BLOG: उच्च शिक्षा में सुधार का अर्थ
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: June 29, 2018 05:24 IST2018-06-29T05:24:41+5:302018-06-29T05:24:41+5:30
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का नाम बदलकर उच्च शिक्षा आयोग कर रहे हैं। इसका नाम ही नहीं बदलेगा, काम भी बदलेगा। जहां तक नाम बदलने का सवाल है, मानव संसाधन मंत्नालय का नाम सबसे पहले बदलना चाहिए।

BLOG: उच्च शिक्षा में सुधार का अर्थ
नई दिल्ली, 29 जून: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्नी प्रकाश जावड़ेकर को मैं बधाई दिए बिना नहीं रह सकता। अब वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का नाम बदलकर उच्च शिक्षा आयोग कर रहे हैं। इसका नाम ही नहीं बदलेगा, काम भी बदलेगा। जहां तक नाम बदलने का सवाल है, मानव संसाधन मंत्नालय का नाम सबसे पहले बदलना चाहिए।
अब जो उच्च शिक्षा आयोग बन रहा है, इसका एक ही मुख्य लक्ष्य है कि देश की उच्च शिक्षा में सुधार करना। अनुदान आदि देने का काम अब मंत्नालय करेगा लेकिन यह आयोग देश के सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, शोध-केंद्रों, प्रशिक्षण केंद्रों आदि पर कड़ी निगरानी रखेगा और जो भी संस्था निर्धारित स्तरों का उल्लंघन करेगी, उन्हें बंद करने, उन पर जुर्माना करने और उनके संचालकों को तीन साल तक की सजा देने का काम करेगा। अभी तो उसे सिर्फ उनकी मान्यता समाप्त करने भर का अधिकार है। आशा है कि यह प्रावधान उच्च शिक्षा में चल रही अराजकता पर रोक लगाएगा। विश्वविद्यालयों की वित्तीय व्यवस्था अब सरकार के हाथ में होगी। कहीं ऐसा न हो कि उनकी स्वायत्तता का गला घुट जाए?
लेकिन असली सवाल यह है कि हमारी सरकार के पास उच्च शिक्षा का कोई अपना नक्शा भी है या नहीं? हमारे विश्वविद्यालयों की विश्व में कोई गिनती नहीं है। हमारे जिलों के बराबर जो देश हैं, उनके विश्वविद्यालय नकलचियों के अड्डे नहीं हैं। वे मौलिक अनुसंधान करते हैं। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्नों में वे अपने देश को नई दिशा देते हैं। वे अपनी भाषाओं में उच्च शिक्षा देते और शोध करते हैं। उनका काम मौलिक होता है, हमारा काम नकल होता है। यदि राष्ट्रवादियों की यह सरकार नकल को असल में बदल सके तो क्या कहने? मोदी सरकार अब इस शेष एक साल में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्न में कुछ क्र ांतिकारी काम कर दिखाए तो लोग उसे याद रखेंगे और उसका आभार मानेंगे।