दूर तक फैला है ड्रग माफिया का जाल
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: February 20, 2025 06:41 IST2025-02-20T06:40:30+5:302025-02-20T06:41:01+5:30
निश्चित रूप से विदेशी ताकतें चाहती हैं कि भारतीय युवाओं तक नशे की पहुंच इतनी आसान कर दी जाए कि वे इसके लत के शिकार हो जाएं.

दूर तक फैला है ड्रग माफिया का जाल
यह अच्छी खबर है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पहल पर महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने एंटी ड्रग्स टास्कफोर्स के गठन को गति देने के लिए पदों की भर्ती को मंजूरी दे दी है. लेकिन यह सवाल पूछा जाना लाजिमी है कि जब इस टास्क फोर्स के गठन की मंजूरी मंत्रिमंडल ने 31 अगस्त 2023 को ही दे दी थी तो पदों की भर्ती को मंजूरी मिलने में 17 महीने से ज्यादा क्यों लग गए?
यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वास्तव में यदि ड्रग्स माफिया से लड़ना है तो उसके फैलते जाल की जो गति है, उससे ज्यादा तेज गति से सरकार को चलना होगा. उसके जाल को काटना है तो हर तरह के कानूनी हथियार के साथ ही बहुत सक्रिय और बगैर दबाव में आए काम करने वाले अधिकारियों की जरूरत होगी. राजनीतिक इच्छाशक्ति की सबसे ज्यादा जरूरत होगी.
निश्चित रूप से महाराष्ट्र पुलिस और नारकोटिक्स ब्यूरो सहित अन्य सभी संबंधित विभाग सक्रिय रहते हैं और इसी का परिणाम है कि मादक पदार्थों की बड़ी खेप पकड़ी भी जाती है. लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जितने मादक पदार्थ पकड़े जाते हैं, उससे ज्यादा बाजार में पहुंच जाते हैं. अपराधियों का बड़ा तबका ड्रग्स के धंधे में लगा है क्योंकि इसमें धन बरसता है.
दरअसल ड्रग्स केवल महाराष्ट्र की समस्या नहीं है. पूरे देश में ड्रग्स माफिया का जाल फैला हुआ है. दुर्भाग्य से ड्रग्स पहुंचाने से लेकर इसके सेवन तक में हमारी युवा पीढ़ी की भागीदारी सबसे ज्यादा है. सरकारी रिपोर्ट कहती है कि 2023-24 में डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने 109 मामलों में 8223.61 किलो अवैध ड्रग्स जब्त की. इस ड्रग्स की कीमत लगभग 2,241.76 करोड़ रु. थी.
गांजा सबसे ज्यादा मात्रा में जब्त हुआ, जबकि मूल्य के हिसाब से कोकीन सबसे टॉप पर रही. सवाल है कि ये ड्रग्स आता कहां से है? इसका जवाब यही है कि ज्यादातर ड्रग्स तस्करी के रास्ते भारत में आता है. इनमें पंजाब, राजस्थान और पूर्वोत्तर के राज्यों से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा ड्रग्स तस्करी का बड़ा मार्ग तो है ही, हवाई मार्ग से भी तस्करी की कोशिशें होती हैं.
मुंबई में अफ्रीकी देशों से आने वाले कई यात्रियों से बड़े पैमाने पर जब्त ड्रग्स इसका सबूत है. अमूमन हर सप्ताह पूर्वोत्तर के राज्यों में ड्रग्स की भारी खेप पकड़ी जा रही है. निश्चित रूप से विदेशी ताकतें चाहती हैं कि भारतीय युवाओं तक नशे की पहुंच इतनी आसान कर दी जाए कि वे इसके लत के शिकार हो जाएं. आज मुंबई से लेकर महाराष्ट्र के छोटे-छोटे शहरों में भी नशे के सौदागर मौजूद हैं.
इन पर नकेल कसने के लिए सरकार के स्तर पर व्यापक कदम बहुत जरूरी है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जो नई पहल की है, वह स्वागत योग्य है लेकिन मुख्यमंत्री को यह बात तो पता ही होगी कि नशे के कारोबारी हर स्तर पर सिस्टम में छेद करने में माहिर होते हैं.
यह छेद न हो पाए, यह सबसे बड़ी चुनौती होगी. इसके साथ ही शहरों और कस्बों में नशे के जो घोषित इलाके हैं, उन पर भी नकेल कसनी पड़ेगी. टास्क फोर्स के पास इतनी शक्ति होनी चाहिए कि वह नशेड़ियों तक नशा पहुंचाने वालों की गर्दन पकड़ सके और उन्हें कड़ी सजा दिला सके. नशे के सौदागरों के मजबूत सिस्टम को ध्वस्त करना जरूरी है.