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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: अब ईमानदार करदाताओं का ध्यान रखना जरूरी

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: February 21, 2020 07:19 IST

देश में टैक्स सुधार के एक महत्वपूर्ण कदम के तहत देश के आर्थिक इतिहास में पहली बार 5 फरवरी को वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण ने प्रत्यक्ष कर विवादों के समाधान की विवाद से विश्वास योजना को लागू करने के लिए लोकसभा में प्रत्यक्ष कर विधेयक पेश किया था.

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इन दिनों अर्थविशेषज्ञ यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि जब देश प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) सरलीकरण की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, तब उन लोगों पर सख्ती भी जरूर की जानी चाहिए, जो अच्छी कमाई करने के बाद भी टैक्स नहीं दे रहे हैं या फिर किसी तरह से हेराफेरी करके कम टैक्स दे रहे हैं. यदि सरकार उपयुक्त रूप से करदाताओं की संख्या बढ़ाएगी तो इसका लाभ अधिक कर बोझ का सामना कर रहे ईमानदार करदाताओं को मिलेगा. प्रत्यक्ष कर का मतलब ऐसे कर से है, जो सीधा किसी कंपनी की आय, व्यक्ति की आय, संपत्ति व अन्य मदों पर लगाया जाता है. करों में कॉर्पाेरेट टैक्स और आयकर के अलावा पूंजीगत लाभ कर, संपत्ति कर, उपहार कर और कई अन्य शुल्क शामिल हैं.

गौरतलब है कि हाल ही में 12 फरवरी को प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश प्रत्यक्ष कर सुधार (डायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म) की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. देश में कर प्रणाली को पिछले 4-5 सालों से लगातार सरल बनाया जा रहा है. करदाताओं के अधिकारों को स्पष्टता से परिभाषित करने वाला करदाता चार्टर भी शीघ्र ही लागू होगा. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि देश के 130 करोड़ लोगों में से सिर्फ 1.5 करोड़ लोग ही आयकर देते हैं. स्थिति यह है कि देश के केवल 3 लाख लोगों ने ही अपनी आय 50 लाख रुपए से अधिक घोषित की है. केवल 2200 प्रोफेशनल लोग ही अपनी आय एक करोड़ से अधिक घोषित करते हैं जबकि पिछले 5 साल में 3 करोड़ लोग व्यापार के सिलसिले में या घूमने के लिए विदेश गए हैं तथा पिछले पांच वर्षो में 1.5 करोड़ से ज्यादा महंगी कारें खरीदी गई हैं. उन्होंने यह भी कहा कि बहुत सारे लोगों द्वारा आयकर का भुगतान नहीं किया जाता है. ऐसे में उनके कर नहीं देने का भार ईमानदार करदाताओं पर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि लोग ईमानदारी से कर देने का संकल्प लें.

यदि हम आयकर संबंधी आंकड़ों का अध्ययन करें तो पाते हैं कि वेतनभोगी लोगों ने पिछले वित्त वर्ष में औसतन 76306 रुपए का कर चुकाया था, जबकि पेशेवर और कारोबारी करदाताओं के मामले में यह औसतन 25753 रु पए था. इतना ही नहीं वेतनभोगी लोगों का कुल कर संग्रह का आकार पेशेवरों और कारोबारी करदाताओं के द्वारा चुकाए गए कर का करीब तीन गुना था. ऐसे में अर्थविशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि वेतनभोगी वर्ग नियमानुसार अपने वेतन पर ईमानदारीपूर्वक आयकर चुकाता है और आमदनी को कम बताने की गुंजाइश नगण्य होती है,  ऐसे में जो लोग विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं और विलासिता की वस्तुओं का उपयोग करते हैं, ऐसे कर नहीं देने वाले लोगों की आमदनी का सही मूल्यांकन करते हुए उन्हें नए करदाता के रूप में चिन्हित किया जाना चाहिए. साथ ही जो वास्तविक कमाई से कम पर आयकर देते हैं, उन्हें भी चिन्हित करके अपेक्षित आयकर चुकाने के लिए बाध्य कियाजाना चाहिए.

नि:संदेह देश में इस समय एक के बाद एक प्रत्यक्ष कर सुधार दिखाई दे रहे हैं. उनके पूर्ण और सार्थक लाभ तभी दिखाई देंगे, जब करदाता ईमानदारी के साथ आगे बढ़ेंगे. यह बात उल्लेखनीय है कि 1 फरवरी, 2020 को वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण के द्वारा प्रस्तुत किए गए वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में प्रत्यक्ष कर सुधार की तीन बड़ी बातें चमकते हुए दिखाई दे रही हैं. एक, प्रत्यक्ष कर विवादों के समाधान के लिए विवाद से विश्वास योजना. दो, अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए उपभोग खर्च बढ़ाने वाली आयकर की नई व्यवस्था. तीन, करदाताओं के अधिकारों के लिए करदाता चार्टर को लागू करना.

देश में टैक्स सुधार के एक महत्वपूर्ण कदम के तहत देश के आर्थिक इतिहास में पहली बार 5 फरवरी को वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण ने प्रत्यक्ष कर विवादों के समाधान की विवाद से विश्वास योजना को लागू करने के लिए लोकसभा में प्रत्यक्ष कर विधेयक पेश किया था. फिर अब उसे आकर्षक और व्यापक दायरे वाली योजना बनाने के लिए 12 फरवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है.

उल्लेखनीय है कि प्रत्यक्ष कर विवादों के मामलों में 30 नवंबर, 2019 तक 9.32 लाख करोड़ रु. का कर फंसा हुआ है. ऐसे में प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना से आर्थिक सुस्ती से निपटने की डगर पर आगे बढ़ रही देश की अर्थव्यवस्था को जहां एक बड़ी धनराशि उपलब्ध होगी और मुकदमों पर सरकार का होने वाला खर्च घटेगा, वहीं चूककर्ता करदाताओं को बिना किसी भेदभाव के फार्मूला आधारित समाधान मिलेगा और उनके कर भुगतान संबंधी तनाव में कमी आएगी. साथ ही करदाताओं की संख्या बढ़ाई जा सकेगी.

हम आशा करें कि टैक्स सरलीकरण की डगर पर आगे बढ़ते हुए देश में करदाता भी ईमानदारी से कर देने की डगर पर आगे बढ़ते हुए दिखाई देंगे. इससे जहां देश के ईमानदार करदाता लाभान्वित होंगे, वहीं इससे देश की अर्थव्यवस्था भी गतिशील होगी. हम यह भी आशा करें कि जब सरकार प्रत्यक्ष कर सरलीकरण की डगर पर आगे बढ़ रही है तब यदि लोग ईमानदारी से कर चुकाते हुए न दिखाई दें तो सरकार टैक्स वसूली की अपील से ज्यादा टैक्स वसूली की सख्ती की डगर पर आगे बढ़ेगी.  

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