संपादकीय: मूल्यांकन में कोताही, तय करें जवाबदेही

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 27, 2019 08:20 AM2019-04-27T08:20:40+5:302019-04-27T08:20:40+5:30

गड़बड़ी ऐसी है कि कई छात्रों को तो परीक्षा देने के बाद भी ‘अनुपस्थित’ दिखाया गया है। 11वीं में 90 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र भी इस बार 12वीं में फेल हो गए हैं।

Editorial: Determine Accountability in Evaluation | संपादकीय: मूल्यांकन में कोताही, तय करें जवाबदेही

संपादकीय: मूल्यांकन में कोताही, तय करें जवाबदेही

तेलंगाना में प्रशासन की घोर लापरवाही के कारण 18 निरपराध स्कूली बच्चों ने अपनी जान दे दी है। राज्य में 18 अप्रैल को घोषित कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के परिणामों में फेल होने से निराश होकर 18 विद्यार्थियों ने खुदकुशी कर ली। भारी विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकार ने फेल होने वाले 3।28 लाख विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं का पुनमरूल्यांकन करने का फैसला किया है। 

गड़बड़ी ऐसी है कि कई छात्रों को तो परीक्षा देने के बाद भी ‘अनुपस्थित’ दिखाया गया है। 11वीं में 90 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र भी इस बार 12वीं में फेल हो गए हैं। दरअसल, तेलंगाना बोर्ड ने परीक्षा के लिए पंजीयन से लेकर परीक्षा परिणाम जारी करने तक की पूरी जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को सौंप दी थी। परीक्षा परिणाम सामने आने के बाद कंपनी ने स्वीकार किया कि उसके सॉफ्टवेयर में तकनीकी गड़बड़ी थी, लेकिन उसे ठीक कर दिया गया था।

सवाल उठता है कि यह आखिर किस तरह की व्यवस्था है? बात सिर्फ तेलंगाना की ही नहीं है। कई अन्य जगहों से भी ऐसी लापरवाही की घटनाएं सामने आती रही हैं। पुनमरूल्यांकन में विद्यार्थियों के 20-25 तक अंक बढ़ जाते हैं। नागपुर विश्वविद्यालय में भी पुनमरूल्यांकन के दौरान छात्रों के 18-18 तक अंक बढ़े हैं। एक स्पष्ट बात यह है कि हमारी मूल्यांकन व्यवस्था ठीक नहीं है। 

शिक्षा के क्षेत्र में उम्मीद की जाती है कि संस्थानों में बेहद बारीकी से पढ़ाई होगी तथा निष्पक्षता के साथ विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी होगा। स्कूलों-कॉलेजों के जरिए हम एक सुनहरे विश्व के निर्माण के लिए भविष्य के होनहार नागरिकों को तैयार करते हैं। लेकिन जब लचर व्यवस्था और प्रशासनिक गड़बड़ी की ऐसी घटनाएं सामने आती हैं तो भविष्य की राह ऊबड़-खाबड़ नजर आने लगती है। स्कूल-कॉलेजों में कई बार पाठ्यक्रम तक पूरा करने में कोताही के मामले सामने आते हैं, परीक्षाओं में कई जगह खुलेआम नकल होती है। 

शिक्षा क्षेत्र में नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद के मामले जब तक सामने आते रहेंगे, तब तक ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगना संभव नहीं है। तेलंगाना की यह घटना बेहद दुखदाई है और इसने पूरी व्यवस्था पर सवाल उठा दिए हैं। यदि विद्यार्थियों का व्यवस्था पर से ही विश्वास उठ जाएगा, तो वह भविष्य में उस व्यवस्था के साथ काम कैसे करेंगे? अब पुनमरूल्यांकन में गड़बड़ी ठीक हो जाने की उम्मीद की जानी चाहिए, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में जिन विद्यार्थियों ने निराशा में घिरकर अपनी जान दे दी उनका क्या? उनके परिवारों का क्या? हमें ऐसी घटनाओं की जवाबदेही तय करनी होगी। यह भी तय करना होगा कि भविष्य में ऐसी कोई कोताही न हो।

Web Title: Editorial: Determine Accountability in Evaluation

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