ब्लॉग: सराहनीय कदम...सर्विस चार्ज के नाम पर मनमानी करने पर अब लग गई रोक

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: July 6, 2022 02:07 PM2022-07-06T14:07:55+5:302022-07-06T14:09:12+5:30

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने सर्विस चार्ज बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करके बिल्कुल सही किया है ताकि ग्राहकों से होने वाली लूट को रोका जा सके.

Commendable step by ccpa to end Service charge | ब्लॉग: सराहनीय कदम...सर्विस चार्ज के नाम पर मनमानी करने पर अब लग गई रोक

सर्विस चार्ज के नाम पर मनमानी करने पर अब लग गई रोक (फाइल फोटो)

सर्विस चार्ज के नाम पर पिछले कुछ समय से जिस तरह से कुछ होटल-रेस्टॉरेंट द्वारा मनमाना चार्ज वसूला जा रहा था, उम्मीद है कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा सोमवार को जारी किए गए दिशा-निर्देशों के बाद इस पर रोक लग सकेगी. मनमानी की हद यह थी कि कई जगहों पर खाद्य पदार्थों की कीमत से भी ज्यादा सेवा शुल्क वसूला जा रहा था. 

हाल ही में दिल्ली से भोपाल के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस में सफर करने वाले एक यात्री ने अपनी चाय के बिल की फोटो सोशल मीडिया पर डालते हुए बताया था कि 20 रु. की चाय के बिल पर उससे 50 रु. सर्विस चार्ज वसूला गया अर्थात यात्री को कुल 70 रु. का भुगतान करना पड़ा था. 

भारी-भरकम सेवा शुल्क वसूलने के ऐसे और भी कई मामले सामने आ रहे थे. हकीकत यह है कि सेवा शुल्क (सर्विस चार्ज) और सेवा कर (सर्विस टैक्स) दो अलग-अलग चीजें हैं. सेवा कर जहां अनिवार्य होता है वहीं सेवा शुल्क पूरी तरह से स्वैच्छिक. इसीलिए होटल या रेस्टॉरेंट मालिक यह नहीं बताते कि उन्हें सेवा शुल्क से महीने या साल में कितनी कमाई होती है और उसका कितना हिस्सा वे वेटर, रसोइया, सफाई कर्मचारी या गेटकीपर जैसे अपने कर्मचारियों को देते हैं. जबकि वे सेवा शुल्क उन्हीं के द्वारा दी गई सेवाओं के नाम पर लेते हैं. 

खाने-पीने के सामान की जो वे कीमत लेते हैं, उसमें उसे तैयार करने से लेकर परोसने, कर्मचारियों की तनख्वाह पर होने वाला खर्च और उनका मुनाफा- सबकुछ शामिल होता है. इसलिए सेवा शुल्क को अनिवार्य बनाए जाने का कोई तुक ही नहीं है. यह पूरी तरह से ग्राहक पर निर्भर होना चाहिए कि वह सेवाओं से खुश होकर कितनी राशि टिप के रूप में देता है या खुश नहीं होने पर नहीं देता है. लेकिन देखने में आ रहा था कि ग्राहक सेवाओं से संतुष्ट हो या नहीं, होटल और रेस्टॉरेंट मालिक उससे सेवा शुल्क अनिवार्य रूप से वसूल रहे थे. 

यही नहीं बल्कि उस सेवा शुल्क पर जीएसटी भी वसूल रहे थे. वे मेन्यू कार्ड में ही सेवा शुल्क की दर का जिक्र कर देते थे ताकि ग्राहक को ऐसा लगे कि यह देना अनिवार्य है. इसलिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने इस बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करके बिल्कुल सही किया है ताकि ग्राहकों से होने वाली लूट को रोका जा सके. सेवा शुल्क स्वैच्छिक होने से होटल-रेस्टॉरेंट अब ग्राहक को सर्वोत्तम सेवा देने की कोशिश भी करेंगे, ताकि ग्राहक खुश होकर स्वेच्छा से सेवा शुल्क दे.

Web Title: Commendable step by ccpa to end Service charge

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