Bharat Jodo Yatra: कहां भारत टूट रहा है, जोड़ने की जरूरत क्यों पड़ी?

By डॉ उदित राज | Published: September 15, 2022 08:24 PM2022-09-15T20:24:05+5:302022-09-15T20:25:13+5:30

Bharat Jodo Yatra: देश मात्र भौगोलिक दृष्टि से  ही नहीं टूटता बल्कि आर्थिक, समाजिक और राजनैतिक रूप से भी खंडित होता है।

Bharat Jodo Yatra congress rahul gandhi 7 sep 2022 total 3570 km 12 state 113 place 65 dis Why there need connect India blog udit raj | Bharat Jodo Yatra: कहां भारत टूट रहा है, जोड़ने की जरूरत क्यों पड़ी?

राहुल गांधी अपना नेतृत्व स्थापित करना चाहते हैं।

Highlightsकांग्रेस अपने अंतर्विरोध ख़त्म करने की कयावद कर रही है।राहुल गांधी अपना नेतृत्व स्थापित करना चाहते हैं।भारत जोड़ना मुश्किल है और भारत माता की जय बोलना आसान है।

Bharat Jodo Yatra: 7 सितम्बर 2022 से राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत को जोड़ने की यात्रा की शुरुआत की गई है। यात्रा कुल 3570 किलोमीटर होगी और यह 12  राज्यों 2 केंद्र शासित प्रदेशों के अंतर्गत आने वाले 113 स्थानों और 65 जिलों से होकर गुजरेगी। कई सवाल पैदा होते हैं जिन पर चर्चा करना जरूरी है।

कुछ के मन में होगा कहां भारत टूट रहा है जो जोड़ने की जरूरत आ पड़ी। देश मात्र भौगोलिक दृष्टि से  ही नहीं टूटता बल्कि आर्थिक, समाजिक और राजनीतिक रूप से भी खंडित होता है। विरोधी कुछ भी कह सकते हैं जैसे कांग्रेस लोगों को मूर्ख बना रही है। यह भी कह सकते हैं कि कांग्रेस अपने अंतर्विरोध ख़त्म करने की कयावद कर रही है। राहुल गांधी अपना नेतृत्व स्थापित करना चाहते हैं।

भारत जोड़ना मुश्किल है और भारत माता की जय बोलना आसान है। आजादी के अंदोलन के दौर में भारत माता की जय बहुत ही प्रमुख नारा था। नेहरू जी ने इसकी सबसे अच्छी व्याख्या की है कि भारत माता की जय का मतलब क्या है?  भारत जमीन का टुकड़ा, नदी, नाले, समुद्र और पहाड़ से नहीं बना है।

अगर लोग न हों तो किसकी जय ? अगर लोग हैं भी लेकिन नफ़रत, असमानता, भेदभाव के शिकार हों तो क्या भारत माता की जय है?  लोगों को नौकरी न मिलें और महंगाई की भयंकर मार झेल रहे हैं तो क्या  दिल से जुड़ेंगे?  संवैधानिक संस्थाएं तबाह हो रही हों और विपक्ष की आवाज़ दबाई जा रही हो तो भी भारत माता की जय है?

भारत टूट रहा है लेकिन आम लोग नहीं महसूस कर सकते और वे तभी विश्वास करेगें जब यह हो जायेगा। दक्षिण भारत जैसे तमिनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में यह भावना पैदा हो गई है कि केंद्र सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है। हिंदी भाषा उनके ऊपर थोपी जा रही है। संघीय ढांचा चरमरा रहा है।

आम लोगों से चर्चा करें तो पता चलता है। यह भी सोच बन रही है कि दक्षिण भारत  राजस्व का ज्यादा योगदान दे रहा हैं परन्तु उस अनुपात में बजट का आवंटन नहीं  किया जाता। राजनीतिक शक्ति अक्सर उत्तर भारतीयों के हाथ में होती है। वर्तमान में ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स के भारी दुरुपयोग से मनभेद बढ़ा है।

अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव ही नही बल्कि बार-बार कहना कि पाकिस्तान चले जाएं, इनके मन में क्या गुजरती है, वही जानते हैं। किसी बंटवारे की बुनियाद कुछ दिनों में नही पड़ती। यह प्रक्रिया है, जो समय लेती है लेकिन जब चरम सीमा पर पहुंच जाती है तो रोकना असंभव हो जाता है।

राहुल गांधी को यात्रा की शुरुआत में ही सभी वर्गों का अपार सहयोग मिलना शुरू हो गया। जो सोचा नहीं था उससे कई गुना अधिक समर्थन मिल रहा है।  हर वर्ग के लोग स्वतः जुड़ते जा रहे हैं। यह सही वक्त है तानाशाही के खिलाफ लड़ने का। यह अकेले के बस का नहीं है। सभी जनतांत्रिक ताकतों को जुड़ना होगा और दूर से चिंता करना है।

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