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चिकित्सा विज्ञानः वैक्सीन से कैंसर के इलाज की दिशा में बंधती उम्मीद

By निरंकार सिंह | Updated: November 7, 2025 05:29 IST

Medical Science: उपचार प्रणाली रोगी के इम्यून सिस्टम में सामान्य ट्यूमर मार्कर पेश करने के लिए मैसेंजर आरएनए का उपयोग करती है.

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ठळक मुद्देशरीर की इम्युनिटी को कैंसर सेल्स से लड़ने के लिए मजबूत बनाया जाता है.कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर उनका मुकाबला कर सके. दुनियाभर में वैज्ञानिक लगातार इसकी दवा और वैक्सीन पर काम कर रहे हैं.

Medical Science:  चिकित्सा विज्ञान में आजकल कई अलग पद्धतियों से कैंसर का उपचार किया जाता है, जो कई मामलों में कारगर भी साबित हो रही है. कुछ इसी तरह से इन दिनों इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में भी किया जा रहा है. इसमें हमारे शरीर की इम्युनिटी को कैंसर सेल्स से लड़ने के लिए मजबूत बनाया जाता है.

यह उपचार प्रणाली रोगी के इम्यून सिस्टम में सामान्य ट्यूमर मार्कर पेश करने के लिए मैसेंजर आरएनए का उपयोग करती है. इसका लक्ष्य इम्यून सिस्टम को इस प्रकार से विकसित करना है कि वह इन कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर उनका मुकाबला कर सके. इसका काम संभावित रूप से उन कोशिकाओं को नष्ट करना है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को दबा सकते हैं.

दुनियाभर में वैज्ञानिक लगातार इसकी दवा और वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. इसी कड़ी में हाल के वर्षों में जीआरपी ( ग्लूकोस रेगुलेटेड प्रोटीन्स) आधारित वैक्सीन पर रिसर्च ने सबका ध्यान खींचा है. माना जा रहा है कि ये वैक्सीन कैंसर के इलाज और रोकथाम में बड़ी भूमिका निभा सकती है. जीआरपी हमारे शरीर में मौजूद एक खास प्रकार के प्रोटीन होते हैं.

ये कोशिकाओं को तनाव से बचाते हैं और प्रोटीन को सही आकार देने में मदद करते हैं. लेकिन इनकी सबसे खास बात यह है कि ये हमारे इम्यून सिस्टम को सक्रिय करते हैं. जीआरपी शरीर की प्रतिरोधक कोशिकाओं को कैंसर की पहचान करने और उसे नष्ट करने की क्षमता देते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह शरीर को पूरे कैंसर एंटीजेन की जानकारी देता है,

जिससे हमारी इम्यून कोशिकाएं कैंसर की पहचान करके उस पर तेजी से हमला कर सकती हैं. यही वजह है कि इसको भविष्य की कैंसर वैक्सीन के लिए सबसे बड़ा गेम चेंजर माना जा रहा है. अब तक हुए प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स में जीआरपी आधारित वैक्सीन ने चूहों पर अच्छे नतीजे दिखाए हैं. इस वैक्सीन ने कैंसर की शुरुआत को रोका. ट्यूमर के फैलाव  को कम किया.

और सबसे अहम बात लंबे समय तक इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) बनी रही. वैज्ञानिक मानते हैं कि जीआरपी वैक्सीन को नैनोपार्टिकल्स और एडजुवेंट्स (जो इम्यून सिस्टम को और तेज करते हैं) के साथ मिलाकर और भी असरदार बनाया जा सकता है.  इसके अलावा, हर मरीज के ट्यूमर से जीआरपी कॉम्प्लेक्स निकालकर पर्सनलाइज्ड वैक्सीन भी तैयार की जा सकती है.

इससे इलाज और सटीक हो जाएगा. भारत में कैंसर अनुसंधान केंद्र (सीसीआर) कैंसर प्रतिरक्षा विज्ञान और प्रतिरक्षा चिकित्सा अनुसंधान में विश्व में अग्रणी है.  हमारे शोधकर्ताओं ने इन तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में काफी महत्वपूर्ण प्रगति की है और कैंसर के लिए प्रतिरक्षा-आधारित उपचार विकसित करने के उद्देश्य से नैदानिक परीक्षण कर रहे हैं.

सीसीआर के चिकित्सक-वैज्ञानिक कैंसर, एचआईवी या प्रतिरक्षा-अक्षमता विकारों से पीड़ित रोगियों के परिणामों में सुधार लाने के उद्देश्य से नैदानिक परीक्षणों में नई प्रतिरक्षा-चिकित्सा पद्धतियों का सक्रिय रूप से परीक्षण कर रहे हैं. रोगियों का इलाज एनआईएच क्लिनिकल सेंटर में किया जाता है, जो देश का सबसे बड़ा अस्पताल है जो पूरी तरह नैदानिक अनुसंधान के लिए समर्पित है.

टॅग्स :कैंसरHealth and Family Welfare Department
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