जिगसॉ पजल की तरह जिंदगी की पहेली भी धैर्य से ही होती है हल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 11, 2025 05:17 IST2025-08-11T05:17:57+5:302025-08-11T05:17:57+5:30
जिगसॉ पजल को हल करते समय अगर आप एक गलत टुकड़ा जबरदस्ती फिट करने की कोशिश करें तो पूरा पजल बिगड़ सकता है.

सांकेतिक फोटो
डॉ. प्रतीक माहेश्वरी
हर जिगसॉ पजल की शुरुआत एक बॉक्स से होती है, जिसमें टुकड़े बिखरे होते हैं. देखने में अव्यवस्था लगती है, भ्रम भी होता है. ठीक उसी प्रकार, जिंदगी की शुरुआत भी ऐसी ही होती है. हमें कुछ टुकड़े जन्म से मिलते हैं... जैसे परिवार, परिवेश, प्राकृतिक योग्यता. कुछ टुकड़े (शिक्षा, अनुभव, संबंध, संघर्ष और उपलब्धियां) हम समय के साथ पाते हैं. लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि किस तरह से हम इन टुकड़ों को पहचानते हैं, जोड़ते हैं और अर्थपूर्ण तस्वीर बनाते हैं. जिगसॉ पजल को हल करते समय अगर आप एक गलत टुकड़ा जबरदस्ती फिट करने की कोशिश करें तो पूरा पजल बिगड़ सकता है.
ऐसे ही, जिंदगी में भी हम कई बार ऐसा ही करते हैं. उस समय लगता है कि यह ‘फिट’ हो रहा है, लेकिन असल में वह हमारी तस्वीर को धुंधला कर रहा होता है. कई बार हम किसी खास टुकड़े को पजल में बड़ी शिद्दत से ढूंढ़ते हैं, लेकिन वह मिल ही नहीं पाता. जीवन में भी ऐसा ही होता है- हम किसी मुकाम, किसी चाहत को पाने के लिए पूरी जान लगा देते हैं,
लेकिन जब वह हासिल नहीं होता तो अक्सर किस्मत को दोष देने लगते हैं. पर संभव है कि उस समय हम उस चीज को पाने के लिए भीतर से तैयार ही नहीं होते. और शायद यही कारण है कि कायनात हमें वह टुकड़ा नहीं देती- ताकि हम अपनी जिंदगी की तस्वीर किसी गलत टुकड़े से बिगाड़ न दें. कई बार पजल को हल करने में घंटों लग जाते हैं. जीवन में भी कुछ हिस्सों को जोड़ने में कभी-कभी समय लगता है.
कई बार हम अधीर हो जाते हैं, दूसरों से तुलना करने लगते हैं. लेकिन हर किसी की तस्वीर अलग होती है, हर किसी की गति अलग होती है. जीवन का बड़ा चित्र अक्सर तभी स्पष्ट होता है जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं. उदाहरणार्थ, एक समय था जब जे.के. रोलिंग आर्थिक तंगी से जूझ रहीं थीं, पब्लिशर्स लगातार मना कर रहे थे. उनके पजल के टुकड़े बहुत देर से जुड़े.
लेकिन जब जुड़े तो पूरी दुनिया देखती रह गई. एप्पल से निकाले जाने के बाद स्टीव जॉब्स ने नेक्स्ट और पिक्सर जैसे टुकड़े जोड़े, जो बाद में उन्हें एक नई ऊंचाई पर ले गए. कई बार पजल में कोई टुकड़ा गुम हो जाता है- और हम परेशान हो जाते हैं. लेकिन जीवन में यह स्वीकार करना जरूरी है कि हर तस्वीर का संपूर्ण होना जरूरी नहीं, सार्थक होना जरूरी है.
कुछ लोग, कुछ मौके, कुछ सपने छूट भी जाते हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि तस्वीर अधूरी है. हम सभी जानते है, जिगसॉ पजल को हल करने के लिए जिज्ञासा चाहिए- हर टुकड़े को ध्यान से देखने, समझने और जोड़ने की ललक. जीवन में भी यही चाहिए. नए अनुभवों को अपनाना, नए कौशल सीखना, रिश्तों में गहराई लाना.
कोई नया शौक, कोई देर से किया गया करियर बदलाव, कोई सामाजिक पहल- ये सभी वे टुकड़े हो सकते हैं जो तस्वीर को पूर्णता के करीब ले जाते हैं. अंत में... जिंदगी कोई एक बार में हल हो जाने वाला पजल नहीं है. यह लगातार बदलती रहने वाली, गहराती रहने वाली यात्रा है. कुछ टुकड़े जल्दी मिलते हैं, कुछ देर से. कुछ सही बैठते हैं, कुछ बार-बार ट्राई करने के बाद.
लेकिन हर टुकड़े की अपनी अहमियत होती है. तो अगली बार जब आप अपने जीवन में बिखराव महसूस करें- याद रखिए, यह सिर्फ पजल का हिस्सा है. धैर्य रखें, जिज्ञासा रखें और अपने हर अनुभव को एक टुकड़े की तरह देखें. यकीन मानिए, अंत में तस्वीर उतनी ही सुंदर होगी जितनी आपने कल्पना की थी.