें

भारत2026 विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में हलचल, मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की आधारशिला, हुमायूं कबीर ने धर्मगुरुओं के साथ मिलकर फीता काटा, वीडियो

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल

भारतHardoi Fire: हरदोई में फैक्ट्री में भीषण आग, दमकल की गाड़ियां मौके पर मौजूद

भारतWest Bengal: मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी शैली की मस्जिद’ के शिलान्यास को देखते हुए हाई अलर्ट, सुरक्षा कड़ी

भारतKyrgyzstan: किर्गिस्तान में फंसे पीलीभीत के 12 मजदूर, यूपी गृह विभाग को भेजी गई रिपोर्ट