नरेंद्र कौर छाबड़ा का ब्लॉग: स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है व्यसनमुक्ति
By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Published: June 26, 2020 02:28 PM2020-06-26T14:28:02+5:302020-06-26T14:28:02+5:30
हर वर्ष 26 जून को विश्व भर में नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है. लोगों को नशे से मुक्त कराने और उन्हें जागरूक करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है. शराब, सिगरेट, तम्बाकू, ड्रग्स आदि का सेवन कर युवाओं का एक बड़ा हिस्सा नशे का शिकार हो रहा है. जहां युवाओं के मन में आसमान छूने की तमन्ना, हवाओं का रुख मोड़ने की ताकत, स्वर्णिम सपने, सफलता के शिखर पर पहुंचने का उत्साह होना चाहिए, उसके स्थान पर आज दिशाहीनता के कारण वह नशे में बर्बाद हो रहा है.
युवाओं में नशा करने का कारण उनकी बढ़ती उम्र के शौक होते हैं. कुछ युवा परिवार की परेशानियों के कारण तो कुछ मानसिक तनाव से ग्रसित होकर नशा करते हैं. कई बार तो दोस्तों के उकसाने पर सीधा सादा युवा या किशोर थोड़ी मात्ना में नशीले पदार्थ का सेवन कर लेता है. इसके बाद धीरे-धीरे वह नशे का आदी होने लगता है.
मादक पदार्थो के सेवन का स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है. शरीर के कई अंगों पर इसके दुष्प्रभाव होते हैं. विशेष रूप से दिमाग को यह अपनी चपेट में ले लेता है. नशा करने वाला हमेशा मानसिक तनाव से ग्रसित नजर आता है, समाज और परिवार से दूर होता चला जाता है. साथ ही आर्थिक, शारीरिक व मानसिक रूप से भी कमजोर होता जाता है. परिवार में क्लेश, अशांति, परेशानियां होने के कारण जीवन नर्क बन जाता है. नशे की यह आदत अब केवल युवाओं तक ही नहीं रह गई है बल्कि इसकी चपेट में बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग सभी आ रहे हैं. लेकिन विडंबना यह है कि शराब, सिगरेट, जर्दा, गुटखा आदि के सेवन को स्टेटस बनाकर पेश किया जाने लगा है. कई बार न तो समाज और न ही अभिभावक इस बारे में गंभीर दिखाई देते हैं. इसीलिए मादक द्रव्यों का व्यवसाय फल-फूल रहा है. व्यसनमुक्ति के लिए अनेक नशामुक्ति केंद्र बनाए गए हैं जो नशे से छुटकारा दिलाने के लिए बहुत उपयोगी हैं. इस बारे में किसी काउंसलर की सलाह भी ली जा सकती है.
मन में अगर ठान लिया जाए कि नशे की लत से बाहर आना ही है, मन को मजबूत बनाया जाए, अपने संकल्प पर दृढ़ रहा जाए तो बात बन सकती है. मां-बाप की थोडी सी सावधानी, समाज की थोड़ी सी जिम्मेदारी, सरकार की कुछ खबरदारी, साथियों की थोड़ी जवाबदारी अगर हो जाए तो इन व्यसनों से बचा जा सकता है. यह जीवन प्रकृति का उपहार, भगवान का वरदान है, बेहद मूल्यवान है. इसे व्यसनों से नष्ट न करें बल्किदेश के भविष्य का नवनिर्माण करें.