विशाल लदनिया का ब्लॉगः राष्ट्र को दिखाई सही दिशा
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: October 10, 2018 03:14 PM2018-10-10T15:14:54+5:302018-10-10T15:14:54+5:30
व्यक्ति, समाज, राष्ट्र एवं विश्व की उन्नति प्रमुख चार स्तंभों पर निर्भर होती है। ये चार स्तंभ हैं- आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक। अग्रसेनजी ने राज्य को इन सभी चार स्तंभों से मजबूत कर सुखद-समृद्ध बनाया।
विशाल लदनिया
अग्रसेनजी अपने जीवन काल में अत्यंत ही सत्य कर्मी रहे। उन्होंने अपने व्यवहार, आचरण एवं तपश्चर्या से जनमानस को सर्वहित सुखाय सर्वहित कर्माय की भूमिका को अपनाने पर जोर दिया। उसी का प्रताप है कि समूचा अग्रवाल समाज आज विश्व के शिखर पर अपनी दृढ़ता के साथ नजर आ रहा है। वंश से भगवान श्रीराम के कुल में जन्मे श्री अग्रसेनजी ने द्वापर के अंत में श्रीकृष्ण भगवान के सान्निध्य को प्राप्त कर समस्त अग्रवंशियों को धन्य किया है।
गीता के 18 अध्यायों का अमृत वचन भगवान के श्री मुख से सुन कर कंठ धारण करने का सौभाग्य प्राप्त किया है। शंकरजी की तपश्चर्या कर उनके बताए मार्ग से माता महालक्ष्मी का वरदान अपने कुल (अग्रवालों) के लिए प्राप्त कर तलवार छोड़ तराजू को अपनाकर वैश्य जाति का उद्धार किया है। आज 5186 वर्षो बाद भी यह केवल इसी वरदान का नतीजा है कि विश्व के धनवानों में प्रथम पंक्ति में अगर कोई बहुसंख्या में हैं तो वे केवल अग्रवाल हैं।
व्यक्ति, समाज, राष्ट्र एवं विश्व की उन्नति प्रमुख चार स्तंभों पर निर्भर होती है। ये चार स्तंभ हैं- आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक। अग्रसेनजी ने राज्य को इन सभी चार स्तंभों से मजबूत कर सुखद-समृद्ध बनाया। उन्होंने आर्थिक समानता हेतु राज्य में बसने वाले प्रत्येक परिवार को वहां के स्थायी निवासियों द्वारा एक रुपया एक ईंट भेंट देने की रीति को आत्मसात करवाया। इस एक-एक रुपए से वह परिवार अपना व्यवसाय एवं एक-एक ईंट से वह परिवार अपने निवास का निर्माण कर समाज में सम्मान के साथ आचरण करता। इसके कारण सामाजिक कुरीतियां कभी निर्माण होती ही नहीं थीं।
राज्य को 18 खंडों में विभाजित कर अग्रोहा को अपनी राजधानी बनाया। अपने प्रशासन को जनहितार्थ करने उन्होंने प्रजातंत्र प्रणाली का अवलंबन किया। आज इसी प्रजातंत्र को विश्व ने अपनाया है। राज्य में अग्रसेनजी द्वारा सामाजिक सौहाद्र्र का अत्यंत कुशलता से निर्वाह होता था।
18 गोत्रों को स्थापना कर आपसी गोत्र में विवाह पर पाबंदी लगाई। इससे दो गोत्रों के बीच संबंध स्थापित होकर भाईचारा बढ़ने लगा और साथ ही साथ यह उनकी वैज्ञानिक सोच भी थी जिसमें आपसी विवाह से होने वाले अनुवांशिक रोगों को भी दूर रख समाज का स्वास्थ्य उत्तम रखा। अग्रसेनजी ने राष्ट्र को सही दिशा देने का कार्य किया, इस हेतु वे सभी के श्रद्धा स्थान हैं।