ब्लॉग: मोदी ऐसे कर रहे हैं 2024 के चुनाव की तैयारी

By हरीश गुप्ता | Published: November 16, 2023 03:44 PM2023-11-16T15:44:39+5:302023-11-16T15:49:05+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा की किस्मत चमकाने के लिए पांच में से चार चुनावी राज्यों में एक के बाद एक रैलियों कर रहे हैं और साथ ही 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी एक-एक वोट अपनी झोली में लगातार डाल रहे हैं।

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फाइल फोटो

Highlightsप्रधानमंत्री मोदी पांच राज्यों में से चार में भाजपा को सत्ता दिलाने के लिए ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैंइन्ही रैलियों के क्रम में वो 2024 के आम चुनाव के लिए अपनी जमीन को मजबूत बना रहे हैंइसलिए वो आदिवासी और अन्य वर्गों को लुभाने के लिए गैर-चुनावी राज्यों की भी यात्राएं कर रहे हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही भारतीय जनता पार्टी की किस्मत चमकाने के लिए पांच में से चार चुनावी राज्यों में एक के बाद एक रैलियों को संबोधित कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी एक-एक वोट अपनी झोली में डालने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। वह आदिवासी और अन्य वर्गों को लुभाने के लिए गैर-चुनाव वाले राज्यों की यात्राएं भी कर रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषक इस बात से हैरान हैं कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) हाल ही में अचानक झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ शांत बैठ गया है। वैसे, सच यह है कि सोरेन को अदालत से कोई राहत नहीं मिली और उम्मीद थी कि सोरेन को जल्द ही गिरफ्तार किया जा सकता है लेकिन ईडी ने चुप रहने का विकल्प चुना है।

फिलहाल भाजपा नेतृत्व भी उन पर उतनी मुखरता से हमला नहीं कर रहा है, जितना पहले करता रहा है। उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी और भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास को ओडिशा के राज्यपाल पद से हटा दिया गया है। क्या झारखंड में कोई खास रणनीति बन रही है? ऐसा लगता है कि भाजपा उन राज्यों को मजबूत करने की योजना पर काम कर रही है जहां वह सत्ता में नहीं है और लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए बेताब है।

‘ऑपरेशन महाराष्ट्र’ भी उसी रणनीति का हिस्सा था, जहां भाजपा 2024 में अपने लोकसभा प्रदर्शन को दोहराने को लेकर चिंतित थी। कर्नाटक में इसी रणनीति के तहत ऑपरेशन चल रहा है। भाजपा ने अब लोकसभा चुनाव में सभी 28 लोकसभा सीटें जीतने के लिए जनता दल (एस) नेता एचडी देवेगौड़ा के साथ गठबंधन किया है।

यह अलग बात है कि इसके चलते पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद डीवी सदानंद गौड़ा को चुनावी राजनीति छोड़ने की घोषणा करनी पड़ी। वह उसी वोक्कालिगा समुदाय से हैं, जिससे एचडी देवेगौड़ा का संबंध है।

हालांकि सदानंद गौड़ा की उम्र 75 वर्ष की तयशुदा आयु से काफी कम हैं, लेकिन उन्होंने संन्यास लेने का विकल्प चुना। जाहिर है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अपने 2019 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर भरोसा करने का फैसला किया है। उस समय उन्होंने 25 सीटें जीती थीं।

मध्य प्रदेश में भाजपा बनाम भाजपा

अगर आप सोच रहे हैं कि मध्य प्रदेश में भाजपा नेतृत्व कांग्रेस से लड़ रहा है, तो आप गलत साबित हो सकते हैं। नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, राकेश सिंह और प्रह्लाद पटेल जैसे चार प्रमुख केंद्रीय नेताओं को मैदान में उतारने की पार्टी की रणनीति से अधिक लाभ नहीं हो पा रहा है।

टीवी चैनलों का फोकस शायद कमल नाथ और दिग्विजय सिंह की तकरार पर है लेकिन बारीकी से देखने पर पता चलेगा कि भाजपा में प्रतिद्वंद्वी गुट इनमें से कुछ प्रमुख नेताओं को हराने के लिए काम कर रहे हैं। इसमें संदेह नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह राज्य को अपने पास बरकरार रखने के लिए मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में रैलियों को संबोधित कर रहे हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए एक के बाद एक ‘रेवड़ियां’ बांट रहे हैं लेकिन शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है।

भाजपा में यह दबी जुबान से कहा जा रहा है कि अगर राज्य में पार्टी जीतती है, तो मुख्य मंत्री का ताज प्रह्लाद पटेल पहनेंगे, न कि चौहान। तोमर के बेटे से संबंधित वीडियो का सामने आना भाजपा की आंतरिक कलह का हिस्सा है क्योंकि मौजूदा दौर में जहां सत्तारूढ़ पार्टी के पास ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स जैसे शस्त्रागार हैं, किसी भी कांग्रेस नेता में फर्जी वीडियो फैक्ट्री चलाने की हिम्मत नहीं है। एक नहीं बल्कि तीन वीडियो सामने आने से भाजपा सकते में है।

यह भी कोई राज नहीं है कि कांग्रेस का राज्य नेतृत्व ज्योतिरादित्य सिंधिया के सभी उम्मीदवारों को हराने की तैयारी कर रहा है, जिन्होंने कमल नाथ सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भाजपा के कुछ नेता अप्रत्यक्ष रूप से इस मिशन में कांग्रेस की मदद कर रहे हैं। स्थितियां जटिल हैं और विधानसभा चुनावों में केंद्रीय नेताओं को मैदान में उतारने की भाजपा की रणनीति विफल होती दिख रही है।

राहुल के घुटनों की परेशानी

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के पहले चरण ने उन्हें व्यक्तिगत और राजनीतिक रूप से भरपूर लाभ पहुंचाया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अपनी ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत करने के लिए बेताब थे लेकिन घोषणा में देरी हुई क्योंकि पिछले साल कन्याकुमारी से कश्मीर तक ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के दौरान पैदल चलने के दौरान उन्हें घुटनों में समस्या हो गई थी।

उन्हें 21 जुलाई को कोट्टक्कल आर्य वैद्य शाला में भर्ती कराया गया और एक सप्ताह के बाद छुट्टी दी गई। अब यात्रा के दूसरे चरण का कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है लेकिन इस मामले में एक पेंच है। वह सड़कों पर बहुत ज्यादा नहीं चलेंगे क्योंकि वह पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं और डॉक्टरों ने उन्हें कंक्रीट सड़कों या दूसरी जगहों पर अधिक चलने से बचने की सलाह दी है।

वह अन्य चिकित्सा विशेषज्ञों से भी इलाज करा रहे हैं, लेकिन अभी कोई फायदा नहीं हुआ है। अब यह निर्णय लिया गया है कि वह एक दिन में एक घंटे से अधिक समय तक पैदल चलने के बजाय खुली जीप, बस या यात्रा के अन्य साधनों का उपयोग करेंगे। यात्रा के पहले चरण में वह अधिकतर पैदल चलते थे जिसके कारण उनके घुटने चोटिल हो गए हैं।

महुआ का बुरा समय

भले ही तृणमूल कांग्रेस पार्टी नेतृत्व ने लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा को उनके जिले में पार्टी का एक महत्वपूर्ण पद दिया हो, लेकिन उसका बुरा दौर अभी खत्म नहीं हुआ है। आचार समिति की सिफारिशों के अनुसार मोइत्रा को लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ेगी।

विशेषज्ञों की राय है कि किसी बाहरी व्यक्ति के साथ अपना आधिकारिक लॉगिन साझा करना इस कार्रवाई के लिए पर्याप्त है। उपहार, नवीकरण और वस्तुओं और नकदी के संदर्भ में जांच चल रही है, इस क्रम में महुआ को बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन भाग्य ने महुआ का साथ नहीं दिया और इस बातचीत से उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ।

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