लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: नेतृत्व में सर्जनात्मक दृष्टि होने के फायदे

By गिरीश्वर मिश्र | Updated: December 13, 2023 09:17 IST

पांच राज्यों के हुए ताजे चुनाव के नतीजे कई मिथकों और पूर्वानुमानों को ध्वस्त करने वाले सिद्ध हुए हैं। उनसे भी ज्यादा चौंकाने वाले तौर-तरीके राज्यों के मुख्यमंत्रियों के चयन में उभरे हैं।

Open in App
ठळक मुद्देपांच राज्यों के हुए ताजे चुनाव के नतीजे कई मिथकों और पूर्वानुमानों को ध्वस्त करने वाले सिद्ध हुए हैंउनसे भी ज्यादा चौंकाने वाले तौर-तरीके भाजाप द्वारा राज्यों के मुख्यमंत्रियों के चयन में उभरेभाजपा ने पार्टी के निशान कमल और प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर चुनाव लड़ने का जोखिम उठाया था

राजनीति की यात्रा में गतिशीलता और दूरदृष्टि की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ठीक इसके विपरीत भारत के राजनैतिक माहौल में आ रही थकान और उम्रदराज नेताओं की सत्ताप्रियता तथा बड़े कद के नेताओं द्वारा अतिरिक्त मोहवश अपने परिवार या वंश में ही सत्ता को सीमित और संकुचित रूप से बांध कर सुरक्षित रखने की परंपरा के चलते अजीबोगरीब शिथिलता आने लगी है जो देशहित के विरुद्ध तो है ही, स्वयं राजनैतिक दलों के ही पक्ष में नहीं जाती।

ऐसी परिस्थिति से राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों तरह के दल जूझ रहे हैं। नई पीढ़ी को इंतजार करना पड़ता है या फिर कुछ शॉर्ट कट के उपाय करने होते हैं। इस तरह से पनप रही जड़ता के बीच राजनीति भ्रष्टाचार का विग्रह होती जा रही है। जातीय अस्मिता की बैसाखी पार्टियों के संस्कार को जाति, धन और बाहुबल के अधीन करती जा रही है। भारतीय समाज की नब्ज पकड़ने के लिए उद्यत होने पर छोटी-छोटी अस्मिताओं को उभारा जाता है और कभी-कभी उसका फायदा भी मिल जाता है।

पांच राज्यों के हुए ताजे चुनाव के नतीजे कई मिथकों और पूर्वानुमानों को ध्वस्त करने वाले सिद्ध हुए हैं। उनसे भी ज्यादा चौंकाने वाले तौर-तरीके राज्यों के मुख्यमंत्रियों के चयन में उभरे। भाजपा ने चुनाव पूर्व इनका ऐलान नहीं किया था और पार्टी के नाम पर कमल और प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर चुनाव लड़ने का जोखिम उठाया।

कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के नामों और उनके अच्छे-बुरे कार्यों से सभी परिचित थे। दूसरी ओर भाजपा ने लोकतंत्रीयता का बाना अपनाते हुए निर्णय खुला रखा था। चुनाव परिणाम के बाद भाजपा ने नए और कम परिचित चेहरों को मुख्यमंत्री के रूप में चुनकर कर्मठता और जनरुचि का आदर करते हुए साहसिक कदम उठाया।

राजनीति को नया अर्थ देते हुए विरोधियों को अस्त-व्यस्त किया है और अपनी छवि को एक नए आयाम के साथ प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। स्पष्ट ही 24 में होने वाले लोकसभा चुनाव दृष्टि में हैं पर राजनीति की यह शैली एक पैराडाइम शिफ्ट या सोच में बड़े बदलाव का बड़ा संकेत दे रही है।

विचारधारा की और आचार में गंभीरता की ओर ये बढ़ते कदम आशा बंधाने वाले हैं। यह ऐसे मौके पर हो रहा है जब मोदी सरकार के महत्वपूर्ण निर्णय की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। आशा है इस तरह के परिवर्तन के जनहितकारी परिणाम होंगे।

टॅग्स :नरेंद्र मोदीविधानसभा चुनाव 2023BJPकांग्रेस
Open in App

संबंधित खबरें

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारतआखिर गरीब पर ही कार्रवाई क्यों?, सरकारी जमीन पर अमीर लोग का कब्जा, बुलडोजर एक्शन को लेकर जीतन राम मांझी नाखुश और सम्राट चौधरी से खफा

कारोबारIndiGo Crisis: 7 दिसंबर रात 8 बजे तक सभी यात्रियों को तत्काल पैसा वापस करो?, मोदी सरकार ने दिया आदेश, छूटे हुए सभी सामान अगले 48 घंटों के भीतर पहुंचाओ

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारत अधिक खबरें

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत

भारतउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोगः 15 विषय और 7466 पद, दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में सहायक अध्यापक परीक्षा, देखिए डेटशीट