Suchana Seth son murder in Goa: चार साल के बेटे की हत्या, कर्नाटक की उच्च शिक्षित महिला और मां सूचना सेठ ने समाज को झकझोरा, क्यों क्रूरकर्मा बन रही है ममता और करुणा की मूर्ति नारी?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: January 11, 2024 11:14 AM2024-01-11T11:14:04+5:302024-01-11T11:15:53+5:30

Suchana Seth son murder in Goa: क्रूरता की कहानियां भी दादी-नानी सुनाया करती थीं लेकिन कभी यह नहीं सुना कि इन राक्षसियों ने भी अपने वंश के बच्चों के प्रति कभी कोई निर्दयता दिखाई.

Bengaluru CEO Suchana Seth's son murder in Goa Murder of four year old son Soochna Seth highly educated woman and mother from Karnataka shocked society why is a woman becoming the embodiment of love and compassion as a cruel woman? Postmortem report | Suchana Seth son murder in Goa: चार साल के बेटे की हत्या, कर्नाटक की उच्च शिक्षित महिला और मां सूचना सेठ ने समाज को झकझोरा, क्यों क्रूरकर्मा बन रही है ममता और करुणा की मूर्ति नारी?

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Highlightsमहिला नौ माह गर्भ में पालने के बाद बच्चे को जन्म देती है.बच्चे के प्यार में वह सर्वोच्च बलिदान तक करने से नहीं हिचकती. मां को देवी के समान पूजा जाता है.

Suchana Seth son murder in Goa: कर्नाटक की एक उच्च शिक्षित महिला सूचना सेठ ने गोवा में अपने चार साल के मासूम बच्चे की हत्या कर समाज को झकझोर कर रख दिया है. लोग यह सोचने पर विवश हो गए हैं कि ममता और करुणा की मूर्ति समझी जानेवाली कोई माता क्या इतनी क्रूर भी हो सकती है.

कहानियों में प्राचीन ग्रंथों में पूतना जैसी पात्रों का जिक्र मिल जाता है, जिनकी क्रूरता की कहानियां भी दादी-नानी सुनाया करती थीं लेकिन कभी यह नहीं सुना कि इन राक्षसियों ने भी अपने वंश के बच्चों के प्रति कभी कोई निर्दयता दिखाई. एक महिला नौ माह गर्भ में पालने के बाद बच्चे को जन्म देती है.

बच्चे को जरा सा भी कष्ट होने पर वह बेचैन हो जाती है, बच्चे के प्यार में वह सर्वोच्च बलिदान तक करने से नहीं हिचकती. इसीलिए मां को देवी के समान पूजा जाता है. अनगिनत रचनाओं में मां के प्रेम को सबसे पवित्र बताया गया है. ऐसे में जब कोई खबर आती है कि महिला ने अपने बच्चे की हत्या कर दी तो सहज ही भरोसा नहीं होता.

जैसे-जैसे हम आधुनिक होते जा रहे हैं, व्यक्तिगत, पारिवारिक तथा सामाजिक संबंधों का स्वरूप एवं परिभाषा भी बदलने लगी है. नई-नई समस्याएं मन और हृदय को इतना विचलित कर देती हैं कि एक महिला भी क्रूर कृत्य करने में नहीं हिचकिचाती.

आत्मघाती कदम चाहे महिला उठाए या पुरुष, उसके पीछे गरीबी, कलह, असफलता, अपमान, उपेक्षा से उपजा मानसिक तनाव या हताशा को सबसे ज्यादा जिम्मेदार समझा जाता है. इसके बावजूद कोई यह सोच भी नहीं सकता कि मानसिक तनाव या अवसाद के कारण  कोई महिला अपने बच्चे या जीवन साथी या परिवार के किसी सदस्य अथवा अपने किसी परिचित या सहेली की जान भी ले सकती है.

सूचना सेठ कोई साधारण महिला नहीं है. वह हार्वर्ड में शिक्षित, कृत्रिम बुद्धिमता के क्षेत्र में रचनात्मक काम करनेवाली विद्वान महिला है. उसे अपने क्षेत्र में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सौ प्रतिभाओं में स्थान मिल चुका है. ऐसी महिला अपनी हताशा और क्रोध पर काबू नहीं रख सकी तथा  चार साल के मासूम पुत्र की हत्या कर दी.

भारत ही नहीं दुनियाभर में ऐसी घटनाएं होती हैं लेकिन पारिवारिक संस्कारों तथा नारी के देवी स्वरूप में अगाध श्रद्धा रखने वाला भारतीय समाज ऐसी खबरें सुनकर विचलित हो जाता है और वह उन पर आसानी से यकीन नहीं कर पाता. सूचना का अपने पति वेंकटरमण से तलाक का मामला चल रहा था. वह नहीं चाहती थी कि बच्चा अपने पिता से मिले लेकिन अदालत में वह हार गई थी.

अदालत ने पिता को बच्चे से मिलने की अनुमति दे दी थी. यही बात सूचना को विचलित कर रही थी. वह बच्चे को लेकर असुरक्षा के भाव से संभवत: ग्रस्त थी. शायद उसे यह डर था कि पिता के प्रभाव में आकर बच्चा कहीं उसका साथ न छोड़ दे.

बच्चे की हत्या को लेकर जो आरंभिक तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि बच्चे को खोने के डर ने महिला को इतना हताश कर दिया कि उसने उसकी जान लेना ही बेहतर समझा. माताओं द्वारा बच्चों की हत्या के कारणों तथा हालात के बारे में विभिन्न अध्ययनों से मानवीय संदर्भ में जो बातें सामने आई हैं.

उनके मुताबिक अवैध संबंध, घोर गरीबी, परिवार, समाज में उपेक्षा तथा अपमान, पति एवं ससुराल पक्ष का असहनीय अत्याचार, बच्चों को जन्म देने पर लगातार अपमान, मादक पदार्थों का सेवन, बदला लेने की भावना, अंधश्रद्धा और पति के साथ संबंधों में असहनीय तनाव के कारण महिलाएं अपने बच्चों की हत्या जैसा जघन्य कदम उठा लेती हैं.

ये सब कारण उसे मानसिक रूप से विचलित और विक्षिप्त बना देते हैं. अवसाद के गर्त में ढकेल देते हैं. ऐसे में वह सबसे पहले अपनी जान देने या बच्चों की जान लेने पर उतारू हो जाती है. भारत में करीब-करीब रोज ही अखबारों में ऐसी खबरें प्रकाशित होने लगी हैं जो गरीबी, कलह या अन्य किसी कारण से मां द्वारा बच्चों या बच्चे की हत्या और उसके बाद आत्महत्या या खुदकुशी के प्रयास से संबंधित होती हैं.

पिछले साल नवंबर में बिहार के सीतामढ़ी जिले में पति से विवाद के बाद एक महिला ने अपने तीन छोटे बच्चों पर तीक्ष्ण हथियार से वार कर दिया था. उनमें से एक बच्चे की जान चली गई. एक साल पहले अंधश्रद्धा के चलते एक महिला ने उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर में अपने चार महीने के बच्चे को फावड़े से मार डाला था.

पिछले साल सितंबर में हरियाणा के नूंह में एक महिला अपने ससुराल वालों द्वारा चरित्र पर संदेह करने से इतनी विचलित हो गई कि उसने पति के साथ तीन बच्चों की जान ले ली. समय के साथ समाज का स्वरूप बदलेगा, समस्याएं भी नया रूप लेंगी लेकिन इन सबका तरीका असहनीय मानसिक तनाव के रूप में सामने आएगा जो मानवीय संवेदनाओं को ही खत्म कर सकता है.

अत: समाज और परिवार को अपने सदस्य के लिए मानसिक संबल देने वाली शक्ति की भूमिका प्रभावशाली ढंग से निभानी होगी. कानून भी सिर्फ सजा देने तक सीमित नहीं रहने चाहिए. जेलों में सजा भुगत रहे कैदियों का मनोवैज्ञानिक इलाज भी अनिवार्य रूप से होना चाहिए ताकि सजा काटने के बाद वे एक सुलझे हुए सहिष्णु व्यक्ति के रूप में बाहर आएं. 

English summary :
Bengaluru CEO Suchana Seth's son murder in Goa Murder of four year old son Soochna Seth highly educated woman and mother from Karnataka shocked society why is a woman becoming the embodiment of love and compassion as a cruel woman? Postmortem report reveals gruesome details


Web Title: Bengaluru CEO Suchana Seth's son murder in Goa Murder of four year old son Soochna Seth highly educated woman and mother from Karnataka shocked society why is a woman becoming the embodiment of love and compassion as a cruel woman? Postmortem report

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