लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: क्या ‘राम-राज’ भी साकार होगा ?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 12, 2024 11:42 IST

जहां राम का जन्म हुआ था या जहां बाबरी मस्जिद थी, उस स्थान पर मंदिर बनाने की भाजपा-संघ-विहिप की साझा दृष्टि को मोदी के रणनीतिक प्रयासों और दृढ़ता ने साकार किया है।

Open in App

अभिलाष खांडेकर

हाल ही में कई भारतीय समाचार पत्रों में मोदी सरकार की गारंटी (महिलाओं की गरिमा सुनिश्चित करना) के बारे में एक विज्ञापन ने मेरे मन में कई विचार पैदा किए, खासकर गुजरात के सामूहिक बलात्कार मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के कड़े फैसले के बाद।

भारत में लोग बड़े पैमाने पर मानते हैं कि भाजपा सरकार पहले की सरकारों की तुलना में कहीं अधिक कानून का पालन करने वाली सरकार है। इस पर बहस हो सकती है लेकिन तीन राज्यों में निर्णायक जीत साबित करती है कि पीएम की गारंटी अच्छा काम कर रही है। राजनीति और अन्य कारकों के संयोजन ने मोदी को सबसे लोकप्रिय, स्वीकार्य और बेदाग प्रधानमंत्री तो बना दिया है।

भारतीय, कुछ हद तक, इस पुरानी कहावत पर विश्वास करते हैं कि राजा कोई गलती नहीं करता! ‘राजा (किंग) मोदी’ ने अतीत में अपनी पार्टी के कई नेताओं को उनके गलत कामों के लिए फटकार लगाई है, जिसमें एक विधायक द्वारा सरकारी कर्मचारी की पिटाई का ‘छोटा सा अपराध’ भी शामिल है, जिससे उनके अनुयायियों की अभूतपूर्व संख्या के बीच इस विश्वास को और बल मिला है कि वह कोई गलती नहीं करते।

इस पृष्ठभूमि में और विभिन्न रणनीतियों के माध्यम से सावधानीपूर्वक बनाई गई 10 साल की छवि के बाद यह देखना आश्चर्यजनक है कि मोदी के कार्यकाल में, कई वर्षों से उनकी पार्टी द्वारा शासित राज्य गुजरात में बलात्कारियों को कारावास से मुक्त कर दिया गया। अगस्त 2022 में गुजरात सरकार द्वारा उन्हें छूट दिए जाने पर देश में हंगामा मच गया था। यहां तक कि भाजपा समर्थक भी स्तब्ध थे। सुप्रीम कोर्ट ने अब 11 दोषियों को वापस जेल भेजने का आदेश देते हुए सत्ता के दुरुपयोग के लिए गुजरात सरकार को जमकर फटकार लगाकर इस गलती को दुरुस्त कर दिया है।

यह अभूतपूर्व मामला एकमात्र मामला नहीं है जब महिला विरोधी और स्पष्ट गलत कार्यों को या तो भाजपा सरकार द्वारा समर्थन दिया गया या होशियारी से नजरअंदाज कर दिया गया। बलात्कारियों को रिहा करना भाजपा परिवार के लिए अविश्वास पैदा करने वाला शायद सर्वोच्च बिंदु था।ऐसे अन्य उदाहरण भी हैं।

केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी का मामला, भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप और हाल ही में यूपी में आईआईटी छात्रा के साथ भाजपा से जुड़े तीन युवकों द्वारा बलात्कार का परेशान करने वाला खुलासा तुरंत याद आता है, जो उन लोगों के विचारों और कार्यों के विरोधाभास को रेखांकित करता है जो सत्ता में हैं।

भाजपा ने हमेशा अपने विरोधियों - कांग्रेस, तृणमूल, सपा आदि को उनके नेताओं की विभिन्न अपराधों और घोटालों में संलिप्तता के लिए आड़े हाथों लिया, लेकिन जब भाजपा नेताओं की संलिप्तता की बात आई तो उसने चुप्पी साध ली। मध्यप्रदेश का व्यापमं भर्ती घोटाला सबसे गंभीर घोटालों में से एक था लेकिन भाजपा ने शिवराज सिंह को ‘दंडित’ करने का फैसला तभी किया जब वे २०२३ में विजयी हुए।

नैतिक गिरावट से जुड़े मामलों की कानूनी स्थिति और सामाजिक धारणाओं से परे, भाजपा से हमेशा अन्य राजनीतिक दलों की तुलना में नैतिक आधार पर उच्च होने की उम्मीद की गई है। पार्टी यह कहकर अपनी डींग भी हांकती रही है कि ‘यह एक अलग तरह की पार्टी है।’ क्या वह सचमुच अलग है?

हमें मोदी का नारा ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ नहीं भूलना चाहिए, यह स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचारमुक्त शासन का संकेत देता है। भ्रष्टाचार आर्थिक या नैतिक हो सकता है। मैं राम मंदिर उद्घाटन के पूर्व सत्ता में बैठे लोगों की नैतिक जिम्मेदारी का मुद्दा उठा रहा हूं और नैतिकता को राजनीति से जोड़ रहा हूं।

बलात्कारियों या बृजभूषण शरण सिंह जैसों की घृणित हरकतें भाजपा के शीर्ष नेताओं और उनके समर्थकों के लिए शर्म से सिर झुकाने के लिए काफी थीं। इसके बजाय देश ने 2022 में देखा कि बलात्कारियों को माला पहनाई गई और मिठाइयां बांटी गईं तथा बृजभूषण को आजाद छोड़ दिया गया। इसकी अनुमति क्यों दी गई?

यह इसलिए अधिक निराशाजनक है क्योंकि केंद्र सरकार और भाजपा की राज्य सरकारों के अधिकांश मंत्रियों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से है, जिसे भाजपा का नैतिक संरक्षक माना जाता है। हमारे जैसे प्राचीन समाज में जहां भगवान राम परम नायक हैं, एक अच्छे नैतिक रुख को हमेशा कानूनी या राजनीतिक पैमानो से ऊंचा माना गया है।

वर्तमान के कलियुग में, जो हिंदू दर्शन के अनुसार चार युगों में से सबसे खराब युग है, हम अपने चारों ओर सभी प्रकार के अपराध और संघर्ष देख रहे हैं, और, साथ ही अयोध्या में राम मंदिर का भव्य पुनरुत्थान भी, जिसके लिए ऐतिहासिक शहर को कल्पना से परे सजाया गया है। यह शहर उतना शानदार, विस्तृत और समृद्ध शायद नहीं रहा होगा जितना अब दिखता है। जहां राम का जन्म हुआ था या जहां बाबरी मस्जिद थी, उस स्थान पर मंदिर बनाने की भाजपा-संघ-विहिप की साझा दृष्टि को मोदी के रणनीतिक प्रयासों और दृढ़ता ने साकार किया है।

क्या यह भव्य उद्घाटन अब वास्तविक ‘राम राज’ का प्रतीक होगा जिसमें बलात्कारियों और बृजभूषण शरण सिंह जैसे अपराधियों को दंडित किया जाएगा?

टॅग्स :राम मंदिरअयोध्यामोदी सरकार
Open in App

संबंधित खबरें

भारतInsurance: संसद में 'सबका बीमा सबकी रक्षा' विधेयक पारित, जानिए क्या है ये बीमा और कैसे मिलेगा लाभ

भारतराम मंदिर आंदोलन के सूत्रधार और पूर्व सांसद रामविलास वेदांती का निधन, सीएम योगी ने शोक व्यक्त किया

भारतदिल्ली में अब 11 नहीं 13 जिले होंगे, बदल गया राजधानी का नक्शा; पढ़ें पूरी लिस्ट

भारतIndiGo Crisis: दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडिगो संकट पर केंद्र सरकार को लगाई फटकार, पूछा- "ऐसी स्थिति कैसे हुई"

भारतCensus 2027: भारत में पहली बार होगी डिजिटल जनगणना, 2027 में नए तरीके से होगा काम; जानें कैसे

भारत अधिक खबरें

भारतLokmat Parliamentary Award 2025: 4 राज्यसभा सांसदों को मिला लोकमत पार्लियामेंटरी अवार्ड 2025, सुधा मूर्ति, डोला सेन, संजय सिंह और दिग्विजय सिंह

भारतLokmat Parliamentary Award 2025: 4 लोकसभा सांसदों को मिला लोकमत पार्लियामेंटरी अवार्ड 2025, इकरा चौधरी, संगीता सिंह, जगदंबिका पाल और टी.आर. बालू

भारतLokmat National Conclave 2025: 'विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का अस्तित्व देश के आम नागरिकों के अधिकार, न्याय को सुनिश्चित करना है', पूर्व सीजेआई बीआर गवई बोले

भारतLokmat Parliamentary Award 2025: सदन में बुलंद की जनता की आवाज, संगीता सिंह देव को मिला 'बेस्ट वुमन पार्लियामेंटेरियन' का प्रतिष्ठित सम्मान

भारतLokmat Parliamentary Award 2025: सादगी की मिसाल सुधा मूर्ति अब 'सर्वश्रेष्ठ नवोदित सांसद', लोकमत पार्लियामेंट्री अवॉर्ड्स में लहराया परचम