उलझता जा रहा है असम और मिजोरम का सीमा विवाद, जानिए क्या है पूरा मामला
By दिनकर कुमार | Published: July 26, 2021 04:47 PM2021-07-26T16:47:33+5:302021-07-26T16:49:45+5:30
असम सरकार के अधिकारियों और पुलिस द्वारा 10 जुलाई को सीमा गतिरोध के दौरान जनजातीय लोगों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और अत्याचार का आरोप लगाया है.
मिजोरम ने असम पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है. दूसरी तरफ असम ने इस आरोप का खंडन किया जिसमें कहा कहा गया था कि उसकी भूमि का अतिक्रमण दोनों पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सीमा विवाद की जड़ है.
आइजोल के एक अधिकारी ने बताया कि मिजोरम के कोलासिब जिले के उपायुक्त एच. लालथलांगलियाना ने असम के कछार जिला प्रशासन को एक पत्न लिखकर असम सरकार के अधिकारियों और पुलिस द्वारा 10 जुलाई को सीमा गतिरोध के दौरान जनजातीय लोगों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और अत्याचार का आरोप लगाया है.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए असम पुलिस के विशेष महानिदेशक जी.पी. सिंह ने मीडिया को बताया कि जब भी एनएचआरसी और एनसीएसटी द्वारा राज्य से जवाब मांगा जाएगा तो उसी के अनुसार प्रतिक्रिया प्रदान की जाएगी. ‘‘मूल मुद्दा यह है कि मिजोरम द्वारा असम की भूमि का अतिक्रमण हुआ है. उसके बाद अन्य मुद्दे हैं. लेकिन मूल मुद्दा अतिक्रमण है..
प्रत्येक राज्य के लिए एक संवैधानिक सीमा निर्धारित है और उन्होंने (मिजोरम ने) असम की सीमा पर अतिक्रमण किया है. उन्हें उस पर विचार करना होगा.’’ पत्न में लालथलंगलियाना ने कहा कि 10 जुलाई को असम से बुआर्चेप तक बिना किसी पूर्व सूचना के एक सड़क का निर्माण किया गया और पड़ोसी राज्य के अधिकारियों ने पुलिस द्वारा समर्थित मिजो जनजाति के लोगों से संबंधित फसलों को नष्ट कर दिया.
उन्होंने आरोप लगाया कि विरोध करने के लिए एकत्न हुए जनजातीय लोगों को असम के सशस्त्न पुलिस कर्मियों ने जबरन खदेड़ दिया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा 11 जुलाई को सुबह करीब 2.40 बजे मिजोरम पुलिस बलों द्वारा सैहापुई वी गांव और असम के साथ सीमा पर बुआर्चेप में दो जोरदार विस्फोटों की आवाज सुनी गई.
मिजोरम के वैरेंगटे पुलिस स्टेशन में विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत एक आपराधिक मामला भी दर्ज किया गया. आरोप को खारिज करते हुए असम पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 10 जुलाई को तनाव तब शुरू हुआ जब मिजोरम के लगभग 25-30 लोग खुलिचेरा सीआरपीएफ कैंप से 25 मीटर आगे आए और असम के अंदर की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की.
जंगल की सफाई को रोकने की कोशिश की और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को सड़क बनाने से रोका. अधिकारी ने कहा, ‘‘सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और देखा कि महिलाओं सहित मिजो लोगों ने खुलिचेरा में अपर पेनोम एलपी स्कूल की ओर जाने वाले मार्ग को बाधित कर दिया, जो असम सीमा में लगभग 6.5 किमी अंदर है.’’
‘‘50-60 नागरिक एकत्रित हो गए. लगभग उसी समय मिजोरम पुलिस का एक अतिरिक्त एसपी रैंक का अधिकारी मौके पर पहुंचा और उसे मिजो लोगों द्वारा अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए कहा गया. हालांकि बाधा को हटाया नहीं गया.’’ उन्होंने कहा. असम पुलिसकर्मियों ने तब लाउडस्पीकरों पर घोषणा की कि असम क्षेत्न के अंदर उनकी मौजूदगी अवैध थी और उन्हें शांति से तितर-बितर करना चाहिए, लेकिन उन्होंने ड्यूटी पर सरकारी अधिकारियों के प्रति अपना आक्रामक और अपमानजनक व्यवहार जारी रखा और उन्हें धमकी देते रहे.
‘‘उन्होंने वैध आवाजाही को रोकने के लिए लकड़ी के बैरिकेड्स भी लगाए थे. समझाने के प्रयासों का सकारात्मक जवाब नहीं मिलने के बाद असम पुलिस कर्मियों ने न्यूनतम बल का उपयोग करके अतिक्रमित भूमि को साफ किया.’’ अधिकारी ने कहा.
वर्ष 1962 में असम से अलग होकर नए राज्यों के गठन के समय से ही सीमाओं का निर्धारण सही तरीके से नहीं होने की वजह से असम व ज्यादातर राज्यों के बीच सीमा को लेकर विवाद होता रहा है. पहले जिस इलाके को असम के लुशाई जिले के नाम से जाना जाता था उसे ही वर्ष 1972 में पहले केंद्रशासित प्रदेश और फिर वर्ष 1987 में पूर्ण राज्य मिजोरम का दर्जा दिया गया था. मिजोरम का दावा है कि उसके लगभग 509 वर्गमील इलाके पर असम का कब्जा है.
पर्यवेक्षकों के मुताबिक इनर लाइन परिमट (आईएलपी) प्रणाली भी असम के साथ कम से कम चार राज्यों के सीमा विवाद की प्रमुख वजह है इलाके के चार राज्यों--अरुणाचल, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में इनर लाइन परमिट प्रणाली लागू है. इसके बिना बाहर का कोई व्यक्ति इन राज्यों में नहीं पहुंच सकता. इसके अलावा वह परमिट में लिखी अविध तक ही वहां रु क सकता है. लेकिन उन राज्यों के लोग बिना किसी रोक के असम में आवाजाही कर सकते हैं.