ब्लॉग: छात्रों में जगानी होगी विज्ञान के प्रति रुचि

By प्रमोद भार्गव | Published: July 7, 2023 02:14 PM2023-07-07T14:14:52+5:302023-07-07T14:16:27+5:30

वैज्ञानिकों को लुभाने की सरकार की अनेक कोशिशों के बावजूद देश के लगभग सभी शीर्ष संस्थानों में वैज्ञानिकों की कमी बनी हुई है। वर्तमान में देश के 70 प्रमुख शोध-संस्थानों में 3200 वैज्ञानिकों के पद खाली हैं। बेंगलुरु के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) से जुड़े संस्थानों में सबसे ज्यादा 177 पद रिक्त हैं।

Blog: Students will have to be interested in science | ब्लॉग: छात्रों में जगानी होगी विज्ञान के प्रति रुचि

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsदेश के लगभग सभी शीर्ष संस्थानों में वैज्ञानिकों की कमी बनी हुई हैदेश के 70 प्रमुख शोध-संस्थानों में 3200 वैज्ञानिकों के पद खाली हैंसीएसआईआर से जुड़े संस्थानों में सबसे ज्यादा 177 पद रिक्त हैं

नई दिल्ली: एक ताजा अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि दक्षिण भारत के विद्यार्थी जहां विज्ञान विषय को प्राथमिकता देते हैं, वहीं उत्तर भारत के विद्यार्थी कला संबंधी विषयों में रुचि लेते हैं। अध्ययन के अनुसार 2022 में कक्षा 11-12 के विभिन्न राज्य शिक्षा मंडलों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में क्रमश: 1.53, 2.01 और 2.19 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कला के विषयों को महत्व दिया जबकि पश्चिम-बंगाल, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और झारखंड में विज्ञान क्रमश: 13.42, 13.71, 15.63, 18.33 और 22.9 फीसदी विद्यार्थियों की पहली पसंद रहे।

इसके ठीक विपरीत कला को गुजरात में 81.5, बंगाल में 78.94, पंजाब में 72.89, हरियाणा में 76.76 और राजस्थान में 71.23 प्रतिशत विद्यार्थियों ने प्राथमिकता दी। एनसीईआरटी का सहयोगी विभाग ‘परख’ इन आंकड़ों का सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विश्लेषण करेगा। लेकिन समाज और शिक्षाशास्त्रियों को भी इन आंकड़ों पर विचार करने की जरूरत है। ऐसे समय में जब विज्ञान और तकनीक व्यक्ति और समाज को हर स्तर पर प्रभावित कर रहे हैं और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का हस्तक्षेप निरंतर बढ़ रहा है, तब विज्ञान और कला विषयों को लेकर यह अनुपात चिंताजनक क्यों है ? यह विसंगति इस तथ्य को भी दर्शाती है कि भारत में वैज्ञानिकों की कमी के मूल में क्या कारण है और मौलिक आविष्कार के क्षेत्र में पेटेंट की संख्या क्यों नहीं बढ़ रही।

वैज्ञानिकों को लुभाने की सरकार की अनेक कोशिशों के बावजूद देश के लगभग सभी शीर्ष संस्थानों में वैज्ञानिकों की कमी बनी हुई है। वर्तमान में देश के 70 प्रमुख शोध-संस्थानों में 3200 वैज्ञानिकों के पद खाली हैं। बेंगलुरु के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) से जुड़े संस्थानों में सबसे ज्यादा 177 पद रिक्त हैं। पुणे की राष्ट्रीय रसायन प्रयोगशाला में 123 वैज्ञानिकों के पद खाली हैं। देश के इन संस्थानों में यह स्थिति तब है, जब सरकार ने पदों को भरने के लिए कई आकर्षक योजनाएं शुरू की हुई हैं। इनमें रामानुजन शोधवृत्ति, सेतु-योजना, प्रेरणा-योजना और विद्यार्थी-वैज्ञानिक संपर्क योजना शामिल हैं।

महिलाओं के लिए भी अलग से योजनाएं हैं। इनमें शोध के लिए सुविधाओं का भी प्रावधान है। इसके साथ ही प्रदेश में कार्यरत वैज्ञानिकों को स्वदेश लौटने पर आकर्षक पैकेज देने के प्रस्ताव दिए जा रहे हैं। बावजूद न तो छात्रों में वैज्ञानिक बनने की रुचि पैदा हो रही है और न ही विदेश से वैज्ञानिक लौट रहे हैं। एक समय था जब विज्ञान संस्थानों में धन की कमी थी। लेकिन अब संस्थानों में धन और संसाधनों की कमी नहीं रह गई है। बावजूद युवा विज्ञान से किनारा कर रहे हैं। यही वजह है कि जो शोध हो रहे हैं, उनमें पूर्व में ही हो चुके कार्यों को अदल-बदलकर दोहराया जा रहा है।

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