ब्लॉग: भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप है ‘शिवशक्ति’ नामकरण
By गिरीश्वर मिश्र | Published: August 29, 2023 10:41 AM2023-08-29T10:41:18+5:302023-08-29T10:47:16+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में चंद्रयान-3 की मुहिम के कठिन दायित्व वाले कार्य को अंजाम दे रहे और उससे गहनता से जुड़े वैज्ञानिकों के दल को संबोधित करते हुए आभार जताया है।
चंद्रयान-3 की अचूक सफलता ऐतिहासिक है और 23 अगस्त का दिन अविस्मरणीय हो गया है। चंद्रयान-3 की मुहिम के कठिन दायित्व वाले कार्य को अंजाम दे रहे और उससे गहनता से जुड़े वैज्ञानिकों के दल को बेंगलुरु में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बड़े भावुक स्वर में आभार जताया है।
प्रधानमंत्री ने इसरो के अध्यक्ष डॉक्टर एस सोमनाथ और यान से जुड़े सभी वैज्ञानिकों और तकनीकी सहयोगियों के समर्पित प्रयास को दिल से सराहा। वे दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की लंबी यात्रा समाप्त कर सीधे बेंगलुरु पहुंचे और वैज्ञानिकों से सहृदयता के साथ मिले। निश्चय ही ‘विक्रम’ और ‘प्रज्ञान’ ने पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहुंच कर वैज्ञानिक इतिहास में अपना स्थान बना लिया है।
सभी देशवासियों को इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर गर्व है। वहीं प्रधानमंत्री का वक्तव्य ज्ञान-विज्ञान के आग्रह और चिरंतन भारतीय संस्कृति के मूल्यों की चर्चा से ओतप्रोत था। उनके मन में देश को ज्ञान से आलोकित करने का संकल्प भी हिलोरें ले रहा था। वे प्रकट रूप से राजनीति से दूर वैज्ञानिक दल और उनके ज्ञान और कौशल के पराक्रम से अभिभूत लग रहे थे।
हृदय की गहराइयों से बोलते हुए मोदीजी ने यजुर्वेद के ‘शिव संकल्प सूत्र’ को स्मरण किया और सारे आयोजन के मूल में वे शिव संकल्प अर्थात् कल्याणप्रद संकल्प की उपस्थिति को रेखांकित कर रहे थे। आज जब हिंसा बेतहाशा बढ़ रही है इस तरह के विचार का प्रचार-प्रसार बेहद जरूरी हो रहा है।
हमारे मानस के भाव समस्त जगत के प्रति कल्याण की कामना से अनुप्राणित हों यह संकल्प आज की अनिवार्य आवश्यकता है और उसके लिए शक्ति सामर्थ्य भी चाहिए। वैसे भी शिव शक्ति का स्वाभाविक सायुज्य भारतीय मानस में चिर काल से प्रतिष्ठित है। इसी भाव को रेखांकित करते हुए लैंडर विक्रम के चंद्र - तल पर अवतरण स्थल को प्रधानमंत्री मोदी ने ‘शिवशक्ति’ के रूप में नामित किया है।
यह संतोष की बात है कि अंतरिक्ष की दुनिया में भारत के बढ़ते कदम सामरिक न होकर सकारात्मक पहल हैं। वे शांतिपूर्ण लक्ष्य से जुड़े हुए हैं और धरती की गुणवत्ता सुरक्षित और संवर्धित करने की दृष्टि से बड़े ही महत्वपूर्ण साबित होंगे। वैश्विक स्तर पर भारत की यह विशिष्ट उपलब्धि भारत ही नहीं सारी दुनिया के लिए मिसाल बन रही है।
दूर देश की यात्राओं के इस क्रम में आदित्य वेध शाला अगला कदम है। सूर्य को समझने की दिशा में बढ़ते कदम के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।