ललित गर्ग का ब्लॉग: युद्ध नहीं, शांति का उजाला हो

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 21, 2019 09:48 IST2019-03-21T09:48:15+5:302019-03-21T09:48:15+5:30

विश्व परमाणु हथियारों के ढेर पर खड़ा है। दुनिया हिंसा, आयुधों एवं आतंकवाद की लपटों से झुलस रही है। सत्ता का मद, अर्थ प्रधान दृष्टिकोण, सुविधावादी मनोवृत्ति, उपभोक्ता संस्कृति, साम्प्रदायिक कट्टरता, जातीय विद्वेष आदि हथियारों ने मानवता की काया में न जाने कितने गहरे घाव किए हैं।

Blog of Lalit Garg: No war, light of peace | ललित गर्ग का ब्लॉग: युद्ध नहीं, शांति का उजाला हो

ललित गर्ग का ब्लॉग: युद्ध नहीं, शांति का उजाला हो

दुनिया के अनेक राष्ट्र युद्ध के लिए तत्पर हैं, यह जानते हुए भी कि युद्ध तबाही के सिवाय कुछ नहीं दे सकता। ऐसे में, हमें यह विचार करने की जरूरत है कि हम आखिर युद्ध क्यों चाहते हैं? युद्ध से हम क्या हासिल कर पाएंगे? 

विश्व परमाणु हथियारों के ढेर पर खड़ा है। दुनिया हिंसा, आयुधों एवं आतंकवाद की लपटों से झुलस रही है। सत्ता का मद, अर्थ प्रधान दृष्टिकोण, सुविधावादी मनोवृत्ति, उपभोक्ता संस्कृति, साम्प्रदायिक कट्टरता, जातीय विद्वेष आदि हथियारों ने मानवता की काया में न जाने कितने गहरे घाव किए हैं। हिंसक एवं आतंकी शक्तियां संगठित होकर सक्रिय हैं, जबकि अहिंसक शक्तियां न संगठित हैं, न सक्रिय। यह चिंतनीय स्थिति समूची दुनिया के लिए एक संकट बनी है।

युद्ध, संघर्ष, आतंकवाद- ये सब क्रूरता के ही पर्याय हैं, क्रूरता के ही उत्पाद हैं। इसका एकमात्न विकल्प एवं समाधान अहिंसा है। विडम्बनापूर्ण स्थिति यह है कि न चाहते हुए भी हिंसा एवं युद्ध पर तो व्यापक प्रयोग एवं प्रशिक्षण हो रहे हैं, जबकि आवश्यकता अहिंसा के प्रयोग एवं प्रशिक्षण की है। मनुष्य के सामने समस्याएं क्या हैं? रोटी, कपड़ा, शिक्षा और चिकित्सा- ये मनुष्य की न्यूनतम आवश्यकताएं हैं। इनकी पूर्ति के लिए धन की अपेक्षा रहती है। युद्ध का इतिहास यही बताता है कि उसने साम्राज्यवाद को फैलाया है। लोगों के श्रम का शोषण, प्राकृतिक संसाधनों की लूट या युद्ध सामग्री का व्यापार बढ़ाने के लिए ही युद्ध किया जाता रहा है। युद्ध ने समाज और देश को हमेशा तबाही दी है। युद्ध हमेशा एक साजिश के तहत लादा जाता रहा है। युद्ध आम व्यक्ति की मूलभूत जरूरतों यानी रोजगार, आर्थिक संसाधन, शिक्षा, चिकित्सा में कटौती करके ही अंजाम दिया जाता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य क्या करे? आज इससे भी बड़ी समस्या है आतंकवाद की। इसे सुलझाने के सारे प्रयास असफल हो रहे हैं।

हमारी दृष्टि में इस समस्या का समाधान है अहिंसा। काश! मनुष्य अहिंसा की उपयोगिता एवं अनिवार्यता को समङो और उसे जीवन व्यवहार के साथ जोड़े। समस्याओं की तपती आग को बुझाने के लिए अहिंसा एवं शांति रूपी पानी ढूंढना है। इसके लिए ईमानदार प्रयत्नों को परिणामों तक पहुंचाना है। युद्ध एवं आतंक की आंधी को शांत करने की इस लड़ाई में अब हमें शस्त्न नहीं, संकल्प चाहिए। स्वप्न नहीं, सच चाहिए। कल्पना नहीं, कर्म चाहिए। प्रतीक्षा नहीं, परिणाम चाहिए। तभी सबके अभ्युदय का मार्ग प्रशस्त होगा।

Web Title: Blog of Lalit Garg: No war, light of peace

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