वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः कश्मीर में नई पहल से बढ़ेगी खुशहाली

By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 30, 2020 01:43 PM2020-10-30T13:43:08+5:302020-10-30T13:43:08+5:30

जमीन की खरीद-फरोख्त संबंधित पुराने 12 कानून निरस्त कर दिए गए हैं. अब जैसे कश्मीरी नागरिक भारत में कहीं भी जमीन खरीद-बेच सकता है, लगभग वैसा ही अब किसी अन्य प्रांत का नागरिक कश्मीर में कर सकता है.

A new initiative in Jammu Kashmir will increase prosperity, article 370, 35A | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः कश्मीर में नई पहल से बढ़ेगी खुशहाली

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः कश्मीर में नई पहल से बढ़ेगी खुशहाली

पिछले साल जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35-ए हटी तो अब उसके तार्किक परिणाम सामने आए बिना कैसे रह सकते हैं. अब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अन्य प्रांतों के लोगों को जमीन खरीदने और मकान बनाकर रहने का अधिकार दे दिया है. इस संबंध में कश्मीर के मूल निवासी होने की शर्त को हटा लिया गया है. सरकार का मानना है कि इस नए प्रावधान की वजह से कश्मीरियों को रोजगार के अपूर्व अवसर मिलेंगे, उन्हें अपने प्रदेश में रहते हुए प्रचुर नौकरियां मिलेंगी, देश-विदेश के बड़े-बड़े उद्योग वहां फलेंगे-फूलेंगे और यदि ऐसा होगा तो इसमें मैं यह जोड़ दूं कि कश्मीर को केंद्र सरकार के आगे हर साल हाथ फैलाने की जरूरत नहीं होगी.

कश्मीरी नेताओं ने इस नए प्रावधान को बहुत घातक बताया है. उनका कहना है कि अब कश्मीर पूंजीपतियों के हाथ बिक जाएगा. कश्मीरी नेता अब शायद इस आशंका से भी ग्रस्त होंगे कि जब कश्मीर की अपनी आमदनी बहुत बड़ी हो जाएगी तो केंद्र से करोड़ों-अरबों की मदद घट जाएगी. अगर ऐसा हुआ तो नेतागण अपना हाथ कैसे साफ करेंगे? कश्मीरी नेताओं को यह डर भी सता सकता है कि कश्मीर की सुंदरता पर फिदा देश के मालदार और दिलदार नागरिक बड़ी संख्या में वहां आ बसेंगे. 

उनका डर जायज है. इसीलिए बेहतर हो कि केंद्र सरकार गैर-कश्मीरियों के वहां बसने पर कड़ा नियंत्नण रखे, जैसा कि नगालैंड और मणिपुर जैसे पूर्वी सीमांत के प्रांतों में है. वैसे केंद्र सरकार ने अभी से यह प्रावधान तो कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर की खेतिहर जमीन को कोई गैर-कश्मीरी नहीं खरीद सकेगा और वहां मकान या दफ्तर या कल-कारखाने नहीं लगा सकेगा. हां, अस्पतालों और स्कूलों के लिए कृषि-भूमि दी जा सकती है लेकिन उसके लिए सरकारी अनुमति जरूरी होगी. कश्मीर में बसे बाहरी किसान एक-दूसरे की जमीन अब खरीद-बेच सकेंगे.

जमीन की खरीद-फरोख्त संबंधित पुराने 12 कानून निरस्त कर दिए गए हैं. अब जैसे कश्मीरी नागरिक भारत में कहीं भी जमीन खरीद-बेच सकता है, लगभग वैसा ही अब किसी अन्य प्रांत का नागरिक कश्मीर में कर सकता है. फिलहाल, कश्मीरियों को यह प्रावधान बुरा जरूर लगेगा लेकिन उनकी पहचान, उनकी अस्मिता, उनके गौरव को दिल्ली की कोई भी सरकार कभी नष्ट नहीं होने देगी.

Web Title: A new initiative in Jammu Kashmir will increase prosperity, article 370, 35A

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