रंजना मिश्रा ब्लॉग: तेजी से फैलते आई फ्लू से कैसे बचें?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 5, 2023 10:14 AM2023-08-05T10:14:08+5:302023-08-05T10:16:27+5:30
जब किसी वायरस, बैक्टीरिया, एलर्जी या प्रदूषण की वजह से कंजंक्टिवा प्रभावित हो जाती है तो यह सफेद की बजाय लाल या गुलाबी दिखाई देने लगती है।
बारिश के मौसम में तापमान तो कुछ घटा है लेकिन नमी काफी बढ़ गई है। ऐसी स्थिति में बैक्टीरिया तथा वायरस से संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे आई फ्लू होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
पलक के अंदरूनी हिस्से और आंख के सफेद भाग (श्वेत पटल) को ढंकने वाली और उसकी सुरक्षा करने वाली एक पतली सी पारदर्शी परत होती है, जिसे कंजंक्टिवा कहा जाता है।
जब किसी वायरस, बैक्टीरिया, एलर्जी या प्रदूषण की वजह से कंजंक्टिवा प्रभावित हो जाती है तो यह सफेद की बजाय लाल या गुलाबी दिखाई देने लगती है। आंखों के इस रोग को कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है।
इसे आई फ्लू या पिंक आई भी कहते हैं। यह एक एपिडेमिक बीमारी है, जिससे एक समुदाय या क्षेत्र के लोग बड़े पैमाने पर प्रभावित होते हैं।
आई फ्लू पांच-छह दिनों से लेकर दो हफ्तों तक रह सकता है और कुछ परिस्थितियों में तो यह एक महीने तक भी बना रह सकता है। कंजंक्टिवाइटिस तीन प्रकार का होता है, वायरल कंजंक्टिवाइटिस, बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस और एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस।
इस समय मानसून में ज्यादातर वायरल कंजंक्टिवाइटिस हो रहा है. लेकिन बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस ज्यादा दिक्कत देता है और ज्यादा दिनों तक रह सकता है।
आई फ्लू होने पर जब आंखों से पतला या गाढ़ा द्रव बहता है और खुजली होती है तो रोगी अपनी संक्रमित आंखों में हाथ लगाता है और उन्हीं हाथों से कई जगहों की वस्तुओं को स्पर्श करता है। इन वस्तुओं के संपर्क में जब कोई दूसरा व्यक्ति आता है तो वह भी इस बीमारी से संक्रमित हो जाता है।
वायरल कंजंक्टिवाइटिस की अवस्था में रोगी को सर्दी-जुकाम होता है. ऐसे में छींक या खांसी आने पर रोगी के मुंह से निकलने वाली श्वसन बूंदों के माध्यम से वायरस उसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकते हैं।
सामान्य तौर पर यह कुछ समय बाद अपने आप ही ठीक हो जाता है। आंखों में अधिक परेशानी होने पर आई ड्रॉप का इस्तेमाल करना चाहिए।