राम ठाकुर का ब्लॉग: अब किसे बनाओगे बलि का बकरा?

By राम ठाकुर | Published: December 21, 2020 11:01 AM2020-12-21T11:01:54+5:302020-12-21T11:03:02+5:30

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में टीम इंडिया को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद मैनेजमेंट पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं...

Ram Thakur's blog: now who will make a scapegoat? | राम ठाकुर का ब्लॉग: अब किसे बनाओगे बलि का बकरा?

राम ठाकुर का ब्लॉग: अब किसे बनाओगे बलि का बकरा?

एडिलेड टेस्ट में करारी हार के बाद भारतीय क्रिकेट स्तब्ध है. टेस्ट इतिहास के सबसे न्यूनतम 36 रन के स्कोर पर टीम के आउट होने के कारण देश हतप्रभ है. मामला महज हार का नहीं है, एक शर्मनाक हार का है, जो लंबे समय तक सालती रहेगी. आज भी जब अजित वाडेकर की कप्तानी में 1974 के उस (इंग्लैंड के खिलाफ 42 का स्कोर) प्रदर्शन का जिक्र होता है तो बड़ा दुख होता है. कड़वी यादें आसानी से भुलाई नहीं जा सकतीं लेकिन हमारे कप्तान कड़वी यादें जल्द भूलना चाहते हैं.

विराट कोहली इसे बेहद सामान्य घटना मानते हैं. यही वजह है कि वह देशवासियों से इस शर्मनाक हार पर ‘तिल का ताड़’ न बनाने का आग्रह करते हैं. साथ ही उनका प्रयास भारतीय क्रिकेट के पिछले खराब प्रदर्शनों की याद दिलाकर इसे कम करने का है. 

सच बात तो यह है कि हार के तुरंत बाद आप देश के असंख्य क्रिकेट प्रेमियों से इस तरह की अपील नहीं कर सकते. सबसे पहले आपको विनम्र होकर अपनी हार स्वीकार करनी चाहिए. एक अच्छे कप्तान की पहचान यही होती है कि वह अपनी खामियों पर बात करे, न कि दूसरों की कमजोरियों पर. टीम जीत रही थी तो सबकुछ हरा-भरा नजर आ रहा था. मुख्य कोच रवि शास्त्री ने तो इस टीम को अब तक की सबसे सर्वश्रेष्ठ टीम घोषित करने में देरी नहीं की. लेकिन एडिलेड में किए गए सबसे बदतर प्रदर्शन के बाद वह चुप्पी साधे हुए हैं. 

नैतिक रूप से टीम की हार के लिए उन्हें भी आगे आकर हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. शायद वह सही समय का इंतजार कर रहे हैं. मामला जैसे ही कुछ शांत हो जाएगा तो लीपापोती करते हुए सुनहरे भविष्य की बातें कर इसे भुलाने की कोशिश करेंगे. समय के साथ-साथ आगे बढ़ना तो होता ही है और सीरीज में भी तीन टेस्ट खेले जाने हैं. ऐसे में इस हार को भुलाकर आगे बढ़ा जा सकेगा. लेकिन इससे हार को हल्के में नहीं लिया जा सकता. वर्ष 2019 के विश्व कप में न्यूजीलैंड के हाथों सेमी-फाइनल में हार के बाद बीसीसीआई ने बल्लेबाजी कोच संजय बांगर को हटाने में कोई देर नहीं की थी. हालांकि विश्व कप के सेमी-फाइनल में हार के लिए अकेले बांगर ही जिम्मेदार नहीं थे लेकिन टीम की हार का ठीकरा उनके सिर फोड़ा गया. क्या सौरव गांगुली इस करारी हार के बाद बेहतर भविष्य को देखते हुए कोई कड़ा कदम उठाएंगे? या फिर किसी कमजोर कड़ी को बलि का बकरा बनाकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश होगी?

पिछले कुछ अनुभवों को देखते हुए इसकी उम्मीद कम ही नजर आती है. क्योंकि भारतीय क्रिकेट में विराट कोहली पॉवर सेंटर माने जाते हैं और उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं खड़कता. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि दादा की दादागीरी चलेगी या विराट का वर्चस्व बना रहेगा.

Web Title: Ram Thakur's blog: now who will make a scapegoat?

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