सीबीएसई की सख्ती का स्वागत, लेकिन उठ रहे हैं कई सवाल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 29, 2025 07:19 IST2025-03-29T07:19:28+5:302025-03-29T07:19:34+5:30

कई विद्यार्थी तो नौवीं कक्षा से ही स्कूलों में न जाकर इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटरों में जाने लगते हैं.

CBSE's strictness is welcome but many questions are being raised | सीबीएसई की सख्ती का स्वागत, लेकिन उठ रहे हैं कई सवाल

सीबीएसई की सख्ती का स्वागत, लेकिन उठ रहे हैं कई सवाल

पिछले कई वर्षों से देश में इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटरों की बाढ़ सी आई हुई है. ये सेंटर किसी ऐसे ‘डमी’ स्कूल के साथ ‘टाय-अप’ कर लेते हैं, जहां उनके सेंटर में कोचिंग लेने वाले विद्यार्थियों की हाजिरी तो लग जाती है लेकिन उन्हें क्लास में जाना नहीं पड़ता. इस तरह छात्रों को कोचिंग सेंटरों में पूरे समय मन लगाकर पढ़ाई करने का मौका मिल पाता है.

यह इतना प्रचलित तरीका बन चुका है कि बहुत से छात्रों या उनके अभिभावकों को तो अब अहसास भी नहीं होता कि ‘डमी’ स्कूलों में प्रवेश लेकर या दिलाकर वे कोई अवैध काम कर रहे हैं. इसीलिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की इस ताजा चेतावनी से ऐसे छात्रों में हड़कंप मचा हुआ है जो नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं होंगे, उन्हें बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

सवाल यह है कि धड़ल्ले से चल रहे होने के बावजूद ऐसे डमी स्कूल जब वैध ही नहीं हैं तो उन पर कार्रवाई कैसे की जाएगी? इस बारे में बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यदि कोई विद्यार्थी स्कूल से गायब पाया जाता है या बोर्ड द्वारा किए गए औचक निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाया जाता है तो ऐसे विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

चूंकि इस साल बोर्ड की परीक्षाएं हो चुकी हैं, इसलिए इस निर्णय को आगामी सत्र यानी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू किया जाएगा. लेकिन कोचिंग संस्थान आम तौर पर दो साल के पैकेज के रूप में अर्थात 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए एक साथ ही विद्यार्थियों को प्रवेश देते हैं और उसी हिसाब से फीस वसूल करते हैं. कई विद्यार्थी तो नौवीं कक्षा से ही स्कूलों में न जाकर इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटरों में जाने लगते हैं. मंझधार में अटकने वाले ऐसे विद्यार्थी अब क्या करेंगे?

इसके अलावा अनेक विद्यार्थी ऐसे हैं जो दसवीं के बाद सीबीएसई स्कूलों के बजाय सिर्फ इसीलिए स्टेट बोर्ड के स्कूलों में ग्यारहवीं में प्रवेश लेते हैं ताकि नियमित स्कूल न जाना पड़े. तो क्या स्टेट बोर्ड के स्कूलों में भी इसी तरह की सख्ती की जाएगी?

और अगर वहां सख्ती नहीं की गई तो क्या सीबीएसई स्कूलों से 11वीं-12वीं कक्षा की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी भी स्टेट बोर्ड के स्कूलों का ही रुख नहीं करने लगेंगे? सीबीएसई का ताजा फैसला है तो स्वागत योग्य, लेकिन यह इस तरह के कई सवालों को भी जन्म दे रहा है, जिनका निराकरण किया जाना जरूरी है.

Web Title: CBSE's strictness is welcome but many questions are being raised

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