बिहारः भाजपा के निशाने पर हैं अब नीतीश कुमार, राष्ट्रपति चुनाव के बाद भाजपा अपनी सरकार बनाएगी!

By हरीश गुप्ता | Published: April 14, 2022 06:10 PM2022-04-14T18:10:04+5:302022-04-14T18:11:38+5:30

भाजपा उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी सत्ता बरकरार रखने में सफल रही, जो प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक और उपलब्धि है.उप्र में 40 साल बाद सभी बाधाओं को पार करके दोबारा सरकार बनाई है.

Bihar nda bjp jdu cm Nitish Kumar now target BJP will government afterPresidential election jp nadda amit shah | बिहारः भाजपा के निशाने पर हैं अब नीतीश कुमार, राष्ट्रपति चुनाव के बाद भाजपा अपनी सरकार बनाएगी!

सरकार बनाने के लिए 122 की जरूरत है. बहुमत कैसे हासिल किया जाए, इस पर मंथन चल रहा है.

Highlightsभाजपा आलाकमान महत्वाकांक्षी हो गया है और सही भी है. भाजपा धीरे-धीरे और लगातार एक गेम प्लान की दिशा में काम कर रही है.भाजपा ने बिहार विधानसभा में 243 के सदन में 74 सीटें जीती हैं.

भारतीय जनता पार्टी अब बिहार के मुख्यमंत्री पद को लेकर लालायित है. भाजपा बिहार में अपना वर्चस्व कायम करना चाहती है और वहां अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए बेताब है. उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार जीतकर, इतिहास रचने के बाद भाजपा आलाकमान महत्वाकांक्षी हो गया है और सही भी है.

आखिरकार, यह पहली बार ही तो हुआ है जब उप्र में उसने 40 साल बाद सभी बाधाओं को पार करके दोबारा सरकार बनाई है. भाजपा उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी सत्ता बरकरार रखने में सफल रही, जो प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक और उपलब्धि है. भाजपा कैडर ने कमर कस ली है. सूत्रों की मानें तो भाजपा धीरे-धीरे और लगातार एक गेम प्लान की दिशा में काम कर रही है.

भाजपा ने बिहार विधानसभा में 243 के सदन में 74 सीटें जीती हैं और उसे अपनी सरकार बनाने के लिए 122 की जरूरत है. बहुमत कैसे हासिल किया जाए, इस पर मंथन चल रहा है. सत्ता के करीबी सूत्रों की मानें तो जुलाई के तीसरे सप्ताह में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के बाद भाजपा बिहार में अपनी सरकार बनाएगी. विभिन्न स्तरों पर जमीनी कार्य किया जा रहा है.

शुरुआत तो तब ही हो गई थी जब तीनों विधायक विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. मुकेश साहनी के नेतृत्व में वीआईपी बिहार में एनडीए का हिस्सा थी और साहनी मंत्री थे. वीआईपी ने चार सीटें जीती थीं लेकिन उसके एक विधायक की मौत हो गई. महत्वाकांक्षी साहनी ने उ.प्र. में अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी.

उप्र में भाजपा की जीत के कुछ ही दिनों बाद तीनों वीआईपी विधायक भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा ने नीतीश कुमार को बिहार कैबिनेट से साहनी को बाहर करने के लिए भी मजबूर किया. भाजपा अब बिहार में छोटे दलों को निशाना बनाकर उनके विधायकों को रिझा रही है. ऐसी खबरें हैं कि बिहार में 19 सदस्यीय कांग्रेस में भी दम नहीं है.

कांग्रेस नेताओं को पार्टी का कोई भविष्य नहीं दिखता क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पार्टी से नाखुश है और नीतीश कुमार भी पतन की ओर अग्रसर हैं. जून-जुलाई में राज्यसभा चुनाव के दौरान यादव परिवार का पारिवारिक कलह विनाशकारी हो सकता है. कुछ का तो यह भी कहना है कि नीतीश कुमार के अपने जनता दल (यू) में भी कई कारणों से उथल-पुथल चल रही है. भाजपा अब बिहार में सभी पार्टियों को कमजोर करने और दलबदल को बढ़ावा देने के लिए ओवरटाइम काम कर रही है. इन सब में स्पीकर की भूमिका भी अहम हो जाती है जो भाजपा से संबंध रखते हैं.

नीतीश का सार्वजनिक अपमान

पिछले महीने लखनऊ में योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री ने जिस तरह से नीतीश कुमार को सार्वजनिक रूप से नजरअंदाज किया था, उससे राजनीतिक पर्यवेक्षक आश्चर्यचकित रह गए. नीतीश मंच पर मोदी के सामने किसी जापानी की तरह झुक गए, लेकिन मोदी ने जवाब में हाथ जोड़कर नमस्कार तक नहीं किया. इसके बाद कुछ क्षण के लिए सन्नाटा पसर गया था.

भाजपा लंबे समय से नीतीश कुमार की शासन शैली से बेहद नाखुश है क्योंकि कहा जा रहा है कि नीतीश घमंडी हो गए हैं, उपलब्ध नहीं रहते और मनमानी कर रहे हैं. किसी समय नीतीश ‘सुशासन बाबू’ का टैग लेकर चलते थे, लेकिन यह अब बीते दौर की बात हो गई. नीतीश कुमार की शराब नीति और बिगड़ती कानून-व्यवस्था को सुधारने में उनकी विफलता को लेकर राज्य में उथल-पुथल देखी जा रही है.

अदालतों द्वारा कई प्रतिकूल टिप्पणियों और फैसलों के बाद, नीतीश कुमार शराब कानून में संशोधन करने के लिए सहमत तो हुए, लेकिन अभी-भी आधे-अधूरे मन से. विधानसभा में भाजपा के उम्मीदवार और अध्यक्ष के साथ नीतीश कुमार का विवाद जगजाहिर होने से दोनों सहयोगियों के बीच मनमुटाव की स्थिति है.

भाजपा में नीतीश कुमार के पक्षधर सुशील मोदी को पहले ही राज्यसभा भेजा जा चुका है और सख्त स्वभाव वाले डॉ.संजय जायसवाल को बिहार भाजपा का अध्यक्ष बना दिया गया है. इस समय जायसवाल भाजपा का उभरता सितारा हैं.

भाजपा में हलचल

बिहार में अवसरों को भांपते हुए भाजपा के कई केंद्रीय नेता राज्य में जाकर पार्टी के लिए काम करने को बेताब हैं. कारण यह है कि वे खुद को बिहार के भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं क्योंकि भाजपा अब नीतीश कुमार के तख्तापलट की योजना बना रही है.

रविशंकर प्रसाद को मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद, कैबिनेट में बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले अब ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह और ऊर्जा मंत्री आरके सिंह हैं. जहां आरके सिंह दिल्ली में खुश हैं, वहीं ऐसा सुना जा रहा है कि गिरिराज सिंह अब पार्टी को समय देने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं.

उनका मानना है कि भाजपा के वोट बैंक को मौजूदा 19.46 फीसदी से बढ़ाकर 25 से ज्यादा किया जाना चाहिए. उन्हें केवल भूमिहार नेता माना जाता है और वह इस जाति के टैग को हटाना चाहते हैं. कतार में राधा मोहन सिंह और राजीव प्रताप रूडी भी हैं. 

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