World Bicycle Day: स्वस्थ शरीर, स्वच्छ शहर का उपाय साइकिल, करीब 35 फीसदी आबादी मोटापे, हृदय रोग और मधुमेह की चपेट में

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 3, 2025 05:15 IST2025-06-03T05:15:53+5:302025-06-03T05:15:53+5:30

World Bicycle Day: अमेरिका में हुए एक शोध में पाया गया कि साइकिल चलाने वाले लोगों में डिप्रेशन की दर 25 फीसदी कम हो जाती है.

World Bicycle Day 3 june Bicycle solution a healthy body a clean city 35 percent population affected diseases like obesity heart disease diabetes blog Devendraraj Suthar | World Bicycle Day: स्वस्थ शरीर, स्वच्छ शहर का उपाय साइकिल, करीब 35 फीसदी आबादी मोटापे, हृदय रोग और मधुमेह की चपेट में

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Highlights40 फीसदी कम हो जाती है और मानसिक स्वास्थ्य में भी काफी सुधार होता है. करीब 100 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोका जा सकता है.आर्थिक पहलू पर नजर डालें तो साइकिल सस्ती, सरल और समानता की वाहक है.

देवेंद्रराज सुथार

हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने 2018 में इस दिवस को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, आज शहरी भारत की करीब 35 फीसदी आबादी मोटापे, हृदय रोग और मधुमेह जैसी बीमारियों की चपेट में है. शारीरिक निष्क्रियता, तनाव और प्रदूषित हवा इन बीमारियों का सबसे बड़ा कारण हैं. लेकिन अगर कोई एक उपाय है जो इन तीनों समस्याओं पर एक साथ वार करता है, तो वह है नियमित रूप से साइकिल चलाना. आंकड़े बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति दिन में सिर्फ 30 मिनट भी साइकिल चलाता है, तो हृदय रोग की संभावना 40 फीसदी कम हो जाती है और मानसिक स्वास्थ्य में भी काफी सुधार होता है. अमेरिका में हुए एक शोध में पाया गया कि साइकिल चलाने वाले लोगों में डिप्रेशन की दर 25 फीसदी कम हो जाती है.

संयुक्त राष्ट्र जलवायु रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर वैश्विक यात्रा का मात्र 10 प्रतिशत मोटर वाहनों से साइकिलों की ओर मोड़ दिया जाए, तो सालाना करीब 100 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोका जा सकता है. अगर सामाजिक और आर्थिक पहलू पर नजर डालें तो साइकिल सस्ती, सरल और समानता की वाहक है.

भारत में करीब 70 प्रतिशत लोग रोजमर्रा के काम के लिए 5 किलोमीटर से कम की यात्रा करते हैं. यह वह दूरी है जो साइकिल से आराम से तय की जा सकती है. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि भारत में कुल सड़कों के मात्र 1.2 प्रतिशत पर ही साइकिल ट्रैक मौजूद हैं.  बिहार सरकार की ‘मुख्यमंत्री साइकिल योजना’ के लागू होने के बाद लड़कियों की स्कूल उपस्थिति में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

साइकिल से जुड़ी अर्थव्यवस्था को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. यूरोप में अनुमानित 6 लाख नौकरियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से साइकिल उद्योग से जुड़ी हैं.  नीदरलैंड जैसे देश में 27 फीसदी से ज्यादा ट्रैफिक साइकिल से होता है. कोपेनहेगन में 62 फीसदी लोग साइकिल से काम पर जाते हैं.

दूसरी ओर, भारत जैसे देश में, जहां सड़क पर हर पांचवां वाहन दोपहिया है, साइकिल की हिस्सेदारी लगातार कम होती जा रही है. 1990 में जहां शहरी भारत की 30 फीसदी यात्रा साइकिल से होती थी, वह अब घटकर 10 फीसदी से भी कम रह गई है. नीति आयोग, आवास मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय ने कई बार ‘साइकिल फ्रेंडली शहरों’ की बात की है, लेकिन जमीन पर इसके नतीजे बहुत सीमित रहे हैं.

अगर सरकार साइकिल चलाने को लेकर गंभीर है तो इससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा. एक अध्ययन के अनुसार, अगर भारत के 50 प्रमुख शहरों में 25 प्रतिशत यात्रा साइकिल से की जाए तो देश को हर साल करीब 1.8 लाख करोड़ रुपए का ईंधन, स्वास्थ्य और समय लाभ मिल सकता है.

इसके अलावा, साइकिल चलाने के हर किलोमीटर पर औसतन 0.30 डॉलर का सामाजिक लाभ होता है, जबकि कार चलाने के हर किलोमीटर पर 0.20 डॉलर का सामाजिक नुकसान होता है. साइकिल कोई ‘बैकअप प्लान’ नहीं है, यह हमारा भविष्य है. हमें इसे प्राथमिकता बनाना होगा, मजबूरी नहीं.  

Web Title: World Bicycle Day 3 june Bicycle solution a healthy body a clean city 35 percent population affected diseases like obesity heart disease diabetes blog Devendraraj Suthar

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