अवधेश कुमार का ब्लॉग: अप्रत्याशित नहीं हैं चुनावों के परिणाम

By अवधेश कुमार | Published: March 11, 2022 09:42 AM2022-03-11T09:42:38+5:302022-03-11T09:44:08+5:30

हिंदुत्व और उस पर आधारित राष्ट्रीयता के साथ केंद्र और प्रदेश सरकारों द्वारा समाज के वंचित तबकों के हित में किए गए कार्य, उनको पहुंचाए गए लाभ, अपराध नियंत्नण के कारण कायम सुरक्षा स्थिति तथा नेतृत्व के रूप में केंद्र में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति ने विरोधियों की कल्पनाओं को ध्वस्त कर दिया।

Assembly Election results 2022 are not unpredictable | अवधेश कुमार का ब्लॉग: अप्रत्याशित नहीं हैं चुनावों के परिणाम

अवधेश कुमार का ब्लॉग: अप्रत्याशित नहीं हैं चुनावों के परिणाम

Highlightsप्रोफेशनलों, कारोबारियों, महिलाओं सबके लिए सुरक्षा प्राथमिक चिंता का विषय था और इस कसौटी पर केवल भाजपा सरकार खरी उतरती थी। चाहे उत्तराखंड हो, मणिपुर या गोवा, सब जगह लाभार्थियों का एक बड़ा वर्ग तैयार हो चुका है। मणिपुर और गोवा दोनों राज्यों के चुनाव परिणामों से भी कुछ मुखर संदेश निकले हैं।

जिन लोगों ने पांच राज्यों में अलग चुनाव परिणामों की उम्मीद लगा रखी थी निश्चित रूप से उन्हें आघात लगा है। हमारे समाज में अग्रिम मोर्चे पर खड़े ऐसे लोगों की संख्या काफी है जो धरातल की वास्तविकता की बजाय अपनी सोच के अनुरूप जन मनोविज्ञान की कल्पना कर लेते हैं। इस समूह का मानना था कि पांच में से चार राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, इसलिए प्रदेश के साथ केंद्र सरकार के दोहरे विरोधी जन मनोविज्ञान का सामना करना होगा। इसके साथ इनका विश्लेषण यह भी था कि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों ने नीतियों और वक्तव्यों में हिंदुत्व पर जैसी प्रखरता दिखाई है, उससे मुसलमानों और ईसाइयों के साथ पढ़ा-लिखा वर्ग भी नाराज है। इस तरह उसे तीन प्रकार के सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना है और उसकी सरकारों का जाना निश्चित है। चुनाव परिणामों ने फिर एक बार इन्हें पूरी तरह गलत साबित कर दिया है।

उत्तर प्रदेश को लीजिए तो तीनों श्रेणी का सत्ता विरोधी रुझान सबसे ज्यादा यही होना चाहिए। आखिर हिंदुत्व का सर्वाधिक मुखर प्रयोग इसी राज्य में हुआ। अल्पसंख्यकों में मुसलमानों तथा भाजपा विरोधियों की सर्वाधिक संख्या यहीं थी। भाजपा के विरुद्ध प्रचार करने वाली गैरदलीय ताकतें भी यहां सबसे ज्यादा सक्रिय थीं। यह वातावरण बनाया गया था कि भाजपा को पराजित करना है तो एकजुट होकर सपा के पक्ष में मत डाला जाए। हुआ भी यही। बसपा की कमजोर उपस्थिति के कारण भाजपा विरोधी मतों का ध्रुवीकरण सपा के पक्ष में हुआ। सपा को प्राप्त मतों और सीटों में वृद्धि का मूल कारण यही है। उसके पक्ष में सकारात्मक के बजाय भाजपा हराओ मानसिकता का नकारात्मक मत ज्यादा है। दूसरी ओर भाजपा के पक्ष में सकारात्मक मत ज्यादा है। 

दरअसल, हिंदुत्व और उस पर आधारित राष्ट्रीयता के साथ केंद्र और प्रदेश सरकारों द्वारा समाज के वंचित तबकों के हित में किए गए कार्य, उनको पहुंचाए गए लाभ, अपराध नियंत्नण के कारण कायम सुरक्षा स्थिति तथा नेतृत्व के रूप में केंद्र में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति ने विरोधियों की कल्पनाओं को ध्वस्त कर दिया। नेतृत्व के स्तर पर इन दोनों के सामने कोई नेता टिकता ही नहीं था। प्रोफेशनलों, कारोबारियों, महिलाओं सबके लिए सुरक्षा प्राथमिक चिंता का विषय था और इस कसौटी पर केवल भाजपा सरकार खरी उतरती थी। इसी तरह केंद्र और प्रदेश सरकार ने आम जन के पक्ष में कल्याणकारी कार्यक्र मों के साथ सिर पर छत, संकट काल में पेट में अन्न तथा जेब में थोड़े पैसे पहुंचाने की नीतियों से ऐसा बड़ा समर्थक समूह खड़ा कर दिया है जिसकी काट किसी के पास नहीं।

ये बातें भाजपा शासित सभी राज्यों में थोड़ा या ज्यादा लागू होती हैं। चाहे उत्तराखंड हो, मणिपुर या गोवा, सब जगह लाभार्थियों का एक बड़ा वर्ग तैयार हो चुका है। जितनी संख्या में लोगों को आवास इन सरकारों में मिले, बिजली पहुंचाई गई, किसानों के खाते में धन पहुंचा, गरीब मजदूरों के निबंधन के बाद खातों में धन पहुंचा तथा कोराना टीकाकरण हुआ, उन सबसे सरकारों की सकारात्मक छवि बनी। उत्तराखंड में यद्यपि भाजपा ने तीन मुख्यमंत्नी बदले और उसकी छवि पर इसका असर हुआ। दूसरी ओर इससे पार्टी के अंदर का असंतोष दूर हो गया। पार्टी के अंदर असंतोष नहीं हो तो लड़ाई जीतना आसान होता है।

मणिपुर और गोवा दोनों राज्यों के चुनाव परिणामों से भी कुछ मुखर संदेश निकले हैं। मणिपुर का सर्वाधिक प्रमुख संदेश यही है कि भाजपा वहां स्थापित ताकत बन चुकी है। लगातार तीन बार सत्ता में रहने वाली कांग्रेस की दशा सबके सामने है। पिछले चुनाव में केवल 21 सीट पाने वाली भाजपा पांच वर्ष तक सरकार चलाने में सक्षम इसलिए हुई, क्योंकि दूसरी पार्टियों के विधायक भी उसी से उम्मीद करते थे।

Web Title: Assembly Election results 2022 are not unpredictable

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे