भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: भ्रष्टाचार निवारण के लिए ढांचागत सुधार किया जाना जरूरी

By भरत झुनझुनवाला | Published: August 4, 2019 04:17 AM2019-08-04T04:17:36+5:302019-08-04T04:17:36+5:30

प्रधानमंत्नी को चाहिए कि भ्रष्टाचार निवारण के लिए ढांचागत सुधारों को लागू करें. ऐसी व्यवस्था बना दें कि भ्रष्ट व्यक्ति का स्वयं ही पर्दाफाश हो जाए.

Bharat Jhunjhunwala blog: Structural reforms need to be done to prevent corruption | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: भ्रष्टाचार निवारण के लिए ढांचागत सुधार किया जाना जरूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)

मेरे व्यक्तिगत अनुभव में प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने ईमानदार व्यक्तियों को शीर्ष पदों पर नियुक्त किया है. लेकिन जमीनी स्तर पर अनुभव बताता है कि भ्रष्टाचार में वृद्धि ही हुई है.  प्रधानमंत्नी को चाहिए कि भ्रष्टाचार निवारण के लिए ढांचागत सुधारों को लागू करें. ऐसी व्यवस्था बना दें कि भ्रष्ट व्यक्ति का स्वयं ही पर्दाफाश हो जाए. यह अच्छी बात है कि उनके द्वारा पुरानी व्यवस्था में ही ईमानदार व्यक्तियों को नियुक्त किया गया है, परंतु यह पर्याप्त नहीं होगा. आने वाले समय में यदि पुन: भ्रष्ट व्यक्तियों को नियुक्त कर दिया गया तो वर्तमान में दिख रहा सुधार फिसल जाएगा. अत: जरूरत इस बात की है कि ढांचागत सुधार कर दिए जाएं जिससे आने वाले समय में भी कोई भ्रष्ट व्यक्ति उच्च पद पर पहुंच ही न सके. इसके लिए कुछ सुझाव नीचे देना चाहता हूं.

पहला सुझाव है कि संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों के दावेदारों की पात्नता पर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए. जैसे सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर, चीफ इलेक्शन कमिश्नर, कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल, चीफ इनफार्मेशन कमिश्नर इत्यादि की नियुक्ति पर. इन पदों पर नियुक्त व्यक्ति देश की जमीनी व्यवस्था को नियंत्नण में रखते हैं. वर्तमान में इनकी नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है, यद्यपि विपक्ष के नेता को नियुक्ति समिति में रखा जाता है, जनता की पैठ नहीं होती है. हमें इस दिशा में अमेरिका से सबक लेना चाहिए. वहां संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों के लिए राष्ट्रपति किसी व्यक्ति को नियुक्त करते हैं. उसके बाद सांसदों की कमेटी द्वारा उनका साक्षात्कार लिया जाता है जो कि कैमरे में सार्वजनिक होता है. इस साक्षात्कार के समय उनसे कठिन से कठिन सवाल पूछे जाते हैं. यदि संसद की कमेटी ने उनकी नियुक्ति को स्वीकार नहीं किया तो राष्ट्रपति को दूसरे व्यक्ति को नियुक्त करना पड़ता है.  

दूसरा सुझाव है कि जवाबदेही बढ़ाई जाए. वर्तमान में सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही या तो मंत्रियों के प्रति होती है या सीएजी (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) के प्रति. यह जवाबदेही ठोस नहीं रहती है. अक्सर मंत्नी और अधिकारियों के बीच में एक अपवित्न गठबंधन होता है. ये मिलकर देश को लूटते हैं. इसलिए मंत्नी के प्रति जवाबदेही निष्फल है. सीएजी के कर्मचारी भी मूल रूप से सरकारी कर्मचारी होते हैं. और उनकी वर्ग चेतनता सरकारी कर्मियों को संरक्षित करने की होती है. इसलिए वर्तमान में सरकारी कर्मी जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं. इस समस्या का निदान हो सकता है यदि हर सरकारी अधिकारी का पांच वर्ष में एक बार जनता द्वारा गुप्त मूल्यांकन कराया जाए. 

तीसरा सुझाव है कि सरकारी विभागों का भी बाहरी ऑडिट कराया जाना चाहिए. फिलहाल सरकारी विभागों का ऑडिट सीएजी के सरकारी कर्मियों के द्वारा ही किया जाता है. सरकारी कर्मियों की मिलीभगत से तमाम गड़बड़ियां उजागर नहीं होती हैं. इसलिए सरकार को चाहिए कि कम से कम 5 वर्ष में एक बार हर सरकारी विभाग का बाहरी आडिट हो और उसे सार्वजनिक किया जाए.  

चौथा सुझाव है कि सूचना के अधिकार की तर्ज पर जवाब का अधिकार कानून बनाना चाहिए. सूचना के अधिकार में आप सरकारी अधिकारियों से वह सूचना मांग सकते हैं जो फाइलों में उपलब्ध हो अथवा फाइलों का निरीक्षण कर सकते हैं. लेकिन आप कोई प्रश्न नहीं पूछ सकते हैं. जैसे आप सरकार से यह नहीं पूछ सकते कि किसी विद्यालय में केवल 3 छात्न हैं तो उसे बंद क्यों नहीं किया जाता. अथवा कोई कर्मी अपने पद पर 15 वर्ष से क्यों विद्यमान है, उसका तबादला क्यों नहीं हुआ है. इस प्रकार के तमाम प्रश्नों को पूछने का जनता को अधिकार होना चाहिए.
 

Web Title: Bharat Jhunjhunwala blog: Structural reforms need to be done to prevent corruption

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