भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: किसी मुद्दे पर कांग्रेस आगे है, तो कहीं भाजपा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 16, 2019 08:19 IST2019-03-16T08:19:24+5:302019-03-16T08:19:24+5:30

कांग्रेस ने कश्मीर में 1947 में सेना भेजी और पाकिस्तान को एक सीमा तक प्रवेश करने से रोकने में सफल हुई। गोवा में 1961 में सेना भेजकर उसका भारत में विलय किया...

Bharata Jhunjhunwala's blog: Congress is ahead on any issue, somewhere BJP in lok sabha election | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: किसी मुद्दे पर कांग्रेस आगे है, तो कहीं भाजपा

भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: किसी मुद्दे पर कांग्रेस आगे है, तो कहीं भाजपा

आगामी चुनाव में मुख्य प्रतिस्पर्धा भाजपा और कांग्रेस के बीच दिखती है। इस लेख में मैं कांग्रेस के और भाजपा के कार्यकालों का तुलनात्मक अध्ययन करने का प्रयास करूंगा। 

पहला बिंदु देश की एकता एवं अखंडता है। कांग्रेस के नतृत्व में देश का विभाजन हुआ जिसको कांग्रेस की असफलता मानना चाहिए, लेकिन कांग्रेस ने हैदराबाद को देश में जोड़ने में सफलता पाई। कांग्रेस ने तमिलनाडु, पंजाब, मिजोरम और नगालैंड के अलगाववादी आंदोलनों पर सफलतापूर्वक नियंत्नण पाया यद्यपि कांग्रेस कश्मीर में असफल रही। लेकिन भाजपा भी कश्मीर में अलगाववादी आंदोलनों पर नियंत्नण नहीं कर पा रही है। अत: मैं दोनों पार्टियों का प्रदर्शन समान मानता हूं।

दूसरा बिंदु देश द्वारा किए गए बाहरी युद्धों का है। कांग्रेस ने कश्मीर में 1947 में सेना भेजी और पाकिस्तान को एक सीमा तक प्रवेश करने से रोकने में सफल हुई। गोवा में 1961 में सेना भेजकर उसका भारत में विलय किया। पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 के युद्ध में सफलता मिली। इसी दौरान कांग्रेस ने दो युद्धों में असफलता भी पाई। चीन के साथ 1962 में हमें हार का सामना करना पड़ा था और श्रीलंका में 1987 में इंडियन पीस की टीम फोर्स भेजकर हमें हार मिली थी। भाजपा के नेतृत्व में हमने कारगिल में 1999 में सफलतापूर्वक युद्ध किया। 2017 में डोकलाम में भी युद्ध हुआ लेकिन इसके ऊपर कहना मुश्किल है कि विजय किसकी हुई। पुलवामा के बाद बालाकोट में भाजपा ने सफलता पाई है। अत: दोनों ही पार्टियों का प्रदर्शन लगभग सामान दिखता है।

तीसरा बिंदु लोकतंत्न का है। हमारा भविष्योन्मुखी संविधान कांग्रेस द्वारा लागू किया गया। हमने राजशाही व्यवस्था को समाप्त किया और दलितों को बराबर का दर्जा दिया। इसके विपरीत 1975 में कांग्रेस ने इमरजेंसी भी लागू की जो कि लोकतंत्न पर आघात था। लेकिन फिर 1992 में पंचायती राज संशोधन एवं 2005 में सूचना के अधिकार को लागू करके कांग्रेस ने पुन: लोकतंत्न को सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया। इसके इतर भाजपा ने सूचना के अधिकार को ढीला करने का प्रयास किया।

चौथा बिंदु अर्थव्यवस्था का है। कांग्रेस ने 1951 में पंचवर्षीय योजनाओं को लागू किया। इन योजनाओं के अंतर्गत औद्योगीकरण की नींव रखनी शुरू हुई लेकिन इन योजनाओं ने सार्वजनिक इकाइयों को महत्व दिया। 1979 में कांग्रेस ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। ये सार्वजनिक इकाइयां तथा सार्वजनिक बैंक आज संकट में हैं। यह समस्या कांग्रेस की देन है। कांग्रेस ने इन गलतियों को सुधारने का प्रयास 1991 में आर्थिक सुधार लागू करके किया और देश के उद्यमियों की ऊर्जा को खुला छोड़ा। भाजपा ने वाजपेयी के नेतृत्व में सार्वजनिक इकाइयों के निजीकरण का सफल कार्य किया था लेकिन मोदी के नेतृत्व में हम निजीकरण की इस सही नीति से पीछे हट गए हैं। नोटबंदी तथा जीएसटी के अंतर्गत देश को  डिजिटल इकोनॉमी की तरफ धकेलने के प्रयास के कारण भी अर्थव्यवस्था को धक्का लगा है। 

बुनियादी संरचना में भाजपा का प्रदर्शन अव्वल रहा है। वाजपेयी के कार्यकाल में स्वर्णिम चतुर्भुज सड़कों की शुरुआत हुई थी। फिर कांग्रेस के कार्यकाल में गति धीमी पड़ गई। मोदी के कार्यकाल में पुन: सड़क बनाने में उल्लेखनीय गति आई है। बिजली का उत्पादन बढ़ा है। आज देश में पावर कट समाप्त से हो गए हैं।

किसानों के संबंध में कांग्रेस ने 1956 में जमींदारी एबोलिशन एक्ट लागू किया था। इस कानून के अंतर्गत जमींदारी प्रथा समाप्त करके भूमि को खेत कर्मी को आवंटित कर दिया था। इस कदम का महत्व इस बात से आंका जा सकता है कि पाकिस्तान में इस प्रकार का कोई कानून लागू नहीं किया गया जिसके कारण आज भी वहां सामंतवादी ताकतें प्रबल हैं। इसके बाद कांग्रेस ने हरित क्रांति लागू की। 70 एवं 80 के दशक में गरीबी हटाओ कार्यक्रम लागू किया यद्यपि इसके कोई ठोस परिणाम नहीं आए। 2006 में लागू रोजगार गारंटी कार्यक्रम से देश के आम आदमी को बहुत राहत मिली है। 2013 में कांग्रेस ने भूमि अधिग्रहण कानून पारित किया जिसके अंतर्गत किसानों को अधिक मुआवजा मिलने की व्यवस्था की गई। कांग्रेस के ये कदम देश के किसानों एवं गरीबों के लिए हितकारी थे। इनकी तुलना में भाजपा ने भूमि अधिग्रहण कानून को ढीला करने का प्रयास किया। यद्यपि भाजपा जन धन योजना को गरीब के हित में बताती है लेकिन मेरे आकलन में इस योजना के माध्यम से गरीब की पूंजी को अमीरों तक पहुंचाया गया है। मुद्रा योजना के अंतर्गत किसानों को भारी मात्ना में ऋण दिए जा रहे हैं लेकिन इन ऋणों का उपयोग किसान की खेती में नहीं हो रहा है बल्कि ये किसान को ऋण के दलदल में डाल रहे हैं।

सारांश है कि देश की एकता एवं बाहरी युद्धों पर दोनों पार्टियों का प्रदर्शन समान रहा है। लोकतंत्न की रक्षा, अर्थव्यवस्था, किसान, रोजगार एवं पर्यावरण पर कांग्रेस का कार्य उत्तम रहा है। बुनियादी संरचना एवं भ्रष्टाचार के मुद्दों पर भाजपा का कार्य अच्छा रहा है। आगामी चुनाव में जनता को तय करना है कि उसके लिए किसान और रोजगार प्रमुख मुद्दे हैं अथवा भ्रष्टाचार!

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