ब्लॉग: विकसित भारत की तस्वीर है अटल सेतु
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: January 20, 2024 09:51 AM2024-01-20T09:51:37+5:302024-01-20T10:39:23+5:30
अटल सेतु को इतना मजबूत बनाया गया है कि इस पर भूकंप, समंदर से उठने वाली ऊंची लहरों और तेज हवाओं के दबाव का कोई असर न पड़े। पुल का निर्माण समंदर से 15 मीटर ऊंचाई पर किया गया है। इसके लिए इंजीनियरों और श्रमिकों को समंदर में 47 मीटर तक की खुदाई करनी पड़ी थी।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल सेतु का उद्घाटन करके इसे जनता को समर्पित कर दिया। यह पुल ट्रैफिक जाम से जूझती मुंबई के लिए एक नायाब तोहफा है। अटल सेतु भारत का सबसे बड़ा समुद्री पुल है, जिसकी कुल लंबाई 22 किलोमीटर है. इस पुल को निर्मित करने में 5 हजार से ज्यादा श्रमिकों ने दिन-रात मेहनत करके काम किया है। अटल सेतु को तैयार करने में करीब 18 हजार करोड़ रुपए की लागत आई है। सेतु का साढ़े 16 किमी का हिस्सा समंदर से होकर गुजरता है, जबकि बाकी साढ़े 5 किमी का हिस्सा जमीन पर है।
पहले समंदर पर बने इस पुल को मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक नाम दिया गया था, जिसे अब अटल बिहारी वाजपेयी सेवारी-न्हावा शेवा अटल सेतु नाम दिया गया है। अटल सेतु के निर्माण में करीब 1 लाख 77 हजार 900 मीट्रिक टन स्टील और 5 लाख 4 हजार 250 मीट्रिक टन सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है। अटल सेतु के निर्माण में इस्तेमाल हुई स्टील की मात्रा एफिल टावर में लगे स्टील से 17 गुना ज्यादा है, जबकि कोलकाता के हावड़ा ब्रिज से चार गुना ज्यादा स्टील इसमें लगा है। अटल सेतु को इतना मजबूत बनाया गया है कि इस पर भूकंप, समंदर से उठने वाली ऊंची लहरों और तेज हवाओं के दबाव का कोई असर न पड़े। पुल का निर्माण समंदर से 15 मीटर ऊंचाई पर किया गया है। इसके लिए इंजीनियरों और श्रमिकों को समंदर में 47 मीटर तक की खुदाई करनी पड़ी थी।
अटल सेतु पर भारी वाहन, बाइक, ऑटो और ट्रैक्टर चलाने की इजाजत नहीं दी गई है। मुंबई के लिए अटल सेतु एक वरदान की तरह ही है, क्योंकि जाम लगने के कारण नौकरीपेशा लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है और उनका काफी समय बर्बाद हो जाता है। अटल सेतु का निर्माण इस तरह से किया गया है कि यह पुल अगले 100 वर्षों तक टिकाऊ बना रहे. जाम की वजह से दक्षिण मुंबई से नवी मुंबई तक का सफर जहां 2 घंटे में पूरा होता था, वहीं अब अटल सेतु से सफर करने पर ये 20 से 25 मिनट में पूरा हो जाएगा। अटल सेतु पर सफर करने से सालाना एक करोड़ लीटर ईंधन की बचत भी होगी और सालाना कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन 25 हजार मीट्रिक टन कम किया जा सकेगा, जिससे प्रदूषण के स्तर में भी काफी सुधार होगा. अटल सेतु के निर्माण में भले ही 7 साल का वक्त लग गया है, लेकिन मुंबई के विकास की दिशा में यह पुल बहुत अहम साबित होने वाला है। छह लेन के अटल सेतु पर दोनों तरफ तीन-तीन लेन हैं. इसमें वाहन चालकों की सुरक्षा, सुविधा का पूरा ख्याल रखा गया है।