Cancer: बाल्यावस्था में कैंसर का बढ़ता ग्राफ, नन्हे मरीज, बड़ी चुनौती?, दुनियाभर में प्रतिवर्ष करीब पौने दो लाख बच्चों की मौत...
By योगेश कुमार गोयल | Updated: February 15, 2025 05:53 IST2025-02-15T05:53:33+5:302025-02-15T05:53:33+5:30
Cancer: रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में प्रतिवर्ष करीब पौने दो लाख बच्चों की मौत कैंसर के कारण हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल निरंतर बढ़ रहा है.

सांकेतिक फोटो
Cancer: कैंसर ऐसी घातक और जानलेवा बीमारी है, जो अब बच्चों में भी तेजी से फैलने लगी है. चिंता का विषय यह है कि बच्चों में दुनियाभर में सामने आने वाले कैंसर के ऐसे मामलों में से करीब 25 फीसदी मामले केवल भारत में ही होते हैं. कुछ समय पूर्व यह चौंका देने वाली जानकारी सामने आई थी कि विश्वभर में प्रतिवर्ष तीन लाख से अधिक बच्चे इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आते हैं, जिनमें से 78 हजार से भी ज्यादा बच्चे भारत में होते हैं. एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में प्रतिवर्ष करीब पौने दो लाख बच्चों की मौत कैंसर के कारण हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल निरंतर बढ़ रहा है.
दुनियाभर में बच्चों को कैंसर का शिकार होने से बचाया जा सके और उनमें कैंसर के लक्षणों का समय पर पता चल सके, इसी उद्देश्य से प्रतिवर्ष 15 फरवरी को ‘अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस’ मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कैंसर बच्चों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वर्ष 2020 में 14 वर्ष आयु तक के 262281 बच्चों में कैंसर का पता चला था, जिनमें 45 फीसदी बच्चे अफ्रीका तथा दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के थे. डब्ल्यूएचओ के एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष 19 वर्ष आयु तक के करीब चार लाख बच्चों में कैंसर की पहचान की जाती है.
डब्ल्यूएचओ द्वारा वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर कैंसर से पीड़ित सभी बच्चों के लिए कम से कम 60 फीसदी जीवित रहने और पीड़ा को कम करने के लिए वर्ष 2018 में ‘ग्लोबल चाइल्डहुड कैंसर इनिशिएटिव’ की शुरुआत की गई थी. उच्च आय वाले अधिकांश देशों में 80 फीसदी उत्तरजीविता के साथ कैंसर से प्रभावित बच्चों के जीवित रहने की दर भिन्न होती है लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों में यह 20 फीसदी से भी कम होती है. प्रतिवर्ष विश्वभर में जितने बच्चों को कैंसर होता है, उनमें से करीब 25 फीसदी मामले भारत से होते हैं.
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि जहां इलाज के बाद विकसित देशों में करीब 80 फीसदी बच्चे ठीक हो जाते हैं, वहीं भारत में यह दर केवल 30 फीसदी ही है. दरअसल भारत में विशेषकर ग्रामीण अंचलों में ऐसे बच्चों के अस्पताल तथा आधुनिक चिकित्सा सेवाओं तक पहुंचने की दर महज 15 प्रतिशत ही है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में कैंसर का इलाज करने वाले करीब दो सौ सेंटर हैं किंतु इनमें केवल 30 फीसदी कैंसर पीड़ित बच्चों का ही इलाज हो पाता है. बच्चों में भी कैंसर के मामले बढ़ने का एक बड़ा कारण प्रदूषित वातावरण के अलावा उनके रोजमर्रा के खाने-पीने की आदतों में बड़े स्तर पर जंक फूड का शामिल होना भी माना गया है, जिससे उनके शरीर की पोषण स्थिति कमजोर होने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और वे आसानी से गंभीर बीमारियों की चपेट में आने लगते हैं.