बीसीसीआई कब तक बनाता रहेगा आत्मघाती रणनीति?

By रवींद्र चोपड़े | Updated: November 17, 2025 05:19 IST2025-11-17T05:18:22+5:302025-11-17T05:19:24+5:30

IND vs SA, 1st Test: हार का परिणाम यह हुआ कि भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में लगातार तीसरी बार प्रवेश करने से वंचित रह गई.

IND vs SA, 1st Test How long will BCCI continue to make suicidal strategies blog Ravindra Chopra | बीसीसीआई कब तक बनाता रहेगा आत्मघाती रणनीति?

IND vs SA 1st Test Day

Highlightsस्पिनरों के लिए मददगार पिच बनाकर एक बार फिर पांव कुल्हाड़ी पर दे मारा है. स्पिन के मुफीद पिच बनाने की रणनीति अब ‘आत्मघाती’ साबित होने लगी है.ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के पास तेज गेंदबाज हुआ करते थे,

IND vs SA, 1st Test: ईडन गार्डंस पर रविवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय टीम की 30 रन से शर्मनाक हार ने उसी सिलसिले को आगे बढ़ाया लगता है, जिसे पिछले साल न्यूजीलैंड की टीम ने शुरू किया था. न्यूजीलैंड की टीम भारत को 0-3 के अप्रत्याशित अंतर से हराकर चली गई थी और उसका एक प्रमुख कारण था स्पिनरों की मददगार पिचें, जो बाद में ‘बूमरैंग’ कर गईं और ‘घटिया’ कहलाईं. उस हार का परिणाम यह हुआ कि भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में लगातार तीसरी बार प्रवेश करने से वंचित रह गई.

कीवियों के खिलाफ पराजय से सबक सीखने के बजाय बीसीसीआई लगता है अभी भी गहरी नींद में है और उसने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कोलकाता में स्पिनरों के लिए मददगार पिच बनाकर एक बार फिर पांव कुल्हाड़ी पर दे मारा है. विदेशी बल्लेबाजों को नाच नचाकार भारत को जीत दिलाने की मंशा से स्पिन के मुफीद पिच बनाने की रणनीति अब ‘आत्मघाती’ साबित होने लगी है.

विदेशी बल्लेबाज भारत में पिछले 17 साल से आईपीएल में खेल रहे हैं. भारतीय पिचों की रग-रग से अब वह वाकिफ हो चुके हैं.  ऐसे में जीतने के लिए स्पिन की मददगार पिच बनाने का पुराना ढर्रा अब काम नहीं आता.  एक जमाना था जब आला दर्जे के स्पिनर केवल भारतीय टीम के पास ही थे. विदेशी टीमों में, खासकर ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के पास तेज गेंदबाज हुआ करते थे,

लेकिन टीमों के पास भी उच्च कोटि का स्पिन आक्रमण है. स्पिनर भारतीय पिचों पर कौशल दिखाकर मेजबान टीम के लिए खतरा बन गए हैं.  बीसीसीआई के लिए यह बहुत बड़ा सबक होना चाहिए. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जारी सीरीज विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का एक हिस्सा है और घरेलू वातावरण में  इसे जीतकर भारत को अंक बनाने का एक बढ़िया मौका है लेकिन ईडन में हार से झटका जरूर लगा है.

बीसीसीआई को कम से कम ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से सबक लेना चाहिए, जहा की पिचें इतनी स्पोर्टिंग होती हैं कि पांच दिन तक आसानी से मुकाबला खेला जाता है.  जून में भारत ने इंग्लैंड का दौरा किया था तब हर मैच पांचवें दिन जाकर खत्म हुआ. स्पोर्टिंग पिच  पर बल्लेबाज के साथ ही तेज तथा स्पिन गेंदबाज दोनों को मदद मिलती है और अंत में मैच का परिणाम बेहतर खेलने वाली टीम के पक्ष में निकलता है.

बीसीसीआई अभी भी सपने में है. वह स्पिनरों के मुफीद पिच बनवाकर टीम  की ‘खुदकुशी’ करवा रहा है. बीसीसीआई को कम से कम दर्शकों का तो ध्यान रखना चाहिए, जो पांच दिन शानदार क्रिकेट देखने की हसरत लिए अपना कीमती समय निकालकर मौजूद रहते हैं. ईडन गार्डंस में अंतिम दिन 40,000 के करीब दर्शक इस उम्मीद से पहुंचे थे कि भारत जीतेगा, लेकिन हुआ बिल्कुल उल्टा.

बहरहाल, अब यह भी स्वीकार करना ही होगा कि भारतीय बल्लेबाज अब स्पिन खेलने की कला में माहिर नहीं रहे और इसका कारण टी-20 क्रिकेट है जिसकी अति ने उनका संयम छीन लिया है.  खराब पिचों पर हार का ठीकरा अक्सर बल्लेबाजों पर फूटता है, जिससे उनका आत्मविश्वास टूटता है.

न्यूजीलैंड के खिलाफ जो शर्मनाक हार मिली थी, उसके लिए रोहित शर्मा और विराट कोहली को कठघरे में खड़ा कर दिया गया था, जिससे उनका आत्मविश्वास लगातार गिरता रहा और आखिरकार उन्होंने टेस्ट से संन्यास ले लिया. खैर, दक्षिण अफ्रीका की इस जीत का श्रेय उसकी टीम को भी जाता है. उसके खिलाड़ियों ने दूसरी पारी में शानदार प्रदर्शन किया. तेम्बा बावुमा की कप्तानी भी बहुत शानदार रही.

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