ब्लॉग: मणिपुर की ओर अब पूरे देश का ध्यान जाने लगा है

By अभय कुमार दुबे | Published: August 17, 2023 08:43 AM2023-08-17T08:43:52+5:302023-08-17T08:51:53+5:30

अविश्वास प्रस्ताव की बहस को देखकर यह मान लेना कि विपक्ष सत्तारूढ़ दल से माहौल बनाने की लड़ाई हार गया? इस तरह की कयासबाजी करना जल्दबाजी होगी।

Blog: Manipur is now getting the attention of the whole country | ब्लॉग: मणिपुर की ओर अब पूरे देश का ध्यान जाने लगा है

फाइल फोटो

Highlightsअविश्वास प्रस्ताव की बहस देख कर क्या यह मान लेना चाहिए कि विपक्ष अपनी लड़ाई हार गया हैइस तरह की कयासबाजी ठीक नहीं है क्योंकि यूट्यूब पर राहुल गांधी को लाखों लोगों ने सुना हैअगर मणिपुर-केंद्रित अविश्वास प्रस्ताव न पेश होता तो मणिपुर पूरे राष्ट्र का प्रश्न न बन पाता

अविश्वास प्रस्ताव की बहस देख कर क्या यह मान लेना चाहिए कि विपक्ष सत्तारूढ़ दल से माहौल बनाने की लड़ाई हार गया? मुझे लगता है कि इस तरह का नतीजा निकालना जल्दबाजी होगी। राहुल गांधी का 37 मिनट का वक्तव्य जब यूट्यूब पर डाला गया तो पहले दस घंटों में सत्रह लाख लोग उसे देख-सुन चुके थे। अभी तक इस वक्तव्य को जितने लोगों ने देखा-सुना है, वह संख्या बहुत आकर्षक है।

आजादी के बाद से ही उत्तर-पूर्व और मणिपुर राष्ट्रीय जीवन की मुख्यधारा में आने के बजाय कोने में पड़ा हुआ है। राष्ट्रीय कल्पनाशीलता में उसका कोई स्थान नहीं बन पाया है। गणतंत्र दिवस की परेड में इन राज्यों की झांकी जरूर दिखती है, लेकिन वहां क्या हो रहा है, वहां की समस्याएं क्या हैं- इन सवालों के जवाब गारंटी के साथ कोई नहीं दे सकता।

स्वयं गृह मंत्री ने मणिपुर के बारे में अपना वक्तव्य देते हुए स्वीकार किया कि आजादी के बाद उत्तर-पूर्व में बड़ी-बड़ी हिंसाएं होती रही हैं, लेकिन संसद में उनके बारे में एक राज्यमंत्री स्तर के छोटे से बयान के अलावा कोई और चर्चा आज तक नहीं हुई। वे कहना यह चाह रहे थे कि भाजपा ने उत्तर-पूर्व पर पहले की सरकारों के मुकाबले ज्यादा ध्यान दिया है।

लेकिन अगर मणिपुर-केंद्रित अविश्वास प्रस्ताव न पेश किया जाता तो आम तौर पर उत्तर-पूर्व और खास तौर से मणिपुर पूरे राष्ट्र का प्रश्न न बन पाता। आज स्थिति यह है कि पक्ष-विपक्ष के नेताओं को सभी जगहों पर मणिपुर के बारे में बोलना पड़ रहा है। राहुल गांधी वायनाड में बोल रहे हैं और प्रधानमंत्री बंगाल में। भले ही वे एक-दूसरे के खिलाफ बोल रहे हों, लेकिन चर्चा तो उस उत्तर-पूर्व के बारे में हो रही है जिसके बारे में बाकी भारत बिना किसी जानकारी या सरोकार के आराम से वक्त गुजारता रहता था।

इस लिहाज से विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने वाला साबित होता है लेकिन जैसे ही हम चुनावी कसौटियों पर कसते हैं हमें इं.डि.या. की रणनीति की खामियां दिखने लगती हैं। मसलन, कांग्रेस ने अपने सबसे अच्छे वक्ता राहुल गांधी के बोलने का समय तीन बार बदला।

पहले यह तय किया कि वे बहस के पहले दिन बिल्कुल शुरुआत में बोलेंगे, लेकिन 11 बजे ठीक ऐन मौके पर पता चला कि वे तो आखिरी दिन बोलेंगे ताकि उस समय प्रधानमंत्री भी सदन में हों। अगले दिन अचानक पता चला कि राहुल गांधी दूसरे दिन बारह बजे बोलेंगे।

उस समय तक कांग्रेस की तरफ से इतने वक्ता बोल चुके थे कि पार्टी को आवंटित बोलने का समय घट कर केवल आधा घंटा रह गया था यानी अगर राहुल गृह मंत्री या प्रधानमंत्री की तरह लंबा भाषण देना चाहते तो नहीं दे सकते थे। वे तकरीबन 37 मिनट बोले और लगता है समय की कमी के कारण उन्हें भाषण को अनायास खत्म करना पड़ा।

Web Title: Blog: Manipur is now getting the attention of the whole country

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे