भारी पड़ेगी पंड्या भाइयों की विफलता, अयाज मेमन का ब्लॉग
By अयाज मेमन | Updated: August 1, 2021 13:26 IST2021-08-01T13:25:47+5:302021-08-01T13:26:54+5:30
चाहर ब्रदर्स (दीपक-राहुल) और टॉप ऑर्डर में सूर्यकुमार यादव ही अपनी छाप छोड़ पाए. मिसाल के तौर पर भुवनेश्वर अपनी पहचान के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए.

दौरे की सबसे बड़ी निराशा पंड्या भाइयों की विफलता रही.
सीमित ओवरों की भारतीय टीम का श्रीलंकाई दौरा मिला-जुला रहा. जहां टीम ने वन-डे सीरीज 2-1 से जीती, वहीं टी-20 सीरीज के अंतिम दो मुकाबलों में उसे करारी शिकस्त मिली.
सीरीज में केवल युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मुहैया कराया जा सका. लेकिन आगामी टी-20 विश्व कप को देखते हुए यह दौरा ज्यादा सफल नहीं कहा जाएगा. चाहर ब्रदर्स (दीपक-राहुल) और टॉप ऑर्डर में सूर्यकुमार यादव ही अपनी छाप छोड़ पाए. मिसाल के तौर पर भुवनेश्वर अपनी पहचान के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए.
उन्हें ज्यादातर आखिरी स्पेल में विकेट मिले. फलस्वरूप चयनकर्ताओं को तेज गेंदबाज की खोज करनी होगी जिसमें दीपक चाहर अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं. इसी तरह पिछले कुछ वर्षो से टीम का हिस्सा रहे कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए. उनकी तुलना में राहुल चाहर का जोश और कुछ कर गुजरने की चाहत देखते ही बन रही थी.
जहां तक बल्लेबाजी की बात है, मनीष पांडे और संजू सैमसन पूरी तरह विफल रहे. सूर्यकुमार ही सबसे बड़े दावेदार बनेंगे. इस दौरे की सबसे बड़ी निराशा पंड्या भाइयों की विफलता रही. हार्दिक का गेंद और बल्ले के साथ विफल होना शास्त्री-कोहली की रणनीति पर पानी फिर सकता है. तेज गेंदबाज ऑलराउंडर टीम को मजबूती प्रदान करता है.
साथ ही उमदा क्षेत्रक्षक के कारण वह टीम के एक्स फैक्टर बन चुके थे. 2019 के वन-डे विश्व कप के दौरान चोटिल होने के बाद से हार्दिक पर काफी मेहनत की गई ताकि वह टी-20 विश्व कप के लिए तैयार हो सके. कृणाल भी प्रभाव नहीं छोड़ पाए.
उनके कोरोना संक्रमित होने से टीम के आठ खिलाड़ियों को बाहर बैठना पड़ा. इनमें ज्यादातर बल्लेबाज थे जो आखिरी टी-20 मैच से वंचित रहे. सबसे अहम सवाल यह है कि बायोबबल में रहकर यह कैसे हुआ? यदि यह सब श्रीलंकाई प्रबंधन की गलती के कारण हुआ है तो बीसीसीआई को अपना विरोध जताना चाहिए.