नशे के खिलाफ सुसंगत नीति की जरूरत

By कृष्ण प्रताप सिंह | Updated: May 31, 2025 06:46 IST2025-05-31T06:45:52+5:302025-05-31T06:46:37+5:30

यह भी समझाया जाता है कि उनके द्वारा तंबाकू का सेवन न सिर्फ उनके बल्कि उनके आसपास रहने वाले लोगों के भी लिए बहुत त्रासद है.

coherent policy against drug abuse is needed | नशे के खिलाफ सुसंगत नीति की जरूरत

नशे के खिलाफ सुसंगत नीति की जरूरत

यह तथ्य अब सुविदित है कि तंबाकूजनित नशा दुनिया भर में हर साल अस्सी लाख से ज्यादा लोगों की जान ले लेता है. भारतीय होने के नाते इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इन जान गंवाने वालों में 13 लाख से ज्यादा भारतीय होते हैं. मौतों का यह आंकड़ा डराने वाला तो है ही, यह जताने वाला भी है कि भांति-भांति के तंबाकूजनित नशों के ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ की तर्ज पर उन्मूलन की और सर्वथा उन्मूलन संभव न हो तो न्यूनतम स्तर पर लाने की जरूरत है.

यही जरूरत पूरी करने के उद्देश्य से वर्ष 1988 से हर साल 31 मई को (यानी आज के दिन) विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. इस सिलसिले में यह जानना भी प्रासंगिक है कि तंबाकूजनित नशों से मौतों की संख्या में लगातार वृद्धि से जन्मी चिंताओं को मद्देनजर रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में यह दिवस मनाने की परंपरा शुरू की तो पहले पहल इसे सात अप्रैल को मनाया गया था. लेकिन उसी साल 31 मई को संगठन द्वारा इस बाबत एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसके तहत इसे हर साल 31 मई को मनाया जाने लगा.

इसके तहत हर साल इस दिवस की एक थीम चुनी जाती है और उसकी बिना पर लोगों को तंबाकू के सेवन से होने वाले नुकसानों के प्रति जागरूक, फिर उससे विरत करने की कोशिशें की जाती हैं. यह भी समझाया जाता है कि उनके द्वारा तंबाकू का सेवन न सिर्फ उनके बल्कि उनके आसपास रहने वाले लोगों के भी लिए बहुत त्रासद है. विडंबना यह कि इसके बावजूद दुनिया भर में बड़ी संख्या में किसी न किसी रूप में तंबाकू और उसके उत्पादों का सेवन कर रहे लोग उनकी लत से उतनी संख्या में मुक्त नहीं हो पा रहे कि उसे लेकर आश्वस्त हुआ जा सके.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि देश में 15 वर्ष से अधिक आयु के 38 प्रतिशत से ज्यादा पुरुष तंबाकू का सेवन करते हैं. महिलाओं में यह आंकड़ा नौ प्रतिशत है. 15 से 49 साल की उम्र की एक प्रतिशत महिलाएं शराब पीती हैं, तो इसी आयु वर्ग के 19 प्रतिशत पुरुषों को इसकी लत है. साफ है कि समस्या तंबाकूजनित नशों की ही नहीं है, शराब की भी है.

साफ है कि तंबाकू निषेध दिवस सच्चे अर्थों में तभी सार्थक हो सकता है, जब देश में नशे के खिलाफ सुसंगत नीति बने और सरकारें उसके कार्यान्वयन के लिए जरूरी साहस और इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करें. साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व स्तर पर जनस्वास्थ्य रक्षा की दूरगामी प्रभावों वाली नीतियां बनाकर उनका कार्यान्वयन करा सके.

Web Title: coherent policy against drug abuse is needed

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