लाइव न्यूज़ :

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः आर्यन के बहाने नशाबंदी का मौका

By विजय दर्डा | Updated: October 26, 2021 11:04 IST

हमारी सरकार का यह रवैया अजीब-सा है कि शराब की दुकानें तो वह खुलेआम चलने दे रही है लेकिन लगभग 300 नशीली दवाओं के सेवन पर उसने कानूनी प्रतिबंध लगा रखा है।

Open in App
ठळक मुद्देनशा और आत्महत्या, दोनों ही अनुचित हैं और अकरणीय हैंलेकिन इन्हें अपराध किस तर्क के आधार पर कहा जा सकता है?

आजकल अखबारों और टीवी चैनलों पर लगातार आर्यन खान का मामला जमकर प्रचारित हो रहा है। आर्यन और उसके कई साथियों को नशीले पदार्थो के सेवन के आरोप में पकड़ा गया है। ऐसे कई दोषी हमेशा पकड़े जाते हैं लेकिन उनका इतने धूम-धड़ाके से प्रचार प्राय: नहीं होता लेकिन आर्यन का हो रहा है, क्योंकि वह प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता शाहरु ख खान का बेटा है।

सरकार को इस बात का श्रेय तो देना पड़ेगा कि उसने शाहरुख के बेटे के लिए कोई लिहाजदारी नहीं दिखाई लेकिन मैं पहले दिन से सोच में पड़ा हुआ था कि जो लोग नशेड़ी होते हैं, उन्हें तभी पकड़ा जाना चाहिए, जब वे कोई अपराध करें। अगर वे सिर्फनशा करते हैं तो किसी दूसरे का क्या नुकसान करते हैं? वे तो अपना ही नुकसान करते हैं, जैसे कि आत्महत्या करनेवाले करते हैं। नशा और आत्महत्या, दोनों ही अनुचित हैं और अकरणीय हैं लेकिन इन्हें अपराध किस तर्क के आधार पर कहा जा सकता है? उन्हें आप सजा देकर कैसे रोक सकते हैं? सख्त सजाओं के बावजूद नशे और आत्महत्याओं के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। इन्हें रोका जा सकता है- शिक्षा और संस्कार से। यदि बच्चों में यह संस्कार डाल दिया जाए कि तुम नशा करोगे तो आदमी से जानवर बन जाओगे यानी जब तक तुम नशे में रहोगे तो तुम्हारी स्वतंत्न चेतना लुप्त हो जाएगी, तो वे अपने आप सभी नशों से दूर रहेंगे।

हमारी सरकार का यह रवैया अजीब-सा है कि शराब की दुकानें तो वह खुलेआम चलने दे रही है लेकिन लगभग 300 नशीली दवाओं के सेवन पर उसने कानूनी प्रतिबंध लगा रखा है। ये नशीली दवाएं शराब की तरह स्वास्थ्यनाशक तो हैं ही, ये मानव-चेतना को भी स्थगित कर देती हैं। इनके उत्पादन, भंडारण, व्यापार और आयात पर प्रतिबंध आवश्यक है लेकिन इनका सेवन करनेवालों को अपराधी नहीं, पीड़ित माना जाना चाहिए। उन्हें जेल में सड़ाने की बजाय सुधार-गृहों में भेजा जाना चाहिए। जेल में भी मादक-द्रव्यों का सेवन जमकर चलता है यानी कानून पूरी तरह से नाकारा हो सकता है जबकि नशा-विरोधी संस्कार हमेशा मनुष्य को सुदृढ़ बनाए रखता है।

मुझे खुशी है कि केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्नालय ने अपनी राय जाहिर करते हुए कहा है कि नशाखोरी के ऐसे मामलों को ‘अपराध’ की श्रेणी से निकालकर ‘सुधार’ की श्रेणी में डालिए। इस संबंध में संसद के अगले सत्न में ही नया कानून लाया जाना चाहिए और अंग्रेजों के जमाने के कानून को बदला जाना चाहिए।

टॅग्स :आर्यन खान
Open in App

संबंधित खबरें

बॉलीवुड चुस्की'सत्यमेव जयते': आर्यन खान की सीरीज 'बैड्स ऑफ बॉलीवुड' के खिलाफ मानहानि के मुकदमे पर समीर वानखेड़े की प्रतिक्रिया

बॉलीवुड चुस्कीसमीर वानखेड़े ने आर्यन और शाहरुख खान पर ₹2 करोड़ का मानहानि का मुकदमा दायर किया

बॉलीवुड चुस्कीThe Bads of Bollywood Screening: आर्यन की पहली सीरीज लॉन्च, इवेंट में शामिल हुए शाहरुख खान समेत कई बॉलीवुड हस्तियां

बॉलीवुड चुस्की‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ के ‘प्रीव्यू लॉन्च’, बेटे आर्यन खान के निर्देशन में बने नेटफ्लिक्स शो पर शाहरुख बोले- मेरा एक ही हाथ काफी

बॉलीवुड चुस्कीBads of Bollywood: शाहरुख खान ने बेटे आर्यन की पहली सीरीज 'बैड्स ऑफ बॉलीवुड' की घोषणा की

क्राइम अलर्ट अधिक खबरें

क्राइम अलर्ट4 महिला सहित 9 अरेस्ट, घर में सेक्स रैकेट, 24400 की नकदी, आपतिजनक सामग्री ओर तीन मोटर साइकिल बरामद

क्राइम अलर्टप्रेम करती हो तो चलो शादी कर ले, प्रस्ताव रखा तो किया इनकार, प्रेमी कृष्णा ने प्रेमिका सोनू को उड़ाया, बिहार के भोजपुर से अरेस्ट

क्राइम अलर्ट20 साल की नर्सिंग छात्रा की गला रेतकर हत्या, पिता ने कहा-महेंद्रगढ़ के उपेंद्र कुमार ने बेटी का अपहरण कर किया दुष्कर्म और लाडो को मार डाला

क्राइम अलर्टNanded Honor Killing: प्रेम संबंध के चलते दलित युवक की हत्या के आरोप में 1 और आरोपी गिरफ्तार, पीड़ित परिवार को दी गई सुरक्षा

क्राइम अलर्टDelhi: जाफराबाद में सड़क पर झड़प, गोलीबारी के बाद 3 गिरफ्तार