शोभना जैन का ब्लॉग: हाउडी मोदी से भारत-अमेरिका, दोनों को फायदा
By शोभना जैन | Published: September 21, 2019 06:33 AM2019-09-21T06:33:00+5:302019-09-21T06:33:00+5:30
भारतीय मूल के लोगों की भूमिका वहां के प्रशासन और राजनीति में खासी प्रभावी होती जा रही है. ट्रम्प के लिए यह कार्यक्रम भारतीय मूल के वोटरों को आकर्षित करने की रणनीति का भी हिस्सा है. भारतीय मूल के अमेरिकी परंपरागत रूप से डेमोक्रेट पार्टी को ज्यादा वोट देते रहे हैं. डेमोक्रेट के प्रति यह मत समर्थन लगभग 65 से 70 प्रतिशत का माना जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस सप्ताह की अमेरिका यात्ना के दौरान ह्यूस्टन में 22 सितंबर को ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की प्रस्तावित मौजूदगी से यह खासी चर्चा में आ गया है. अमेरिका में बसे भारतीयों द्वारा पीएम मोदी के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम में ट्रम्प की असामान्य मौजूदगी की वजह से कहीं इसे भारत-अमेरिका संबंधों की प्रगाढ़ता के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है तो कहीं ऐतिहासिक माना जा रहा है. वहीं, विपक्ष देश की मंदी को ले कर सरकार पर निशाना साध रहा है और कह रहा है कि अमेरिकी भूमि पर इस सब्जबाग से देश को आखिर क्या हासिल होगा. बहरहाल कार्यक्रम भारत अमेरिका संबंधों के लिए अहम है. नजरें इस बात पर हैं कि इस कार्यक्रम की सफलता से दोनों देशों के उभयपक्षीय संबंधों पर कितना दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जिस तरह से इस कार्यक्रम में आने की सहमति दी है, उसे अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भारत की तेजी से मजबूत और प्रभावी बनती छवि का सूचक माना जा रहा है. भारत के प्रधानमंत्री को अमेरिका द्वारा इतना महत्व देने का संदेश द्विपक्षीय संबंधों के साथ- साथ अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण है. जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों के तनाव और चीन के पाकिस्तान के साथ खड़े होने के माहौल में ट्रम्प का खुलकर भारतीय प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा करने का निश्चित ही बड़ा संदेश होगा, खास तौर पर कश्मीर मुद्दे का पाकिस्तान जिस तरीके से लगातार हर मोर्चे पर अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिशें कर रहा है, उस से वह और बेनकाब होगा और भारत के पक्ष को और मजबूती मिलेगी.
वैसे भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होती सामरिक साङोदारी के साथ-साथ हाउडी कार्यक्र म से पहले एक अहम संकेत भी आया है कि दोनों देशों के बीच व्यापार शुल्क को लेकर जो तनाव चल रहा है, उसका कुछ हद तक समाधान होने की संभावना है. ट्रम्प ने कल ही कहा कि इस रैली में वे कुछ ऐलान कर सकते हैं. दरअसल व्यापार मुद्दों को ले कर तनाव दूर करना जहां भारत की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है वहीं ट्रम्प के लिए भी राजनैतिक तौर पर इसका समाधान अथवा कम करने का रास्ता निकालना जरूरी सा है.चीन के साथ अमेरिका का व्यापार युद्ध चल ही रहा है, ऐसे में भारत के साथ तनाव को कम करने की दिशा में प्रगति होने के उन्होंने संकेत दिए हैं.
भारत और अमेरिका के लिए इस कार्यक्र म की अहमियत की बात करें तो इस आयोजन में ट्रम्प की मौजूदगी अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए अमेरिका में उनके बढ़ते प्रभाव का सूचक तो है ही, दूसरी तरफ आर्थिक मोर्चे के साथ अन्य मोर्चे पर उथल-पुथल का सामना कर रही मोदी सरकार इससे प्रधानमंत्री मोदी की विश्व नेता के रूप में मजबूत होती स्थिति का फायदा ले सकेगी. उधर, भारत के बाजार में पैठ मजबूत बनाने के प्रयासों के साथ ट्रम्प की अपनी राजनीति के लिए भी यह फायदे का सौदा है. इस वर्ष वे राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से दूसरी बार उम्मीदवार बनने की राह में हैं. भारतीय मूल के लोगों की भूमिका वहां के प्रशासन और राजनीति में खासी प्रभावी होती जा रही है. ट्रम्प के लिए यह कार्यक्रम भारतीय मूल के वोटरों को आकर्षित करने की रणनीति का भी हिस्सा है. भारतीय मूल के अमेरिकी परंपरागत रूप से डेमोक्रेट पार्टी को ज्यादा वोट देते रहे हैं. डेमोक्रेट के प्रति यह मत समर्थन लगभग 65 से 70 प्रतिशत का माना जा रहा है. लेकिन इस बार के चुनाव में ट्रम्प ने जो गणना की है, उसमें भारतीय मूल के मतदाताओं को जोड़ना भी शामिल है. अमेरिका में भारतवंशियों की संख्या लगभग 40 लाख है जिसमें लगभग 20 लाख मतदाता हैं. यह आंकड़ा अहम है.
इस कार्यक्रम में अमेरिकी संसद के दोनों सदनों के 50 से ज्यादा सांसद शामिल हो रहे हैं जिनमें रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेट दोनों हैं. एक और दिलचस्प बात यह है कि डेमोक्रेट पार्टी इस समय टेक्सास पर ध्यान दे रही है. पारंपरिक तौर पर रिपब्लिकन पार्टी को वोट देते रहे इस राज्य को वह अपने पक्ष में करना चाहती है. लेकिन ट्रम्प के लिए टेक्सास को अपने पास रखना अहम है. यहां के दो शहरों ह्यूस्टन और डलास में ही भारतीय मूल के 2 लाख 70 हजार लोग रहते हैं. ट्रम्प का मोदी के कार्यक्र म में आना भारतीय मूल के लोगों को ख़ुश करने और भारतीय मूल के वोटरों को अपने पक्ष में करने का ही एक तरीका है.
बहरहाल, नजर इस बात पर रहेगी कि किसी रॉक स्टार के कार्यक्रम जैसा यह समारोह जिसे वहां का भारतीय समुदाय अपने पुरखों के देश के प्रधानमंत्री के सम्मान में आयोजित कर रहा है और अमेरिकी राष्ट्रपति पहली बार ऐसे समारोह में मौजूद रहेंगे, प्रभावों और परिणामों की दृष्टि से दूरगामी महत्व वाला हो सकता है. देखना है कि उसका दीर्घकालिक रिश्तों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.