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ब्लॉग: दृष्टिबाधितों के लिए वरदान बन रही है ब्रेल लिपि

By योगेश कुमार गोयल | Published: January 04, 2024 10:54 AM

संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्वभर में करीब 3.9 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो देख नहीं सकते जबकि 25.3 करोड़ लोगों में कोई न कोई दृष्टि विकार है।

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ठळक मुद्देविश्वभर में करीब 3.9 करोड़ लोग देख नहीं सकते हैं, जबकि 25.3 करोड़ लोगों में कोई न कोई दृष्टि दोष हैविश्वभर में करीब 10 करोड़ लोगों को नजर की कमजोरी अथवा विकलांगता हैब्रेल लिपि नेत्र विकारों वाले व्यक्तियों और दृष्टि विकलांगों के पढ़ने और लिखने की स्पर्शनीय प्रणाली है

संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्वभर में करीब 3.9 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो देख नहीं सकते जबकि 25.3 करोड़ लोगों में कोई न कोई दृष्टि विकार है। इनमें से करीब 10 करोड़ लोगों को नजर की ऐसी कमजोरी अथवा विकलांगता है, जिसे रोका जा सकता था या उन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार नेत्रविकार से पीड़ित लोगों के गरीबी और अभाव भरे जीवन से पीड़ित होने की संभावना ज्यादा होती है। नेत्र विकलांगता वाले व्यक्तियों के गरीबी, अनदेखी और हिंसा के बढ़े स्तरों का अनुभव करने की ज्यादा आशंका रहती है।

संयुक्त राष्ट्र के ‘विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन’ में ब्रेल लिपि को संचार के एक साधन के रूप में उद्धृत किया गया है। यूएन के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ‘यूनेस्को’ ने वर्ष 1949 में ब्रेल लिपि में एकरूपता लाने के उद्देश्य से समस्याओं पर ध्यान देने वाला एक सर्वेक्षण आगे बढ़ाने की पहल की थी।

6 नवंबर 2018 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें प्रतिवर्ष 4 जनवरी को ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल के जन्मदिवस को उनके सम्मान में ‘विश्व ब्रेल दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। वैश्विक स्तर पर इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत का उद्देश्य संचार के साधन के रूप में ब्रेल के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना, दृष्टि-बाधित लोगों को उनके अधिकार प्रदान करना तथा ब्रेल लिपि को बढ़ावा देना है। इस अवसर पर दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, नेत्र रोगों की पहचान, रोकथाम और पुनर्वास विषय पर चर्चाएं होती हैं।

ब्रेल लिपि नेत्र विकारों वाले व्यक्तियों और दृष्टि विकलांग लोगों के लिए पढ़ने और लिखने की स्पर्शनीय प्रणाली है, जिसकी खोज 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के कूपवरे में जन्मे लुई ब्रेल ने महज 15 वर्ष की आयु में की थी। ब्रेल लिपि एक तरह का कोड है। यह ऐसी लिपि है, जिसे एक विशेष प्रकार के उभरे कागज पर लिखा जाता है और इसमें उभरे हुए बिंदुओं की श्रृंखला पर उंगलियां रखकर या उन्हें उंगलियों से छूकर पढ़ा जाता है।

ब्रेल लिपि को टाइपराइटर जैसी दिखने वाली एक मशीन ‘ब्रेलराइटर’ के जरिये लिखा जा सकता है या पेंसिल जैसी नुकीली चीज ‘स्टायलस’ और ब्रेल स्लेट ‘पट्ट’ का इस्तेमाल करके कागज पर बिंदु उकेर कर लिखा जा सकता है। ब्रेल लिपि से आज दुनियाभर में दृष्टिबाधितों की दुनिया बदल रही है। ऐसे लोगों की आज कोई कमी नहीं है, जो दृष्टिहीन होने के बावजूद दूसरे दृष्टिबाधितों के लिए इसी प्रकार मिसाल बन रहे हैं और निश्चित रूप से इसका श्रेय जाता है ब्रेल लिपि के जनक लुई ब्रेल को।

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