ब्लॉग: अपने राजनीतिक लक्ष्यों के लिए नफरत को बढ़ावा दे रही भाजपा
By कपील सिब्बल | Published: January 9, 2023 02:29 PM2023-01-09T14:29:53+5:302023-01-09T14:47:26+5:30
ऐसे में भाजपा जहां एक तरफ गांधी को अपनाती है, लेकिन जब महात्मा की हत्या के लिए गोडसे की प्रशंसा की जाती है तो वह चुप रहना ही पसंद करती है। यही नहीं पार्टी अपने राजनीतिक लाभ के लिए कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा का भी मुद्दा उठाती रहती है।
नई दिल्ली: अतीत के प्रति हमारी सरकार का जुनून बहुत ज्यादा है. इससे वर्तमान में चालाकी के साथ हेरफेर करने में मदद मिलती है और भविष्य के लिए सपने बेचना जारी रहता है. अतीत के प्रति यह जुनून भाजपा की चुनावी रणनीति में गुंथा हुआ है ताकि अंतत: एक बड़े हिंदू वोट बैंक को आकर्षित किया जा सके और हर चुनावी लड़ाई में इसे सबसे आगे रखा जा सके. लेकिन इतिहास कभी भी अतीत के कांग्रेसी नेताओं के योगदान को नहीं मिटा पाएगा जिन्होंने हमारे गणतंत्र को जन्म देने के लिए अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का बलिदान दिया है.
आरएसएस कांग्रेस पार्टी को कम करके दिखाने की कर रही है कोशिश-कपिल सिब्बल
भाजपा कांग्रेस को बदनाम करने के लिए आरोप लगाती है कि वह (कांग्रेस) अतीत को अच्छे तरीके से संभाल नहीं सकी. फिर भी भाजपा सरदार पटेल की विरासत को हथियाने का प्रयास करती है, भले ही वह आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के लिए जिम्मेदार थे. आरएसएस जानता है कि उसने स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं निभाई. इसलिए, वह एक आधुनिक लचीले भारत की नींव रखने में कांग्रेस पार्टी के योगदान को कम करके दिखाना चाहता है.
राजनीतिक लाभ के लिए भाजपा उठाती है कश्मीरी पंडितों का मुद्दा-कपिल सिब्बल
भाजपा गांधी को अपनाती है, लेकिन जब महात्मा की हत्या के लिए गोडसे की प्रशंसा की जाती है तो वह चुप रहना पसंद करती है. कश्मीर में आज हम जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए नेहरू को दोषी ठहराकर इतिहास को विकृत करने में यह एक हद तक सफल भी हुई है. यह राजनीतिक लाभ के लिए कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा का मुद्दा उठाती है, लेकिन वादे के अनुसार उनके पुनर्वास के लिए कदम उठाने में विफल रहती है.
प्रतिशोध की स्थिति में बुलडोजर चलाना और धार्मिक आयोजनों पर टकराव के मुद्दे करते है परेशान
समुदाय विशेष के व्यावसायिक बहिष्कार का आह्वान, प्रतिशोध की स्थिति में उनके घरों पर बुलडोजर चलाना और धार्मिक आयोजनों के अवसर पर लगातार टकराव काफी परेशान करने वाले हैं. व्यक्तिगत पसंद के परिणामस्वरूप होने वाले अंतर-धार्मिक विवाहों को ‘लव जिहाद’ के रूप में प्रचारित करना और इस संबंध में सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन ऐसी शादियों पर सवाल उठाने का एक तरीका बन गया है.
हमें इस रूप में पहचाना जाता है
हमें धन के उत्पादक के रूप में नहीं बल्कि अनिवार्य रूप से एक उपभोक्ता-संचालित अर्थव्यवस्था के रूप में पहचाना जाता है. हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि से जुड़ा हुआ है और हाशिये पर रहने वालों की संख्या बहुत बड़ी है. हमारे विनिर्माण क्षेत्र ने वृद्धिशील विकास के कोई संकेत नहीं दिखाए हैं.
हमारा सेवा उद्योग, जो हमारे सकल घरेलू उत्पाद में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है, कुछ शिक्षित लोगों के बल पर चल रहा है. बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, उच्च मुद्रास्फीति के बीच वास्तविक जीडीपी विकास दर लगभग 4 प्रतिशत रहने की संभावना है. इसके बावजूद, मोदी का चुनावी रथ दौड़ा चला जा रहा है.