भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: ब्याज दर में कटौती निष्प्रभावी क्यों?
By भरत झुनझुनवाला | Updated: December 18, 2019 14:35 IST2019-12-18T14:35:35+5:302019-12-18T14:35:35+5:30
हाल में प्रॉपर्टी क्षेत्न के अटके हुए प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने 10,000 करोड़ रुपए के ऋण बिल्डरों को देने का ऐलान किया है. इन योजनाओं के बावजूद हमारी आर्थिक विकास दर गिरती ही जा रही है.

भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: ब्याज दर में कटौती निष्प्रभावी क्यों?
भारत सरकार ने बीते समय में ऋण देने की मुहिम छेड़ रखी है. कुछ वर्ष पहले मुद्रा योजना बनाई गई जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्नों के बैंकों ने घर-घर जाकर किसानों को ऋण दिए. छोटे उद्यमियों के लिए ऋण की ब्याज दरें कम की गईं.
हाल में प्रॉपर्टी क्षेत्न के अटके हुए प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने 10,000 करोड़ रुपए के ऋण बिल्डरों को देने का ऐलान किया है. इन योजनाओं के बावजूद हमारी आर्थिक विकास दर गिरती ही जा रही है.
हमें ब्याज दर के महत्व और सीमा दोनों को समझना पड़ेगा. ब्याज दर कम करने से दो प्रभाव एक साथ पड़ते हैं. ब्याज दर की कटौती से यदि उपभोक्ता और उद्यमी दोनों वास्तव में प्रेरित हो जाएं तो इन दोनों के बीच मांग और आपूर्ति का एक सुचक्र स्थापित हो जाता है.
वर्तमान समय में ब्याज दर में कटौती के बावजूद यह सुचक्र स्थापित नहीं हो पा रहा है. इसका एक संभावित कारण यह है कि सरकार ने साथ-साथ बैंकों से ऋण लेने वाले भ्रष्ट लोगों पर सख्ती की है. पहले तमाम प्रभावी लोग बैंक से ऋण लेकर रकम को हड़प जाते थे.
अब ऐसा करना कठिन हो गया है. इसलिए हम मान सकते हैं कि चोरों द्वारा बैंक से ऋण कम लिए जा रहे हैं. लेकिन प्रश्न यह है कि ईमानदारों द्वारा बैंक से ऋण लेकर सुचक्र स्थापित क्यों नहीं हो पा रहा है?
यहां हम भारत और अमेरिका की तुलना कर सकते हैं. राष्ट्रपति ट्रम्प ने हाल में अमेरिका के केंद्रीय बैंक को मनाया है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व बोर्ड ने ब्याज दर में कटौती की है. साथ ही वर्ष 2017 में अमेरिकी सरकार के राजस्व 3300 करोड़ डॉलर थे जो वर्ष 2019 में बढ़कर 3400 करोड़ डॉलर हो गए. इसी अवधि में अमेरिकी सरकार के खर्च 3900 करोड़ डॉलर से बढ़कर 4500 करोड़ डॉलर हो गए.
जाहिर है कि अमेरिका में आर्थिक विकास के दो कारक एक साथ उत्पन्न हो गए हैं. एक तरफ फेडरल रिजर्व बैंक ने ब्याज में कटौती की है और दूसरी तरफ अमेरिकी सरकार ने खर्च बढ़ाए हैं जिससे अमेरिका में विकास दर में इजाफा हुआ और रोजगार भी उत्पन्न हुए.
अब इस घटनाक्रम की तुलना हम भारत से कर सकते हैं. इस वर्ष हमारे रिजर्व बैंक ने पांच बार ब्याज दरों में कटौती की है, यद्यपि हाल में इस कटौती के दौर में ठहराव आया है. इस वर्ष के प्रारंभ से अब तक रिजर्व बैंक के पास बैंकों द्वारा जमा रकम पर ब्याज दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती की गई है.
इसके समानांतर बैंकों द्वारा उपभोक्ता को दिए जाने वाले ऋण पर ब्याज में भी 0.44 प्रतिशत की कटौती की गई है. यानी अमेरिका और भारत दोनों में ब्याज दरों में कटौती हुई है. लेकिन भारत में इस विशाल कटौती का सुप्रभाव नहीं पड़ रहा है. इसका एक कारण यह दिखता है कि भारत में सरकार ने अपने कुल खर्चो को नियंत्नण में रखा है.