सारंग थत्ते का ब्लॉग: नई सरकार की प्राथमिकता में होने चाहिए रक्षा क्षेत्र के मुद्दे

By सारंग थत्ते | Published: May 26, 2019 07:11 AM2019-05-26T07:11:12+5:302019-05-26T07:11:12+5:30

नई सरकार को इस कमी को पूरा करने के लिए तुरंत कदम उठाने पड़ेंगे. दूसरी प्रमुख बात है कि वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले खर्च न किए गए धन को वापस सरकार की तिजोरी में डालने की प्रथा वर्षो से चली आ रही है.

Blog of Sarang Thatta: New government's priority should be in defense sector issues | सारंग थत्ते का ब्लॉग: नई सरकार की प्राथमिकता में होने चाहिए रक्षा क्षेत्र के मुद्दे

सारंग थत्ते का ब्लॉग: नई सरकार की प्राथमिकता में होने चाहिए रक्षा क्षेत्र के मुद्दे

आ ने वाले सप्ताह में मोदी सरकार का नया कार्यकाल आरंभ होने जा रहा है. देश ने एक बार फिर भारी बहुमत से जीत का परचम प्रधानमंत्नी की नीतियों और कार्यपद्धति को देखकर दिया है. सेना मुख्यालय में मौजूद शीर्ष अधिकारियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं - नया रक्षा मंत्नी कौन होगा? क्या निर्मला सीतारमण अपने दफ्तर में वापस लौट कर आएंगी? रक्षा राज्यमंत्नी का कार्यभार किसे सौंपा जाएगा? भाजपा का शपथ ग्रहण समारोह 30 मई के लिए चिह्न्ति किया गया है. तीनों सेना प्रमुखों को नए रक्षा मंत्नी से मंत्नणा करनी होगी. यदि नए चेहरे का आगमन साउथ ब्लॉक में होता है तब वार्ताओं का दौर और रक्षा प्रतिष्ठानों के दौरे बढ़ जाएंगे. 

स सबके बीच रक्षा क्षेत्न से जुड़े कई पुराने और नए प्रश्नों से रक्षा मंत्नी रू-ब-रू होंगे. देश की सुरक्षा को एक प्रमुख मुद्दा मानकर इस चुनाव में विजय घोष का डंका न चाहते हुए भी बजा था. सेना का हर तीसरा जवान जो सीमा पर मौजूद है उसके मन में भी अनेक विचार उभरकर सामने आ रहे हैं. उसके पास मौजूद हथियार और रहने के संसाधन की वह आजमाइश कर स्वयं उसमें मौजूद कमियों से जूझ रहा है. उसे पूरा भरोसा है कि भारत देश की इतनी बड़ी सेना की जरूरतों को धीरे-धीरे पूरा होते देख पाएगा.

लड़ाकू हेलिकॉप्टर और विमानों के नए मॉडल, पनडुब्बियों के नए अवतार, छोटे और बुलेटप्रूफ वाहन, रशियन टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां, अचूक मारक क्षमता के हथियार, गोलाबारूद का बेहतर प्रबंधन, बुलेट प्रूफ जैकेट की कमी की पूर्णता, नाइट विजन दूरबीन, नई पीढ़ी के संचार के साधन, मौसम की मार से बचने के प्रबंध, उच्च दाब और कम तापमान में डिब्बा बंद राशन, सभी फॉरवर्ड पोस्टों पर चिकित्सा सुविधा, परिवार के लिए किए जा रहे निरंतर प्रयत्न में अपेक्षित सुधार/बदलाव की उम्मीद उसे अपने अडिग ध्येय से पीछे नहीं हटने देते. उसे विश्वास है अपने देश की बागडोर संभालने वाली सरकार पर. 

सीमा पार से मौजूद खतरे को देखते हुए भारतीय सेना के लिए प्रस्तावित रक्षा बजट की कमी वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को खल रही है और सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी इस मुद्दे पर अब तक कई बार लिख चुके हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि देश के रक्षा बजट में इजाफा किए जाने की जरूरत है. 1 फरवरी 2019 को वित्त मंत्नी ने देश के लिए 2019-20 के लिए 2784200 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया था.

इसमें से 318931.22 करोड़ रुपए रक्षा मंत्नालय को दिया गया है. पिछले वर्ष की तुलना में यह संख्या 7.93 प्रतिशत ज्यादा है. आधुनिकीकरण के लिए 108248.80 करोड़ रुपए रखे गए हैं. हर वर्ष बढ़ने वाली सैन्य पेंशन के लिए 112079.57 करोड़ रुपए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि देश की मौजूदा और भविष्य की जरूरतों के मद्देनजर आधुनिकीकरण के लिए दिए गए पूंजीगत व्यय के लिए बेहद कम धन मुहैया किया जा सकेगा.

दरअसल, हमारी पुरानी खरीद की देनदारी में ही इस वर्ष की 90 प्रतिशत पूंजी इस्तेमाल हो जाएगी. रक्षा मंत्नालय को अपनी जरूरत के अनुसार संशोधित अनुमान वित्त मंत्नालय को भेजना ही होगा, जिसे पारित करने के अथक प्रयास करने पड़ेंगे.

नई सरकार को इस कमी को पूरा करने के लिए तुरंत कदम उठाने पड़ेंगे. दूसरी प्रमुख बात है कि वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले खर्च न किए गए धन को वापस सरकार की तिजोरी में डालने की प्रथा वर्षो से चली आ रही है. अमूमन 10 से 15 प्रतिशत सालाना खर्च के पैसे बच जाते हैं. इसकी प्रमुख वजह है कि सभी सौदे समय से पूरे नहीं हो पाते एवं रक्षा मंत्नालय को खर्च पर रोकथाम लगानी पड़ती है. इसके लिए जरूरी है कि एक किस्म का ‘रोल ओवर’ फंड बनाया जाए- विशेष रूप से रक्षा क्षेत्न के लिए, जिससे नए वित्त वर्ष में सेना इस जमा की हुई राशि का उपयोग कर सके. 

Web Title: Blog of Sarang Thatta: New government's priority should be in defense sector issues

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे