ब्लॉग: अंतरिक्ष में नए मुकाम हासिल करने का साल रहा 2023

By अभिषेक कुमार सिंह | Published: December 29, 2023 10:29 AM2023-12-29T10:29:16+5:302023-12-29T10:37:57+5:30

वर्ष 2023 में कई मोर्चों को इसरो ने फतह किया है। उनमें जिस उपलब्धि को शीर्ष पर रखा जा सकता है, वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग कराना है।

Blog: 2023 will be the year to achieve new heights in space | ब्लॉग: अंतरिक्ष में नए मुकाम हासिल करने का साल रहा 2023

फाइल फोटो

Highlightsवर्ष 2023 में कई मोर्चों को इसरो ने फतह किया हैइसमें सबसे प्रमुख उपलब्धि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग कराना हैयह कामयाबी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका जैसी महाशक्ति ऐसा कर पाई है

वर्ष 2023 खास तौर से इसकी कसौटी बन गया है कि कैसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बेहद सीमित संसाधनों में एक के बाद एक कई मुकाम हासिल किए और साबित किया कि खुद को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में कैसे आगे रखा जा सकता है।

वैसे तो वर्ष 2023 में कई मोर्चों को इसरो ने फतह किया है, लेकिन इनमें जिस उपलब्धि को शीर्ष पर रखा जा सकता है- वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। इस साल 23 अगस्त 2023 को जब तीन लाख 84 हजार किमी दूर स्थित पृथ्वी के इकलौते प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा के दुरुह माने जा रहे दक्षिणी ध्रुव के इलाके में चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक उतरा तो यह कारनामा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया।

यह कामयाबी इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा सकती है क्योंकि न तो अमेरिका जैसी महाशक्ति ऐसा कर पाई है और न ही उसका चिर प्रतिद्वंद्वी रूस वर्ष 2023 में ही आनन-फानन में किए गए प्रयास में सफल हो पाया है। इसरो की दूसरी बड़ी सफलता देश की पहली अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला आदित्य-एल1 का सफल प्रक्षेपण है जो अगले वर्ष की शुरुआत में (6 जनवरी, 2024 को) अपनी वांछित जगह एल1 प्वाइंट  (लैंग्रेज प्वाइंट) तक पहुंच जाएगा।

चंद्रयान-3 की सफलता के तुरंत बाद ही 2 सितंबर 2023 को प्रक्षेपित आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य सूर्य की गतिविधियों और उसके आसपास के वातावरण का अध्ययन करना है। इससे अंतरिक्ष विज्ञान के कई रहस्यों का पता चलने के अलावा धरती पर होने वाले मौसम संबंधी बदलावों का आकलन करने में मदद मिलेगी।

चांद और सूरज संबंधी अभियानों की सफलता को अपने माथे पर टांकने वाले इसरो को अभी कुछ ऐसे क्षेत्रों में आगे बढ़ना है जहां रूस, चीन और अमेरिका पहले से मौजूद हैं। जैसे कि अंतरिक्ष में इंसान को भेजना। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए  इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम- गगनयान की इसी साल 21 अक्तूबर को संबंधित क्रू मॉड्यूल की सफल टेस्टिंग के साथ शुरुआत कर दी थी।

इस तारीख को गगनयान की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में टेस्ट अबॉर्ट मिशन-1 का सफल प्रक्षेपण किया गया था। हालांकि गगनयान परियोजना के आरंभिक चरण में ड्रैग पैराशूट की टेस्टिंग करना भी शामिल है, जिसे इसरो ने इसी वर्ष 8-10 अगस्त 2023 के बीच चंडीगढ़ में टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज फैसिलिटी में सफलतापूर्वक आयोजित किया था।

उल्लेखनीय है कि तीन दिवसीय इस अभियान का उद्देश्य पृथ्वी की निचली कक्षा वाले अंतरिक्ष में इंसानों को भेजना और सफलतापूर्वक धरती पर वापस लाना है।

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