अश्विनी महाजन का ब्लॉग: बेल्ट रोड से विस्तारवाद को अंजाम देता चीन

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 3, 2019 15:16 IST2019-12-03T15:16:49+5:302019-12-03T15:16:49+5:30

याद रखना होगा कि लगभग इसी प्रकार की कार्रवाई श्रीलंका के साथ भी की गई थी, जब श्रीलंका को चीनी उधार न चुका पाने के कारण हंबनटोटा बंदरगाह को 99 वर्ष की लीज पर चीन को सौंपना पड़ा था.

China executes expansionism from the Belt Road | अश्विनी महाजन का ब्लॉग: बेल्ट रोड से विस्तारवाद को अंजाम देता चीन

अश्विनी महाजन का ब्लॉग: बेल्ट रोड से विस्तारवाद को अंजाम देता चीन

Highlights श्रीलंका के ‘हंबनटोटा’ बंदरगाह पर कब्जे की याद दिलाते हुए, चीन कीनिया के अत्यंत लाभकारी ‘मुंबासा’ बंदरगाह पर भी काबिज होने जा रहा हैकीनिया के रेलवे के विकास हेतु चीन ने भारी मात्र में उधार दिया हुआ है

श्रीलंका के ‘हंबनटोटा’ बंदरगाह पर कब्जे की याद दिलाते हुए, चीन कीनिया के अत्यंत लाभकारी ‘मुंबासा’ बंदरगाह पर भी काबिज होने जा रहा है. गौरतलब है कि कीनिया के रेलवे के विकास हेतु चीन ने भारी मात्र में उधार दिया हुआ है. चीन जल्द ही अपने ऋण की अदायगी न होने से यह कार्रवाई करने जा रहा है. यही नहीं नैरोबी स्थित अंतर्देशीय कंटेनर डिपो भी चीन द्वारा अधिग्रहण के खतरे में है.


याद रखना होगा कि लगभग इसी प्रकार की कार्रवाई श्रीलंका के साथ भी की गई थी, जब श्रीलंका को चीनी उधार न चुका पाने के कारण हंबनटोटा बंदरगाह को 99 वर्ष की लीज पर चीन को सौंपना पड़ा था. लगभग हंबनटोटा की तर्ज पर ही कीनिया का मुंबासा बंदरगाह भी चीन के कब्जे में जाने वाला है. गौरतलब है कि चीन ने कीनिया की रेलवे परियोजना एसजीआर के निर्माण हेतु 550 अरब कीनियाई शिलिंग उधार दी हुई है और इस परियोजना से पर्याप्त प्राप्ति नहीं हो पा रही और पहले ही साल उसमें 10 अरब कीनियाई शिलिंग का नुकसान हुआ है.

चीन उस परियोजना को ही नहीं बल्कि उस परियोजना के घाटे की भरपाई के लिए उसके मुंबासा बंदरगाह को भी अधिग्रहीत करने जा रहा है. कीनिया के ऑडिटर जनरल का कहना है कि चीन के एक्जिम बैंक के साथ एकतरफा समझौता हुआ, और यहां तक कि इस समझौते की मध्यस्थता भी चीन में ही हो सकती है. अभी भी एसजीआर की सभी प्राप्तियां चीन के कब्जे वाले समझौते के अनुसार एसक्रो खाते में ही जाती हैं. इस समझौते की सबसे खतरनाक धारा यह है कि कीनिया सरकार ने चीन को न्यूनतम व्यवसाय की गारंटी दी हुई है. इस प्रकार चीन के साथ हुए इस खतरनाक समझौते के कारण अब कीनिया की महत्वपूर्ण सार्वजनिक परिसंपत्तियां चीन के कब्जे में जाने को तैयार हैं.


चीन यह तर्क दुनिया के गले उतारने की कोशिश कर रहा है कि बीआरआई पहल (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) विकासशील देशों को आपसी व्यापार, आर्थिक लेनदेन और संपर्क बढ़ाने में उपयोगी सिद्ध होगी. बीआरआई के फायदों के बारे में बताते हुए सार्वजनिक चर्चाओं में कोशिश यह हो रही है कि इसके राजनीतिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक खतरों को छुपाया जाए.  वास्तव में हुआ यह कि चीन सरकार द्वारा स्वयं अथवा चीनी सरकार के अंतर्गत वित्तीय संस्थाओं द्वारा इन्फ्रास्ट्रर में निवेश के कारण, कई देश कर्ज के जाल में फंस गए. अब श्रीलंका के हाल को देख कई देशों ने चीन के इन्फ्रास्ट्रर प्रस्तावों से किनारा करना शुरू किया है. गौरतलब है कि दो साल पहले एक अरब डॉलर के कर्ज के असहनीय बोझ के चलते श्रीलंका को अपना एक बंदरगाह खोना पड़ा. इसी प्रकार जिबूती, जो अफ्रीका में अमेरिका का मुख्य सैन्य अड्डा रहा है, में एक और बंदरगाह भारी कर्ज के चलते अब चीन की एक कंपनी के नियंत्रण में जाने के कगार पर है.

Web Title: China executes expansionism from the Belt Road

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