सारंग थत्ते का ब्लॉगः पायलटों की मौत का जिम्मेदार कौन?

By सारंग थत्ते | Updated: February 5, 2019 08:07 IST2019-02-05T08:07:21+5:302019-02-05T08:07:21+5:30

हमने सिर्फ एक विमान इस हादसे में नहीं खोया बल्कि दो पायलट खो दिए हैं, जिन पर लड़ाकू विमान को प्रमाणित करने के लिए की जाने वाली उड़ान का दायित्व था.

Blog of Sarang Thatta: Who is responsible for the death of pilots? | सारंग थत्ते का ब्लॉगः पायलटों की मौत का जिम्मेदार कौन?

सारंग थत्ते का ब्लॉगः पायलटों की मौत का जिम्मेदार कौन?

भारतीय वायुसेना ने 1984 में फ्रांस के दसॉल्ट एविएशन से मिराज-2000 विमान खरीदे थे. शुक्रवार के हादसे के बाद अब वायुसेना के पास 48 लड़ाकू विमान मिराज-2000 रह गए हैं अर्थात् लगभग 3 स्क्वाड्रन. शुक्रवार को एक मिराज बेंगलुरु में टेस्ट उड़ान के दौरान क्षतिग्रस्त हुआ और दोनों पायलटों की मौत हुई. हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स, बेंगलुरु के जिम्मे फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट के साथ मिलकर मिराज-2000 लड़ाकू विमानों को बेहतर बनाने के लिए उन्नयन के दौर का कार्यक्रम चल रहा है.

हमने सिर्फ एक विमान इस हादसे में नहीं खोया बल्कि दो पायलट खो दिए हैं, जिन पर लड़ाकू विमान को प्रमाणित करने के लिए की जाने वाली उड़ान का दायित्व था. स्क्वाड्रन लीडर समीर अबरोल और सिद्धार्थ नेगी भारतीय वायुसेना की उन्नत सीख के साथ टेस्ट पायलट बनने की सभी सीढ़ियां पार चुके थे.  अनुभवी युवा पायलट सिर्फ 33 और 31 वर्ष की आयु के थे. हादसे वाले दिन सिद्धार्थ का जन्म दिन था.  

हादसे की तहकीकात के लिए कोर्ट ऑफ एनक्वायरी का हुक्म हो चुका है. लेकिन कागज पर दर्ज होने वाली इस फौजी एनक्वायरी में क्या सिद्ध होगा, शायद हम और आप तक वह नहीं पहुंचेगा. लेकिन आज देश बहुत से सवालों के उत्तर मांग रहा है. भारतीय वायुसेना का हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स से आपस का साथ स्वतंत्नता के बाद से ही बना हुआ है, लेकिन आपसी रिश्ते ज्यादा सौहाद्र्रपूर्ण नहीं हैं. सार्वजनिक क्षेत्न के उपक्रम - हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स - एचएएल  के बहीखाते में कई ऐसे अध्याय लिखे गए हैं जहां उनकी काबिलियत पर सवाल पूछे जाते रहे हैं.  मिराज-2000 इस समय अपने  उन्नतिकरण के दौर से गुजर रहा है. इस कार्य में भी लगभग पांच वर्षो की देरी रही है. भारतीय वायुसेना प्रमुख ने भी एचएएल में हो रही देरी पर लताड़ा है एवं अपने प्रश्न रखे हैं.  

विशेषज्ञ मानते हैं कि एचएएल के अपने पायलटों द्वारा स्वीकृति  देने के बाद ही भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट विमान को उड़ाने की प्रक्रिया में आते हैं. इस पूरे हादसे में कई एजेंसियां हैं, जिन्हें सवाल जवाब के दायरे में शामिल होना पड़ेगा. स्वतंत्नता के बाद से अब तक एचएएल के खाते में भारत में बने  ऐसे 17 विमान हैं जो टेस्टिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं.

यह तो तय है कि इस हादसे के बाद एचएएल की आगे की राह आसान नहीं होगी. जवाबदेही की उच्च स्तरीय जांच होना लाजमी है. एचएएल स्वयं इस समय धन के आवंटन के एक बेहद निचले स्तर से गुजर रहा है. भारतीय वायुसेना से पुराने लेनदेन में बकाया राशि आना है, कर्मचारियों को वेतन एवं अन्य भत्ताें के लिए भी कमी देखी गई है.   एचएएल की क्षमता से देश को अभी बहुत कुछ उम्मीद है. पर कैसे पूरा होगा यह सपना?

Web Title: Blog of Sarang Thatta: Who is responsible for the death of pilots?

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