Blog: कवियों की जिम्मेदारी सर्वाधिक
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 10, 2018 12:03 PM2018-07-10T12:03:12+5:302018-07-10T12:03:12+5:30
आज हरिद्वार में कवि-सम्मेलन नहीं, कवियों का सम्मेलन हुआ। कवि सम्मेलन में हजारों-लाखों श्रोता होते हैं।
-वेदप्रताप वैदिक
आज हरिद्वार में कवि-सम्मेलन नहीं, कवियों का सम्मेलन हुआ। कवि सम्मेलन में हजारों-लाखों श्रोता होते हैं। यहां सिर्फ कवि थे। सारे भारत से आए लगभग सौ कवि! क्या आपने कभी सुना कि 100 कवि दुनिया में कहीं एक साथ इकट्ठे हुए हों? हरिद्वार के जयराम आश्रम में यह कवियों का तीसरा अखिल भारतीय अधिवेशन हुआ।
इस अधिवेशन की अध्यक्षता और मेजबानी ब्रह्मचारी ब्रह्मस्वरूपजी ने की। इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं कि इसके उद्घाटन के लिए कवि-बंधुओं ने मुङो निमंत्रित किया। कवियों के इस संगठन के संरक्षकों में स्व। बालकवि बैरागी, उदय प्रताप सिंह, डॉ। कुंवर बेचैन, सुरेंद्र शर्मा, प्रो। अशोक चक्रधर, डॉ। हरिओम पंवार जैसे प्रख्यात कवि शामिल रहे हैं।
इन कवियों ने अपने जीवन में लाखों-करोड़ों लोगों को अपने काव्यपाठ से प्रेरित और रोमांचित किया है। मैंने अपने संबोधन में कहा कि आप सब कविगण भारतीय लोकतंत्न के सच्चे प्रहरी हो। आप अपने आप में स्वायत्त और संप्रभु हो। जब आपको सुनने के लिए लाखों लोग इकट्ठे होते हैं और पूरी रात आपको सुनते हैं तो उनका दिलो-दिमाग कोरे कागज की तरह होता है। उन्हें पता रहता है कि आप ईमान की बात कहेंगे। आप निष्पक्ष हैं, सच्चे हैं, प्रामाणिक हैं। किसी दल या नेता के बंधक नहीं हैं। इसीलिए आपकी जिम्मेदारी नेताओं से भी ज्यादा हो जाती है।
नेताओं को लोग सिर्फ चुनाव के मौसम में सुनना पसंद करते हैं लेकिन आपके तो बारह मास बसंत होते हैं। मैं आपको लोक-कवि कहता हूं क्योंकि आप काव्य-पाठ करते हैं। आप बोले हुए शब्द के स्वामी हैं। जो लिखी हुई कविता रचनेवाले कवि हैं, वे उत्कृष्ट होते हैं लेकिन वे सिर्फ भद्रलोक के कवि होते हैं। आप लोग सर्वलोक के कवि हैं। मैंने इन कवि-बंधुओं से निवेदन किया कि वे श्रोताओं से संकल्प करवाया करें कि वे अपने हस्ताक्षर अंग्रेजी से बदलकर हिंदी में करें।
(वेद प्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार हैं)