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ब्लॉग: मालदीव में नई चीन समर्थक सरकार से भारत के लिए चुनौती

By शोभना जैन | Updated: October 3, 2023 12:32 IST

बहरहाल, मोहम्मद मुइज्जू 17 नवंबर को शपथ लेंगे। वर्ष 2018 में इब्राहिम सोलिह के राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी निमंत्रित थे।

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रणनीति की दृष्टि से अहम मालदीव में हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में चीन की समर्थक मानी जाने वाली ‘प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव’ के मोहम्मद मुइज्जू की जीत हिंद महासागर क्षेत्र के लिए, खास तौर पर भारत के लिए भी खासी अहम है।

गौर करने लायक बात यह है कि मोहम्मद मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है। जबकि चुनाव हार चुके निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह भारत के साथ प्रगाढ़ संबंधों के समर्थक माने जाते हैं, उनके कार्यकाल के दौरान मालदीव के भारत के साथ रिश्ते खासे मजबूत हुए थे।

सोलिह इब्राहिम 2018 से सत्ता में हैं और उनकी सरकार की नीति ‘इंडिया फर्स्ट’ यानी भारत को प्राथमिकता देने की रही जबकि मुइज्जू हालांकि सीधे तौर पर अपनी पार्टी के समर्थकों द्वारा चलाए गए अपने चुनाव अभियान में ‘भारत विरोधी’ और ‘इंडिया आउट’ से जुड़े नहीं थे लेकिन उनका चीन के प्रति झुकाव जगजाहिर है और वे मालदीव की ‘स्वतंत्रता की बहाली’ की बात करते रहे हैं, जिसका आशय मालदीव से भारतीय सैन्य मौजूदगी को हटाने से है और वे भारत को व्यापार के लिए ज्यादा तरजीह नहीं दिए जाने पर जोर देते रहे हैं।

ऐसे में वे भारत विरोधी अपनी पार्टी के एजेंडा और अपने चीन झुकाव के साथ भारत के साथ रिश्तों में सामंजस्य कैसे बना पाएंगे? चीन वहां अपनी नौसेना को तेजी से बढ़ा रहा है और वो मालदीव में अपनी पहुंच बढ़ाने के प्रयास करता रहा है। भारत और चीन, दोनों ही देशों का वहां भारी निवेश है।

 ऐसी स्थिति में नजर इस बात पर है कि मालदीव में बदलाव की बयार में चीन समर्थक पार्टी और चीन के प्रति झुकाव रखने वाले राष्ट्रपति के कार्यकाल में भारत के साथ रिश्ते कैसे रहेंगे? उल्लेखनीय है कि भारत और मालदीव के बीच छह दशकों से अधिक पुराने राजनयिक, सैन्य, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं।

बहरहाल, मोहम्मद मुइज्जू 17 नवंबर को शपथ लेंगे। वर्ष 2018 में इब्राहिम सोलिह के राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी निमंत्रित थे। पीएम मोदी ने इस बार मुइज्जू के राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के फौरन बाद उन्हें शुभकामना संदेश भेजा, जिसमें कहा गया था कि समय की कसौटी पर खरे उतरे दोनों देशों के आपसी रिश्ते और बढ़ेंगे और दोनों का हिंद महासागर क्षेत्र में आपसी सहयोग और बढ़ेगा।

जैसा कि एक पूर्व राजनयिक ने कहा, मालदीव में चीन समर्थक मुइज्जू की जीत से चीन को फायदा तो पहुंच सकता है लेकिन वहां भारत का प्रभाव तुरंत कम नहीं होगा और उम्मीद की जानी चाहिए कि मुइज्जू की नीति भारत के साथ रिश्तों में संतुलन बनाने की रहेगी जिससे न केवल संबंध मजबूत होंगे बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भी किसी प्रकार की उथल-पुथल की बजाय शांति और स्थिरता बनी रहेगी। 

टॅग्स :मालदीवचीनभारत
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