जहरीली शराब से मौत का तांडव कब रुकेगा ? देश में छह साल में 6000 से ज्यादा लोगों की हुई मृत्यु
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: December 16, 2022 04:17 PM2022-12-16T16:17:30+5:302022-12-16T16:18:07+5:30
डॉक्टरों के अनुसार जहरीले पदार्थ के सेवन से मरीज को हार्ट अटैक हो जाता है। ऑप्टिक न्यूरोपैथी के कारण मरीज को दिखना भी बंद हो जाता है। निश्चित तौर पर ये चिंता का विषय है और गंभीर भी।
शराबबंदी वाले बिहार में एक बार फिर से जहरीली शराब का कहर देखने को मिला है। सारण जिले में जहरीली शराब पीने से मौत का आंकड़ा बढ़कर 39 पर पहुंच चुका है। यह सिलसिला अभी भी जारी है। इस मामले में विपक्ष नीतीश कुमार सरकार पर सवाल उठा रहा है। और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सवाल पर भड़क रहे हैं। इस घटना के बाद से प्रदेश में सरकार द्वारा लागू की गई शराबबंदी और उसके असर को लेकर राजनीतिक बयानबाजी और सियासत भी शुरू हो गई है। इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री का एक अजीबोगरीब बयान भी आया है कि बिहार में जब शराबबंदी है तो खराब शराब मिलेगी ही, जो शराब पिएगा वो मरेगा ही। इस पर सोशल मीडिया यूजर्स ने बिहार के मुख्यमंत्री को ट्रोल किया है।
गौरतलब है कि बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है। कुछ महीने पहले गुजरात में भी जहरीली शराब से 40 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर सामने आई थी। जहरीली शराब से मरने वालों का आंकड़ा दहशत में डालता है। देश के कई राज्यों में शराब पर प्रतिबंध है। वहां इस तरह की मौत की खबरें अक्सर आती हैं। जाहिर है कि ये शराब गैरकानूनी तरीके से बनाई जाती है। जिन राज्यों में शराबबंदी है, वहां तो इसे बनाना, बेचना और पीना सब गैरकानूनी है। ऐसे में ये शराब चोरी-छिपे बनाई जाती है और लोगों तक पहुंचती है। ये आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में ही बनाई और बेची जाती है। ये काफी सस्ती होती है और जानलेवा होती है।
बिहार में पिछले साल केवल 12 महीनों में सिर्फ 13 जिलों में कम से कम 158 लोगों की मौत कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से हुई है। देश में छह साल में 6000 से ज्यादा लोग इससे मरे हैं। कुछ महीने पहले संसद में जहरीली और नकली शराब का मामला उठा था। जवाब में जो आंकड़े पेश किए गए वे सरकारी हैं यानी असल में इन मौतों की संख्या ज्यादा ही होगी। डॉक्टरों के अनुसार जहरीले पदार्थ के सेवन से मरीज को हार्ट अटैक हो जाता है। ऑप्टिक न्यूरोपैथी के कारण मरीज को दिखना भी बंद हो जाता है। निश्चित तौर पर ये चिंता का विषय है और गंभीर भी। महात्मा गांधी चाहते थे कि पूरे देश में शराब पर पाबंदी लगाई जाए। लेकिन, शराब का लाइसेंसीकरण और बिक्री राज्यों के राजस्व में बड़ी भूमिका निभाते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि जहरीली शराब पीने से मौत की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। शराब बनने से लेकर बिक्री तक सब कुछ सरकार के नियंत्रण में ही होता है। ऐसे में सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुकर नहीं सकती है।